सहयोग का अर्थ, परिभाषा, महत्व एवं प्रकार

सहयोग

जब व्यक्ति समान उद्देश्य के लिए एक साथ कार्य करते हैं तो उनके व्यवहार को सहयोग कहते हैं। सहयोग व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है क्योंकि इससे उसकी आवश्यकताओं की संतुष्टि तथा उद्देश्यों की पूर्ति होती है। व्यक्ति चेतन रूप से सहयोगिक क्रिया में भाग लेता है।

सहयोग की परिभाषा

ग्रीन, ए डब्लू ,‘‘सहयोग दो या अधिक व्यक्तियों के किसी कार्य को करने या किसी उद्देश्य, जोकि समान रूप से इच्छित होता है, पर पहुँचने को निरन्तर एवं सम्मिलित प्रयन्न को कहते हैं।

फेयरचाइल्ड, एच0पी0 ,‘‘ सहयोग वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एकाधिक व्यक्ति या समूह अपने प्रयत्नों को बहुत कुछ संगठित रूप में सामान्य उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संयुक्त करते हैं।

सहयोग का महत्व

मानव जीवन की सुरक्षा, उन्नति तथा विकास के लिए सहयोग आवश्यक प्रक्रिया है। इसका महत्व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हैं।

1. सामाजिक क्षेत्र सहयोग का महत्व

  1. सहयोग से सामाजिक गुण विकसित होते हैं। 
  2. व्यवहार करना सीखता है। 
  3. सामाजिक सम्बन्धों का विकास होता है। 
  4. सामाजिक व्यवस्था बनी रहती है।
  5. सामजिक संगठन कार्य करने में सक्षम होते है

2. मनोवैज्ञानिक क्षेत्र सहयोग का महत्व

  1. व्यक्तित्व का विकास होता है। 
  2. मनोवृत्तियाँ विकसित होती हैं। 
  3. निर्णय करने की क्षमता आती है। 
  4. सांवेगिक पक्ष दृढ़ होता है। 
  5. प्रत्यक्षीकरण उचित दिशा में होता है। 
  6. समस्याओं का समाधान करना सीखता है। 

    3. सांस्कृतिक क्षेत्र सहयोग का महत्व

    1. संस्कृति का विकास होता है। 
    2. संस्कृति की रक्षा होती है। 
    3. सांस्कृतिक परिवर्तन सहयोग पर निर्भर है। 
    4. सांस्कृतिक गुण सहयोग से आते है। 

    4. शैक्षिक क्षेत्र सहयोग का महत्व

    1. सभी प्रकार का सीखना सहयोग पर निर्भर है। 
    2. शैक्षणिक उन्नति का आधार सहयोग है। 
    3.  अर्जित ज्ञान की रक्षा सहयोग पर निर्भर है। 

      5. आर्थिक क्षेत्र सहयोग का महत्व

      1. आवश्यकताओं की पूर्ति सहयोग ही कर सकता है। 
      2. आर्थिक विकास सहयोग पर निर्भर है।

      सहयोग के प्रकार

      सहयोग कितने प्रकार के होते हैं? ग्रीन ने तीन प्रकार के सहयोग का वर्णन किया है :
      1. प्राथमिक सहयोग 
      2. द्वितीयक सहयोग 
      3. तृतीयक सहयोग 
      मैकाइवर तथा पेज ने सहयोग के दो प्रकार बताये हैं :
      1. प्रत्यक्ष सहयोग 
      2. परोक्ष सहयोग 
      इन सहयोग के प्रकारों को वही विशेषता है जो प्राथमिक तथा द्वितीयक सहयोग की है।

      1. प्राथमिक सहयोग 

      1. प्राथमिक सम्बन्ध होते हैं।
      2. प्राथमिक समूहों में पाया जाता है।
      3. व्यक्ति तथा समूह के स्वार्थों में कोई भिन्नता नहीं होती हैं।
      4. त्याग की भावना प्रधान होती है।
      5. परिवार तथा मित्र मंडली, इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

      2. द्वितीयक सहयोग 

      1. यह जटिल समाजों में पाया जाता है।
      2. औपचारिकता अधिक होती है।
      3. व्यक्तिगत हितों की प्रधानता होती है।
      4. स्कूल, आफिस, कारखाने आदि में द्वितीयक सहयोग पाया जाता है।

      3. तृतीयक सहयोग 

      1. उद्देश्य प्राप्ति तक सहयोग किया जाता है।
      2. लक्ष्य बिल्कुल अस्थायी होता है।
      3. अवसर की प्रधानता होती है।
      4. चुनाव जीतने के लिए भिन्न पार्टियों में सहयोग या लड़ाई के समय विभिन्न पार्टियों में सहयोग तृतीयक सहयोग होता है।

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