हिंदी

हिंदी के प्रसिद्ध व्यंग्यकारो के नाम

हिन्दी के व्यंग्यकारों ने अनेक ऐसी रचनाएँ दी है जिनमें न प्रत्यक्ष हास्य है, न आक्रोश और न करूणा । वे विशुद्ध बौद्धिक और चिन्तन - प्रधान रचनाएँ है जो पाठक में सामाजिक सजगता उत्पन्न करती है। व्यंग्यकार की भूमिका एक सुधारक, नियामक और न्यायाधीश की होती ह…

कार्यालयी हिंदी किसे कहते हैं कार्यालयी हिंदी के प्रमुख प्रकार ?

देश के राजकीय कार्यों में प्रयुक्त होने वाली भाषा को राजभाषा कहते हैं । प्रत्येक देश की राष्ट्रभाषा ही उस देश की राजभाषा होती है। इसे अंग्रेजी में Official Language कहते हैं। इसी के माध्यम से वहाँ का राजकार्य चलता है । इसी भाषा को कार्यालयी हिंदी भी क…

हिंदी का भविष्य क्या है?

हिंदी विश्व में तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। बड़े दुख की बात है कि अनेक प्रयासों के बावजूद हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की अधिकारिक भाषाओं में अभी तक स्थान नहीं प्राप्त हुआ है। विश्व के चार बहुचर्चित एवं सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में भारत का न…

हिंदी की संवैधानिक स्थिति का परिचय

भारत सरकार द्वारा राजभाषा हिंदी प्रचार-प्रसार के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। सभी मंत्रालयों के साथ हिंदी सलाहकार समितियाँ बनाई गई हैं। इन समितियों की बैठक भी त्रैमासिक होने का प्रावधान है। इन बैठकों में राजभाषा प्रयोग के लेखा-जोखा पर विचार किया जात…

राजभाषा हिंदी संबंधी समितियां

राजभाषा हिंदी संबंधी समितियां हिन्दी सलाहकार समितियाँ  संसदीय राजभाषा समिति  केन्द्रीय राजभाषा  नगर राजभाषा  राजभाषा कार्यान्वयन समितियाँ 1. हिन्दी सलाहकार समितियाँ -  भारत सरकार की राजभाषा नीति के सूचारू रूप से कार्यान्वयन के बारे में सलाह देने के उ…

हिंदी वर्तनी का मानकीकरण की आवश्यकता और हिंदी वर्तनी के नियम

शिक्षा मंत्रालय ने विभिन्न भाषाविदों के सहयोग से हिंदी वर्तनी की विविध समस्याओं पर गम्भीर रूप से विचार-विमर्श करने के बाद अपनी संस्तुतियाँ सन् 1967 में हिंदी वर्तनी का मानकीकरण’ नामक एक पुस्तिका प्रकाशित की जिसकी काफी सराहना हुई। हिंदी वर्तनी का मानकी…

सम्पर्क भाषा क्या है।। सम्पर्क भाषा के रूप मे हिन्दी का मूल्यांकन

सम्पर्क भाषा या जनभाषा वह भाषा होती है जो किसी क्षेत्र, प्रदेश या देश के ऐसे लोगों के बीच पारस्परिक विचार-विनिमय के माध्यम का काम करे जो एक दूसरे की भाषा नहीं जानते। दूसरे शब्दों में विभिन्न भाषा-भाषी वर्गों के बीच सम्पे्रषण के लिए जिस भाषा का प्रयोग …

हिंदी भाषा के विविध रूप

भाषा का सर्जनात्मक आचरण के समानान्तर जीवन के विभिन्न व्यवहारों के अनुरूप भाषिक प्रयोजनों की तलाश हमारे दौर की अपरिहार्यता है। इसका कारण यही है कि भाषाओं को सम्प्रेषणपरक प्रकार्य कई स्तरों पर और कई सन्दर्भों में पूरी तरह प्रयुक्त सापेक्ष होता गया है। …

More posts
That is All