अनुसूची क्या है अनुसूची की परिभाषा एवं प्रकारों का वर्णन?

अनुसूची एक फार्म, तालिका, केटलाॅग अथवा कार्ड जिसका निर्माण एवं प्रयोग तथ्यों के संकलन के लिए किया जाता है।

अनुसूची क्या है

अनुसूची प्राथमिक तथ्य संकलन की एक ऐसी विधि है इसके द्वारा उन क्षेत्र के सूचनादाताओं से भी सूचना प्राप्त की जाती है जो कि पढ़े-लिखे नहीं हैं। यह एक प्रत्यक्ष विधि है जिसमें साक्षात्कारकर्ता उत्तरदाता के साथ आमने-सामने प्रश्न पूछकर भरता है यह प्रश्नों की एक औपचारिक तालिका या फार्म होती है। अनुसूची के माध्यम से वैयक्तिक मान्यताओं, सामाजिक अभिवृत्तियों, विश्वास, विचारों, व्यवहार प्रतिमानों, समूह व्यवहारों, आदतों तथा जनगणना से संबंधित तथ्यों का संकलन किया जाता है। 
  1. तथ्यों के संकलन की एक विधि अनुसूची है।
  2. अनुसूची को उत्तरदाता के पास डाक द्वारा नहीं भेजा जाता है।
  3. अनुसूची में अवलोकन, साक्षात्कार तथा प्रश्नावली तीनों की ही विशेषताओं एवं गुणों का समन्वय पाया जाता है।
  4. अनुसूची एक फार्म के रूप में प्रश्नों की एक लिखित सूची होती है जिसमें अध्ययन विषय से संबंधित प्रश्न एवं सारणियां होती हैं, जिसे क्षेत्रीय कार्यकर्ता सूचनादाता से पूछकर या व्यक्तिगत रूप से अवलोकन करके भरता है।
  5. सभी क्षेत्रीय कार्यकर्ता यदि समान प्रश्न पूछते हैं तब अनुसूची में सजातीय सूचना एकत्र होती है।

अनुसूची की परिभाषा

गुडे एवं हाट् - ‘‘अनुसूची उन प्रश्नों का समुच्चय है, जिन्हें साक्षात्कारकर्ता द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के आमने-सामने की स्थिति में पूछे और भरे जाते हैं’’।

पी.वी.यंग - ‘‘यह गणना की एक विधि है जिसका प्रयोग औपचारिक एवं मानवीकृत गवेशनाओं में विभिन्न प्रकार के परिमाणात्मक तथ्यों के लिए किया जाता है’’।

अनुसूची के प्रकार

मुख्यत: अनुसूची के ये प्रकार हो सकते हैं।
  1. अवलोकन अनुसूची
  2. मूल्यांकन अनुसूची
  3. संस्था सर्वेक्षण अनुसूची
  4. साक्षात्कार अनुसूची
  5. प्रलेखीय अनुसूची

1. अवलोकन अनुसूची

इस अनुसूची का प्रयोग अवलोकनकर्ता कार्य को व्यवस्थित, क्रमबद्ध एवं प्रभावी बनाने में करता है।इसमें प्रश्न के स्थान पर सारिणी का प्रयोग होता है। अत: प्रश्न रचना की जगह कुछ मोटी बातों का उल्लेख रहता है। जिसमें विषय के अनुसार क्रमबद्ध रूप से घटती घटनाओं का अवलोकनकर्ता विवरण स्वयं देखकर लिखता है।यह विषय क्षेत्र को सीमित करने एवं आवष्यक तथ्यों पर घ्यान देने में सहायक होती है ।

2. मूल्यांकन अनुसूची

इस प्रकार की अनुसूची का प्रयोग किसी विषय के बारे में लोगों की अभिवृत्ति, रूचि, राय, विश्वास तथा अभिमति आदि के सांख्यिकीय मापन हेतु किया जाता है। जिसे बाद में सांख्यिकीय आंकड़ों में व्यक्त किया जाता है।समाजशास्त्रिय शोध में दहेज प्रथा, बाल विवाह, मादक द्रव्य व्यसन जैसी गम्भीर समस्या को निर्बल बनाने वाले कारकों का अध्ययन इस विधि से होता है। 

