असहयोग आन्दोलन के बाद लगभग 8 वर्ष तक देश के राजनीतिक जीवन में शिथिलता रही । काँग्रेस ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया, केवल स्वराज्य पार्टी ने विधायिकाओं में पहुँचकर अपनी असहयोग नीति को कार्यान्वित किया और जब जहाँ अवसर मिला संविधान में गत…