कुषाण राजवंश में कनिष्क के सत्तारूढ़ होने तक बौद्ध मतानुयायियों की संख्या बहुत अधिक हो चुकी थी। बौद्ध धर्म के प्राचीन स्वरूप में परिवर्तन लाना जरूरी हो गया। कुछ रूढि़वादी लोग बौद्ध धर्म के प्राचीन आदर्शों को ज्यों का त्यों बनाये रखना चाहते थे और वे उ…