हठयोग

धौति क्रिया के प्रकार

धौति का अर्थ है धोना या साफ करना । हठयोग में षट् क्रियाओं में धौति का महत्वपूर्ण स्थान है। धौति क्रिया से शरीर की आंतरिक सफाई होती है ।  धौति क्रिया के प्रकार मुख गुहा, आमाशय, छाटी आंत, बड़ी आंत की सफाई हेतु स्वामी घेरण्डनाथ जी ने विभिन्न धौतियां बताई…

हठयोग के प्रमुख ग्रन्थों का सामान्य परिचय

हठयोग के प्रमुख ग्रन्थों का सामान्य परिचय हठयोग के ग्रन्थों के अध्ययन से पूर्व यह आवश्यक है कि हठयोग की परम्परा कहॉं से शुरू हुई इस प्रश्न के उत्तर आपको कहानी को पढ़कर स्वत: ही आ जायेगा। एक बार भगवान शिव, मॉं पार्वती को लेकर भ्रमण पर निकले थे। भ्रमण क…

घेरंड संहिता क्या है ?

इस ग्रंथ का एक महत्त्वपूर्ण संस्करण कैवल्यधाम, लोनावला द्वारा प्रकाशित हुआ है। यह लगभग सौ तकनीको का वर्णन करता हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। हठप्रदीपिका से भिन्न, जहाँ हठयोग का समर्थन किया गया है, यह ग्रंथ हठयोग शब्द के स्थान पर ‘घटस्थ योग’ का सम…

कपालभाति प्राणायाम कैसे करें और इसके क्या फायदे हैं?

कपाल का अर्थ है मस्तिष्कए व भॉंति का अर्थ होता है चमकाना,अर्थात प्रकासित करना। कपालभाति की क्रिया में मतिष्क का का शोधन होता है। वस्तुतः कपालभाति शोधन की ही क्रिया है परन्तु कई जगह इसे प्राणायाम की क्रिया भी कहा गया है।कपालभाति की एक प्रक्रिया में श्व…

हठयोग साधना का ऐतिहासिक विकास एवं परम्परा

सामान्यतया हठयोग का अर्थ सामान्य जन जबरदस्ती किए जाने वाले शरीर की शक्ति के विपरीत बल लगाकर किए जाने वाले योग के अर्थ में लेते है, परंतु यह उचित नहीं है। ‘हठ’ शब्द का अर्थ शास्त्रों में प्रतीकात्मक रूप से लिया गया है। शरीर, मन व प्राण को वश में करना ह…

हठयोग का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य

हठयोग में जब इड़ा और पिंगल नाड़ी, वाम और दक्षिण स्वर जब एक समान चलने लगें तो सुषुम्ना का जागरण होता है। जब सुषुम्ना निरन्तर चलने लगती है तो शरीर में सूक्ष्म रूप में विद्यमान कुण्डलिनी शक्ति का जागरण होता है। जब कुण्डलिनी छरूचक्रों का भेदन करती हुई सहस…

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