अरविन्द घोष एक सच्चे राष्ट्रवादी थे। उनकी इच्छा थी कि भारत को अतिशीघ्र ही स्वतन्त्रता मिलनी चाहिए। उनके चिन्तन का मुख्य ध्येय अधिक व्यक्तियों के सुख की बजाय सभी का अधिकतम हित था। उन्होंने गीता, वेदों, उपनिषदों से ज्ञान प्राप्त करके ऐसी विधियों की खोज…