मीडिया क्या है मीडिया के प्रकार | What is media in hindi

मीडिया शब्द का नाम आते ही हमारे जहन में टेलिविजन, रेडियो, समाचार पत्र व अन्य परम्परागत माध्यम घूमने लगते है। मीडिया से हमारा सीधा तात्पर्य उस माध्यम से है, जिसके द्वारा सूचना दी जाती है। मीडिया की विकास में उपयोगिता को देखते हुए यूनेस्को ने सीन मेकब्राइड के नेतृत्व में एक कमीशन गठित किया जिसकी रिपोर्ट मैनी वाइसेंस वन वर्ड में इस बात का खुलासा हुआ विश्व की सूचना तंत्र पर यूरोपीय देशों का 80 प्रतिशत व शेष विश्व का 20 प्रतिशत अधिकार है। ए.टी.एन.(द एशियन टेलिविजन नेटवक्र) की स्थापना जुलाई 1992 में विश्व के मीडिया पर वर्चस्व को तोड़ने के उद्देश्य से की गई है।

मीडिया का अर्थ है जिसके द्वारा विज्ञापनकर्ता संभावित एवं वर्तमान उपभोक्ताओं तक विज्ञापन के सन्देशों के माध्यम से पहुँचते है। मीडिया विज्ञापन उद्योग का एक आवश्यक अंग है जिसमें इस उद्योग के किसी अन्य विभाग से ज्यादा लोग संलग्न होते है। इसके अलावा विज्ञापन कार्यक्रमों और अभियानों में जो समस्त राशि खर्च होती है उसमें आधी राशि मीडिया को जाती है।

विज्ञापन के माध्यम का अर्थ है एक निश्चित संदेश को देने का एक वाहन। इसका अर्थ है कि एक संदेश या जानकारी लक्षित ग्राहकों, दर्शकों, पाठकों श्रोताओं या राहगिरों तक पहुँचाई है, मीडिया के उदाहरण है समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो, टेलीविजन, डायरेक्ट मेल, पोस्टर, फिल्म केटलॉक आदि ।

मीडिया के प्रकार

1. प्रिन्ट मीडिया :

मीडिया का वह माध्यम जो मुद्रित रूप में होता है। अर्थात जो किसी कागज पर छपा हुआ होता है, जिसमे किसी लिखित माध्यम से सूचना या संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जाता है, प्रिंट मीडिया कहलाता है। मीडिया का यह माध्यम बहुत प्रभावकारी व लाभकारी होता है। इसके माध्यम से किसी भी वस्तु या उत्पाद का विज्ञापन न्यूनतम लागत पर अधिक से अधिक लोगों को आसानी से किया जा सकता है। समाचार पत्र, पत्रिकाओं, केटलॉग, जनरल, बैनर, होर्डिंग, बिलबोर्ड, प्रत्यक्ष मेल, विवरणिका, पत्र और पोस्टकार्ड आदि को प्रिंट मीडिया कहा जाता है। प्रिंट मीडिया को आगे समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में विभाजित किया जा सकता है।

1. समाचार पत्र : समाचार पत्र वर्तमान युग का सबसे अधिक लोकप्रिय एवं प्रचलित माध्यम है। जिसमे मुख्यत : सम-सामायिक घटनाये, राजनीति, खेलकूद, मनोरंजन, वित्त, फैशन, सूचनात्मक लेख इत्यादि जानकारी होती है। समाचार पत्र दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक होते है। हमारे यहाँ दैनिक समाचार पत्र अधिक प्रचलन में है। दैनिक समाचार पत्र नईदुनिया, दैनिक भास्कर, पत्रिका, दैनिक जागरण, टाइम्स ऑफ इंडिया, बिजनेस इकोनॉमिक्स, डेली न्यूज, नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा, हिन्दुस्तान टाइम्स आदि ।

2. पत्रिकाएँ : प्रिंट मीडिया का एक महत्वपूर्ण प्रकार पत्रिकाएँ भी है। पत्रिकाएँ विभिन्न विषयों पर विस्तृत लेख प्रदान करती है। जैसे : फैशन, खेल, वित्त, भोजन, स्वास्थ्य, सौन्दर्य, शिक्षा, व्यापार आदि। 

3. दृश्य मीडिया :

मीडिया का वह साधन जिसका संबध आंखों से होता है। अर्थात जिन्हें देखा जा सकता है। टेलीविजन, सिनेमा, स्मार्टफोन, कठपुतली, चलचित्र, पोस्टर आदि को दृश्य मीडिया कहा जाता है।

1. टेलीविजन : टेलीविजन मीडिया का एक प्रभावी एवं सशक्त माध्यम है। क्योंकि इसमें ध्वनि एवं चित्र दोनो होते है। इसलिए इसका प्रभाव व्यक्ति के दिलो-दिमाग में बहुत गहरा पड़ता है। खासतौर पर यह ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए काफी प्रभावी सिद्व हुआ है चाहे उनकी उनकी अर्थिक-सामाजिक स्थिति एवं शिक्षा का स्तर कुछ भी हो, यह बाधा उत्पन्न नही करता है। 15 सितंबर 1959 को आकाशवाणी भवन, नई दिल्ली में हुआ है। अगस्त 1975 से जुलाई 1976 के बीच 6 राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में इसका सीधा प्रसारण किया गया। आज अधिकांश टी.वी. चैनल 24 घंटे अपना प्रसारण देते है।

