‘‘यदि प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने अधिकार का ही ध्यान रखे एवं दूसरों के प्रति कर्तव्यों का पालन न करें तो शीघ्र ही किसी के लिए भी अधिकार नहीं रहेंगे।’’ करने योग्य कार्य ‘कर्तव्य’ कहलाते है किसी भी समाज का मूल्यांकन करते हुए ध्यान केवल अधिकारों पर ही नही…