सहकारिता के विचार ने भारत में ठोस रूप सबसे पहले उस समय ग्रहण किया जब गॉवों में विधमान ऋृण भार का सामना करने के लिए 1904 में सहकारी ऋण समितियां अधिनियम पारित हुआ। इस अधिनियम में केवल ऋण समितियों की रचना के लिए ही व्यवस्था की गयी थी इसलिए गैर ऋण समितियो…