बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में संरचनावाद और प्रकार्यवाद का विरोध् होने के कारण व्यवहारवाद की स्थापना हुई। इसके पहले चेतना के तत्वों के अध्ययन पर बल दिया गया, जिसे कुछ मनोवैज्ञानिकों ने निरर्थक समझा और कहा कि चेतना का हमारे शरीर पर जो प्रभाव पड़ता है उसका…