2. सिनेमा : कुछ दशकों पहले (टी.वी. के विस्तार के पूर्व ) सिनेमा विज्ञापनों के लिये बहुत ज्यादा उपयोग में लाया जाता था । यह विज्ञापन सिनेमा हॉल में सिनेमा स्लाइड्स के द्वारा दिखाये जाते है। फिल्म के प्रारंभ से पहले मध्यातंर में विज्ञापनों को प्रदर्शित किया जाता था । यह विज्ञापन केवल वही लोग देख सकते है जो सिनेमा हॉल में जाते है। परन्तु आजकल इसका उपयोग कम हो गया है। क्योंकि इसकी प्रभावशीलता कम हो गई है।

3. सेलफोन : यह एक ऐसा उपकरण है जिसका इस्तेमाल आवाज व डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक, एक लंबी दूरी तक एक विशेष नेटवर्क के आधार पर भेजने और प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह एक लंबी दूरी का इलेक्ट्रानिक उपकरण है, जिसे विशेष बेस स्टेशनों के एक नेटवक्र के आधार पर आवाज या डेटा संचार के लिए उपयोग करते है । आज के आधुनिक समय में इसका उपयोग बहुत बढ़ गया है।

4. कठपुतली : कठपुतली भी दृश्य का एक माध्यम है जिसे विज्ञापन के लिए प्रयुक्त किया जाता है। लोककथा के रूप में कठपुतली सम्प्रेषण एवं मनोरंजन का एक सुप्रसिद्ध माध्यम है। कठपुतली काठ (लकड़ी) की बनी हुई पुतली (गुड़िया) होती है जिसे डोरे (धागे) या तार से बांधकर नचाया जाता है। कठपुतली के माध्यम से गुड्डे, गुड़ियाँ, जोकर आदि पात्रों को बनाकर किसी संदेश को आमजन तक आसानी से मनोरंजक रूप में पहुंचाया जाता है। प्राचीन समय में हीर-रांझा, लैला-मजनूं . पृथ्वीराज आदि की कथाएं ही कठपुतली में दिखाई जाती थी, लेकिन अब वर्तमान घटनाओं, बेटी बचाओं, पर्यावरण संरक्षण, मनोरंजन कार्यक्रम आदि के साथ-साथ व्यापार व्यवसाय की वस्तुओं के विज्ञापनों के लिए भी काफी प्रयोग की जाने लगी है। इसके माध्यम से मनोरंजक रूप में वस्तु की जानकारी उपभोक्ताओं तक आसानी से पहुंच जाती है । 

5. चलचित्र : ध्वनि युक्त चलचित्र मनोरंजन एवं व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए एक प्रभावशाली दृश्य माध्यम है । चलचित्रों में ध्वनि और गति वास्तविकता का अनुभव देते है और दर्शको का ध्यान आकर्षित करता है। आज के समय में चलचित्र विज्ञापन का वस्तुओं के विज्ञापन के लिए बड़ी मात्रा में सहारा लिया जाता है। बड़ी-बड़ी कंपनियां अपनी वस्तुओं का प्रचार करने के लिए छोटे-छोटे चलचित्र कहानी या कार्टून के माध्यम से तैयार कराते है। इनके माध्यम से वस्तुओं के गुणों के बारे में आमजन को प्रभावशाली ढंग से समझाया जाता है । यह असंख्य लोगों का ध्यान अपनी और खींचता है । चलचित्र विज्ञापन का प्रभाव दर्शकों पर स्थायी होता है। 

6. पोस्टर : पोस्टर विज्ञापन का परम्परागत दृश्य माध्यम है। इसे दीवार विज्ञापन भी कहते है। पोस्टर कागज पर बड़े अक्षरों में छपा हुआ जिसे लिखित संदेश और पिक्चर (चित्र) के साथ प्रस्तुत किया जाता है। पोस्टर प्राय : रंगीन होते है। पोस्टर का आकार भिन्न होता है जैसे - 20 " ×28", 20" ×30", 23"X36", 36" ×40" आदि । पोस्टरों को प्राय : रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, सिनेमा हॉल, स्कूल-कॉलेज के सामने, सड़को के किनारे, गलियों एवं चौराहे आदि स्थानों पर चिपकाया जाता है। यातायात के साधनों जैसे- बस, रेल, ऑटो रिक्शा आदि पर भी चिपकाया जाता है।

3. श्रव्य मीडिया :

मीडिया का वह साधन जिसका संबंध कानों से होता है । अर्थात जिन्हें सुना जा सकता है। देखा नहीं जा सकता । रेडियो, टेप रिकार्डर, ग्रामोफोन, टेलीफोन आदि को श्रव्य मीडिया कहा जाता है ।

