समाजशास्त्र

शैक्षिक समाजशास्त्र के उद्देश्य, क्षेत्र, महत्व, शिक्षा पर प्रभाव

शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न हो जाने से समाजशास्त्र की एक नई शाखा कुछ ही वर्षों में विकसित की गई है, जिसे शैक्षिक समाजशास्त्र की संज्ञा दी जाती है। दूसरों शब्दों में भी कहा जा सकता है कि यह विज्ञान समाजशास्त्र का एक ऐसा अंग है जो शिक्षा एवं समाजशास्त…

समाजशास्त्र का उद्भव एवं विकास

समाजशास्त्र का उद्भव बहुत पुराना नहीं है। समाजशास्त्र को अस्तित्व में लाने का श्रेय फ्रांस के विद्वान आगस्त कोंत को जाता है। जिन्होंने 1838 में इस नए विज्ञान को समाजशास्त्र नाम दिया। मैकाइवर कहते है कि ‘‘विज्ञान परिवार में पृथक नाम तथा स्थान सहित क्रम…

समाज का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं प्रमुख तत्व

समाज (Society) एक उद्देश्यपूर्ण समूह होता है, जो किसी एक क्षेत्र में बनता है, उसके सदस्य एकत्व एवं अपनत्व में बंधे होते हैं। मनुष्य चिन्तनशील प्राणी है। मनुष्य ने अपने लम्बे इतिहास में एक संगठन का निर्माण किया है। वह ज्यों-ज्यों मस्तिष्क जैसी अमूल्य श…

समिति का अर्थ, परिभाषा और विशेषताएं

समिति व्यक्तियों का एक समूह है जो कि किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति हेतु बनाया जाता है। उस उद्देश्य की पूर्ति हेतु समाज द्वारा मान्यता प्राप्त नियमों की व्यवस्था को संस्था कहते हैं। बहुत से लोग इन दोनों को समान अर्थों में प्रयोग करते हैं जो कि उचित न…

समुदाय का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं

समुदाय व्यक्तियों का एक विशिष्ट समूह है जोकि निश्चित भौगोलिक सीमाओं में निवास करता है। इसके सदस्य सामुदायिक भावना द्वारा परस्पर संगठित रहते हैं। समुदाय में व्यक्ति किसी विशिष्ट उद्देश्य की अपेक्षा अपनी सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रयास करते रहत…

सामाजिक मूल्य का अर्थ, परिभाषा प्रकार एवं महत्व

मूल्य समाज के प्रमुख तत्त्व हैं तथा इन्हीं मूल्यों के आधार पर हम किसी समाज की प्रगति, उन्नति, अवनति अथवा परिवर्तन की दिशा निर्धारित करते हैं। इन्हीं मूल्यों द्वारा व्यक्तियों की क्रियाएँ निर्धारित की जाती हैं तथा इससे समाज का प्रत्येक पक्ष प्रभावित हो…

समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा, उत्पत्ति, प्रमुख विशेषताएं

समाजशास्त्र एक महत्वपूर्ण सामाजिक विज्ञान है क्योंकि यह लोगों के जीवन से सीधा सरोकार रखता है। सभी मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं. सामाजिक संबंधों के बिना न बच्चों का ठीक से विकास हो पाता, न वयस्कों को दिशा मिल पाती। मानव अस्तित्व के लिए समाज का होना जरूरी…

राज्य और सरकार

जैसा कि आप जानते हैं कि सरकार राज्य का एक घटक है। यह वह संस्था है जहां पर कानून बनाये और लागू किये जाते हैं और उन नियमों का उल्लंघन करने वालों को दण्ड मिलता है। यही राज्य का प्रत्यक्ष रूप है। इसमें राज्य के सभी लोग, संगठन और संस्थाएँ शामिल हैं जिनके …

राज्य और समाज के बीच अंतर

राज्य एक राजनीति समाज है, जिसके चार घटक है- जनसंख्या, निश्चित भू-भाग, सरकार, संप्रभुता। आप जानते है कि राज्य कानून के माध्यम से स्वाभाविक रूप से दमनकारी शक्ति का प्रयोग करके सामाजिक आचार-विचार को नियंत्रित रखता है। एक संकल्पना के रूप में समाज एक संगठन…

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