इसी प्रकार राजनीतिक शोध में राजनीति में जाति की भूमिका, पंचायती राज में महिला भागीदारी आदि विषयों में प्रश्न पूछकर उत्तरदाताओं की पसंद ज्ञात की जाती है। 

इसके द्वारा सूचनादाता की पसंद नापसंद तथा पक्ष विपक्ष के विचारों को जाना जाता है

3. संस्थात्मक अनुसूची

संस्थाओं के आतंरिक एवं बाह्य कार्यकलापों अथवा समस्याओं के अध्ययन में प्रयोग की जाने वाली तालिका। किसी संस्था के समक्ष उतपन्न होने वाली अथवा उसमें विद्यमान समस्याओं का निरीक्षण करने में इस प्रकार की अनुसूची का प्रयोग होता है। इस प्रकार विभिन्न संस्थाओं की कार्यप्रणाली तथा समाज में उनकी प्रस्थिति की तुलना करने में यह प्रयुक्त होती है। धर्म, परिवार व शिक्षा आदि के पक्षों का इसी विधि से अध्ययन होता है।

4. साक्षात्कार अनुसूची

इस प्रकार की अनुसूचियों में सूचनाएं प्रत्यक्ष साक्षात्कार के द्वारा एकत्र की जाती हैं। इसमें निडिचत प्रडन अथवा खाली सारिणी दी हु होती है जिन्हें साक्षात्कारकर्ता सूचनादाता से पूछकर भरता है। यह उत्तर उसके लिए तथ्य का कार्य करते हैं जिनका वह समस्या के संदर्भ में विश्लेषण एवं वर्गीकरण करता है।

इसके द्वारा विश्वसनीय एवं प्रमाणित सूचनाएं प्राप्त होती हैं। व्यक्तिगत संपर्क के कारण इसमें अनुसंधानकर्ता सूचनादाता को सूचना देने के लिए प्रेरित कर सकता है।

5. प्रलेखीय अनुसूची

लिखित स्त्रोतों से प्राप्त मूक तथ्यों के संकलन हेतु जिस तालिका या सूची का प्रयोग किया जाता है। यह अनुसूची विधि लिखित स्रोतों से सूचना एकत्र करने में प्रयुक्त होती है। यह स्रोत मुख्यत: आत्मकथा, डायरी, सरकारी एवं गैर सरकारी अभिलेख, पुस्तकें, प्रतिवेदन, अखबार आदि हो सकते हैं इसमें विषयों से संबंधित प्रारम्भिक जानकारियों को एकत्र कर प्रलेखीय अनुसूची की रचना की जाती है।

उदाहरण- अपराधी का अध्ययन करते समय जेल के दस्तावेज से उसके अपराध के रूप, अपराधों की संख्या, आयु, शिक्षा, व्यवसाय आदि के संबंध में जानकारी एकत्रित करने के लिए प्रलेखीय अनुसूची की रचना की जा सकती है।

अनुसूची की प्रश्नावली एवं प्रश्न

अनुसूची की सामग्री जानकारियों के लिए दो भागों में सूचना एकत्रित की जाती है।

1. उत्तरदाता के बारे में प्रारम्भिक जानकारी- इसमें उत्तरदाता का नाम, पता, आयु, लिंग, शिक्षा, जाति, धर्म, व्यवसाय, आय के बारे में सूचनाएं एकत्रित करनी होती हैं।

2. समस्या से संबंधित प्रश्न- दूसरे भाग में प्रश्न एवं सारणियों के अलावा अनुंसंधानकर्ता के लिए आवश्यक निर्देश भी होते हैं। इसी में अनुसंधान विषय तथा अनुसंधान करने वाले संस्थान या व्यक्ति का परिचय भी होता है।

3. अनुसूची की प्रश्नावली एवं प्रश्न अनुसूची में प्रश्नों द्वारा सूचनाओं का संकलन किया जाता है। इसके निर्माण में उचित शब्दों एवं प्रश्न का चयन आवश्यक है। अनुसूची में कई प्रकार के जो प्रश्न पूछे जाते हैं उन्हें इन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

