विवाह

विवाह का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, नियम एवं उद्देश्य

सभी प्रकार के मानव समाजों में विवाह की अवधारणा पाई जाती है। सभी समाजों में विवाह के रीति-रिवाज एक दूसरे से अलग अलग हो सकते हैं। यह बहस आज भी जारी है कि विवाह कब अस्तित्व में आया और यह समाज का अभिन्न अंग कब बन गया।  विवाह का अर्थ  विवाह का अर्थ विवाह क…

अनुलोम विवाह और प्रतिलोम विवाह किसे कहते है।

जब एक उच्च वर्ण, जाति, उपजाति, कुल एवं गोत्र के लडके का विवाह ऐसी लड़की से किया जाय जिसका वर्ण, जाति, उपजाति, कुल एवं वंश के लडके से नीचा हो तो ऐसे विवाह को अनुलोम विवाह कहते हैं। दूसरे शब्दों में इस प्रकार के विवाह में लड़का उच्च सामाजिक समूह का होता…

हिन्दू विवाह और मुस्लिम विवाह में अंतर

मुस्लिम विवाह, जिसे निकाह कहा जाता है, हिन्दुओं के विवाह की भाँति पवित्र संस्कार न होकर एक समझौता माना जाता है। इसके प्रमुख लक्ष्य हैः यौन नियंत्रण, गृहस्थ जीवन को व्यवस्थित करना, बच्चों को जन्म देकर परिवार में वृद्धी करना तथा बच्चों का लालन-पालन करना…

मुता विवाह किसे कहते हैं ?

मुसलमानों में भी अस्थाई प्रकार के विवाह का प्रचलन है जिसे मुता विवाह कहते हैं। यह विवाह स्त्री व पुरुष के आपसी समझौते से होता है और इसमें कोई भी रिश्तेदार हस्तक्षेप नहीं करता। पुरुष को एक मुस्लिम या यहूदी या ईसाई स्त्री से मुता विवाह के संविदा का अधिक…

मुस्लिम विवाह की शर्तें, मुसलमान समाज में तलाक की प्रक्रिया

मुस्लिम सामाजिक संस्थाएं इस्लाम धर्म पर आधारित हैं। मुस्लिम विवाह ‘‘कुरान‘‘ से शासित होते हैं। ‘‘कुरान‘‘ मुहम्मद साहब के कलामों का संग्रह है। मुस्लिम विवाह एक सामाजिक समझौते के रुप में समझा जाता है। मुस्लिम विवाह कुछ उद्देश्यों की पूर्ति के लिये किया …

हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 कब लागू हुआ?

हिंदू विवाह अधिनियम 18 मई 1955 को लागू कर दिया गया। यह जम्मू कश्मीर को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में निवास करने वाले हिन्दुओं जिनमें जैन, बौद्ध, सिक्ख आदि पर प्रभावी था। किन्तु यह अधिनियम अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होता है। इस अधिनियम के द्वारा विवाह …

विशेष विवाह अधिनियम 1954 क्या है

विशेष विवाह अधिनियम, 1954 बिना किसी धार्मिक महत्व के विवाह के संबंध में उपबन्ध करता है। अधिनियम की धारा 4 के अनुसार किसी भी धर्म के दो वयस्क व्यक्ति विवाह कर सकते हैं बशर्ते कि पक्षकार प्रतिषिद्ध नातेदारी की डिग्रियों के भीतर नहीं है या किसी दूसरे धार…

हिंदू विवाह के उद्देश्य क्या है?

यह प्राचीन हिन्दू समाज का सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार है जिसकी महत्ता आज भी समाज का सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार है जिसकी महत्ता आज भी विद्यमान है। गृहस्थाश्रम का प्रारम्भ उसी संस्कार से होता था । " विवाह" शब्द "वि" उपसर्गपूर्वक &qu…

हिंदू विवाह के 8 प्रकार क्या हैं?

विवाह, समाज द्वारा मान्यता प्राप्त एक सामाजिक संस्था है। इसके द्वारा दो अलग लिंग के लोगों को एक साथ रहने, यौन संबंध स्थापित करने, बच्चों को जन्म देने तथा उनका लालन-पोषण करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।समाज द्वारा अनुमोदित स्त्री-पुरूष के संयोग को वि…

बहिर्विवाह क्या है बहिर्विवाह के लाभ एवं हानियाँ?

बहिर्विवाह से तात्पर्य है कि एक व्यक्ति जिस समूह का सदस्य है उससे बाहर विवाह करे। रिवर्स लिखते हैं, बहिर्विवाह से बोध होता है उस विनिमय का जिसमें एक सामाजिक समूह के सदस्य के लिए यह अनिवार्य होता है कि वह दूसरे सामाजिक समूह से अपना जीवन साथी ढूँढ़े।  ह…

अंतर्विवाह क्या है अंतर्विवाह के प्रमुख कारण?

अंतर्विवाह का तात्पर्य है एक व्यक्ति अपने जीवन-साथी का चुनाव अपने ही समूह में से करें। इसे परिभाषित करते हुए डॉ. रिवर्स लिखते हैं, अन्त:विवाह से अभिप्राय है उस विनिमय का जिसमें अपने समूह में से जीवन-साथी का चुनाव अनिवार्य होता है। वैदिक एवं उत्तर-वै…

दहेज का अर्थ, परिभाषा, दहेज प्रथा के दुष्परिणाम एवं कारण

वर्तमान में दहेज एक गम्भीर समस्या बनी हुई है। इसके कारण माता-पिता के लिए लड़कियों का विवाह एक अभिशाप बन गया है। सामान्यत: दहेज उस धन या सम्पत्ति को कहते हैं जो विवाह के समय कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष को दिया जाता है।   फेयरचाइल्ड के अनुसार, दहेज वह धन …

विवाह का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, नियम एवं उद्देश्य

विवाह का शाब्दिक अर्थ है, ‘उद्वह’ अर्थात् ‘वधू को वर के घर ले जाना।’ विवाह को परिभाषित करते हुए लूसी मेयर लिखते हैं, विवाह की परिभाषा यह है कि वह स्त्री-पुरुष का ऐसा योग है, जिससे स्त्री से जन्मा बच्चा माता-पिता की वैध सन्तान माना जाये। इस परिभाषा में…

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