मानसिक विकास का सिद्धांत (जीन पियाजे की थ्योरी ऑफ कॉग्निटिव डेवलपमेंट)

मानसिक विकास को संज्ञानात्मक विकास के अध्ययन द्वारा भली प्रकार समझा जा सकता है। तकनीकी रूप में संज्ञानात्मक विकास ही मानसिक विकास है। संप्रत्यय निर्माण, सोचना, तर्क करना, याद रखना, विश्लेषण करना, निर्णय करना यह सब संज्ञानात्मक विकास की ही प्रक्रियाये…

मानव विकास की अवस्थाओं को गर्भधारण से लेकर पूरे जीवनकाल को इन भागों में विभाजित किया है।

मानव जीवन के विकास का अध्ययन  के अन्तर्गत किया जाता है। विकासात्मक मनोविज्ञान मानव के पूरे जीवन भर होने वाले वर्धन, विकास एवं बदलावों का अध्ययन करता है।  मानव विकास की विभिन्न अवस्थाएं मानव विकास की अवस्थाओं को गर्भधारण से लेकर पूरे जीवनकाल को इन भाग…

मनोविज्ञान की विधियाँ

मनोविज्ञान बहुत विस्तृत विषय है। इस विषय का गहराई पूर्ण अध्ययन करने के लिए कोई भी एक विधि पर्याप्त नहीं हो सकती है। मनोविज्ञान विषय की विशालता एवं इसकी गंभीरता के कारण यह बहुआयामी विज्ञान है जिसे समझने के लिए विभिन्न प्रकार की अध्ययन विधियों की आवश्य…

संतुलित आहार का अर्थ, परिभाषा, प्रमुख घटक, महत्व

ऐसा  आहार  जिसमें वे सभी चीजें उचित मात्रा में मौजूद हों जो शरीर निर्वाह के लिए आवश्यक है। ऐसे ही भोजन से शरीर का भली-भाँति  पोषण  होता है। उससे पर्याप्त शक्ति और ताप की उपलब्धि होती है तथा  स्वास्थ्य  एवं आयु की वृद्धि होती है।  संतुलित आहार  में का…

आहार के स्रोत से हमारा क्या तात्पर्य है। मानव आहार के मुख्य रूप से दो स्रोत माने गये हैं-

मानव आहार प्राणी आहार माँस,मछली, अण्डा, दूध वनस्पति आहार अनाज, दाल, शर्करा, सब्जियाँ, फल, सूखेफल, मसाले आपके मन में यह जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हो रही होगी कि आहार के स्रोत से हमारा क्या आशय है? वस्तुत: आहार के स्रोत से हमारा आशय यह है कि …

आहार का अर्थ, परिभाषा, महत्व, उद्देश्य, आवश्यकता

कोई भी खाने योग्य पदार्थ जो शरीर के लिये उपयोगी सिद्ध हो, आहार या भोजन है’’। भोजन के अन्तर्गत ठोस, अर्द्धठोस तथा तरल सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ आ सकते हैं। भोजन की दो मुख्य विशेषताएं हैं:- भोज्य पदार्थ खाने योग्य हों। भोजन पदार्थों से शरीर को पोषण मिल…

सद्वृत्त का अर्थ, अवधारणा एवं महत्व

सद्वृत्त की उत्पत्ति दो शब्दों के मिलने से होती है। प्रथम शब्द सद् एवं द्वितीय शब्द वृत्त। सद् एक सत्य वाचक शब्द है जिसका प्रयोग सही, उपयुक्त, अनुकूल एवं धनात्मक रुप में होता है जबकि वृत्त से तात्पर्य घेरे से होता है अर्थात सद्वृत्त ऐसे सकारात्मक एवं…

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