1. रेडियो : रेडियो श्रव्य मीडिया का एक बहुत ही शक्तिशाली और प्रभावशाली माध्यम है। यह एक ऐसा माध्यम है जो अदृश्य - विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजता है । इसकी सहायता से विश्व के किसी भी कोने में होने वाली घटना का तुरंत पता लग जाता है। इतना ही नहीं, यह मनोरंजन का भी बहुत बड़ा साधन है । 

2. टेप रिकार्डर : टेप रिकार्डर भी श्रव्य का एक माध्यम है। इस प्रकार के विज्ञापन में व्यक्ति द्वारा कहे गए विचारों, कथनों एवं संदेशो के साथ गानों (संगीत) का मिश्रण कर कैसेट तैयार की जाती है। किसी भी वाहन जैसे - मोटर सायकल, कार (चार पहिया वाहन), ऑटो रिक्शा आदि में टेपरिकार्डर को रखा जाता है और उसे दूर-दूर तक ले जाकर विज्ञापन किया जाता है। जिससे आम जनता तक खबर आसानी से पहुंच जाती है।

3. ग्रामोफोन : ग्रामोफोन श्रव्य माध्यम का एक सस्ता एवं उपयोगी उपकरण है। जिसे विज्ञापन के लिए प्रयुक्त किया जाता है। ग्रामो का अर्थ - अक्षर और फोन का अर्थ-ध्वनि। अर्थात ऐसा उपकरण जिसमें ध्वनि का रिकॉर्डिंग (अभिलेखन) और बाद में ध्वनि को पुन: उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। ग्रामोफोन ध्वनि उत्पन्न करने वाला एक उपकरण । इसे रिकॉर्ड प्लेयर भी कहा जाता है। इसे वस्तुओं के विज्ञापन के लिए संदेशों भाषणों आदि को संगीत के साथ रिकॉर्ड कर बजाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञापन के लिए यह बहुत उपयोगी होता है क्योंकि इसके द्वारा कम शिक्षित व्यक्ति भी सरलता से समझ जाता है।

4. टेलीफोन : श्रव्य मीडिया का यह एक प्रचलित माध्यम है। इसके माध्यम से विज्ञापनकर्ता अपने भावी ग्राहकों से तुरंत सम्पक्र कर सकता है। टेलीफोन के द्वारा विज्ञापन करना बहुत सस्ता व सरल होता है। फोन नम्बरों की सूची बनाकर बैठे-बैठे उपभोक्ताओं से तुरंत सम्पक्र कर वस्तु की जानकारी दी जा सकती है।

4. अन्य मीडिया :

आधुनिक युग इंटरनेट का युग है, इंटरनेट के माध्यम से वस्तुओं का प्रचार-प्रसार करने के कई माध्यम है। वेब मीडिया, ब्लॉग, सोशल नेटवक्रिग, ई-मेल आदि इसके अन्तर्गत आते है।

1. सोशल नेटवक्रिग : सोशल नेटवक्रिग विज्ञापन का एक नवीन इलेक्ट्रानिक माध्यम है जिसे इंटरनेट के द्वारा प्रयोग किया जाता है। आधुनिक युग में कई सोशल नेटवक्रिग साइट्स प्रचलन में है, जैसे - Whatsapp, Google+, Facebook, Twitter, My space, Linkedin, Instagram Etc. सोशल नेटवक्रिग दोस्तों, रिश्तेदारों, परिवारजनों, ग्राहकों आदि को आपस में जोड़ने का प्लेटफॉर्म है। 

2. ई-मेल : ई-मेल दो शब्दों से मिलकर बना है। ई का आशय इलेक्ट्रानिक एवं मेल का आशय डाक से होता है। अर्थात जब किसी संदेश या सूचना को इलेक्ट्रानिक विधि से भेजा जाता है, उसे ई-मेल कहा जाता है। आधुनिक युग में ई-मेल विज्ञापन का सशक्त एवं प्रभावशाली इलेक्ट्रानिक माध्यम है, जिसमें कम्प्यूटर की सहायता तथा इंटरनेट के माध्यम से सूचनाओं एवं संदेशों का शीघ्र आदान-प्रदान किया जा सकता है। 

3. वेब पेज : इंटरनेट द्वारा विज्ञापन का यह एक सरल माध्यम । इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग के कारण अब अधिकतर कंपनियों ने उपभोक्ता से सुगम व सीधे संपक्र के लिए ऑनलाइन विज्ञापन शुरू कर दिया है। इसे 'वर्ल्ड वाइड वेब' के नाम से भी जाना जाता है। इसमे इंटरनेट पर विज्ञापनकर्ता द्वारा अपनी स्वयं की एक साइट का निर्माण किया जाता है। वेब पेज पर कंपनी अपने बारे में संपूर्ण जानकारी जैसे—कंपनी का नाम, स्थान आदि एवं उत्पाद एवं वस्तु के बारे में संपूर्ण जानकारी जैसे-वस्तु का मूल्य, वस्तु की मात्रा, वस्तु का प्रकार, उपलब्धता का समय, उपलब्धता का स्थान, तकनीकी विशेषताएं आदि जानकारियां दर्शकों के लिए वेबसाइट पर उपलब्ध करवाते है ।

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