भारत में प्रचलित सुपर बाजारों का स्वरूप पाश्चात्य देशों के विभागीय भण्डारों से मिलता-जुलता है। किन्तु ‘स्वयं सेवा’ तथा मूल्यों में अन्तर को देखकर ग्राहकों का पता चलता है कि वे सुपर बाजार में ‘चिन्तामणी’, ‘सहकारी मण्डली’, ‘सस्ता बाजार’, ‘जनता बाजार’, ‘…