1. अनिर्दिष्ट प्रश्न खुले प्रश्न - इस प्रकार के प्रश्नों का उत्तर देने में सूचनादाता को स्वतंत्रता होती है और वह अपनी राय जिस प्रकार से चाहे व्यक्त कर सकता है। उदा0
  • आपकी राय में भ्रष्टाचार के क्या कारण हैं ?
  • आपकी राय में उसे कैसे दूर किया जा सकता है ?
2. निर्दिष्ट प्रश्न संरचित या आयोजित प्रश्न - इसमें प्रडनों के संभावित उत्तर पहले से ही लिखे होते हैं और सूचनादाता को इनमें से ही कोई एक उत्तर चुनना होता है। उदा0
  • आपकी आयु क्या है ?
  • आप शिक्षित अथवा अशिक्षित हैं ? शिक्षित/अशिक्षित ।
  • आपकी वैवाहिक स्थिति क्या है ? विवाहित/अविवाहित, विधुर अथवा विधवा/तलाक शुदा।
3. दोहरे प्रश्न - जब किसी प्रश्न के दो ही उत्तर हो सकते हैं तो ऐसे प्रश्न को दोहरे प्रश्न प्रश्न कहते हैं। इन प्रश्नों का एक उत्तर सकारात्मक (हां) तथा दूसरा उत्तर नकारात्मक (नहीं) होता है। उदा0
  • क्या आप अनुसूचित जाति के हैं ? हाॅ /नहीं ।
  • आपकी राष्टीयता  क्या है ? भारतीय/विदेशी
5. निर्देशक प्रश्न- जब किसी प्रश्न के द्वारा उसके उत्तर की ओर संकेत किया जाता है तो उसे निर्देशक प्रश्न कहते हैं। ऐसे प्रश्न पक्षपात को प्रोत्साहन देते हैं। उदा -
  • क्या यह परिवार के लिए अधिक उपयोगी न होगा कि स्त्रियाॅ बाहर सेवा करने के बजाय घर में बच्चों की देखभाल करें ।
6. बहुअर्थक प्रश्न - इसमे एक से अधिक अर्थ निकलते हैं, ऐसे प्रश्नों के सूचनादाता अपने अर्थ निकालता है। इनसे बचना चाहिए। उदा0 

अपने लिए तुम कैान सा धंधा चुनना पसंद करेागे?
  • (अ) व्यापार अथवा उद्येाग
  • (ब) सरकारी नौकरी
  • (स) व्यक्तिगत नौकरी
  • (द) पेडाागत रोजगार
  • (ई) अन्य कोई
7. श्रेणीबद्ध प्रश्न - इस प्रकार के प्रशनों में उत्तरदाता को कई उत्तरों में से एक नहीं वरन सभी को चुनना तथा उन्हें अपनी पसंद के अनुसार एक क्रम में लिखना होता है। उदा0
  • अपने लिए तुम कौ सा धंधा पसंद करोगे?
  • किसी बङे मिल के डायरेक्टर ।
  • भारतीय प्रशासनिक सेवा ।
  • प्रथम श्रेणी की अनुसंधानशाला का डायरेक्टर ।
  • प्रथम श्रेणी की यूनिवसिटी का आफिसर ।
  • अच्छी ख्याति या हाई कोर्ट का वकील ।
  • ख्याति प्राप्त डाक्टर ।
8. अस्पष्ट प्रश्न -  ऐसे प्रश्न से उत्तरदाता यह नहीं जान पाता है कि प्रश्न क्या पूछा गया है और उसका
उत्तर क्या होगा। उदा0
  • आप शिक्षित हैं अथवा अशिक्षित हां नहीं ।
  • जब ऐसे विशिष्ट शब्दों का प्रयोग किया जाय जिनका अर्थ सर्वसाधारण में प्रचलित नहीं है। जैसे आप स्वतंत्र अर्थ व्यवस्था पसंद करते हैं अथवा नियंत्रित।

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