श्रीमती मन्नू भंडारी नए दौर के कहानीकारों में अग्रणी स्थान रखती है। जन्म 3 अप्रैल 1931 . को मानपुरा राजस्थान में हुआ था। आपकी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर
में हुई। काशी हिन्दु विश्वविद्यालय से आपने हिन्दी में एम.ए. किया और कलकता में
अध्यापन कार्य करने लगी। कुछ समय बाद आपकी नियुक्ति दिल्ली विश्वविद्यालय में
प्राध्यापिका के पद पर हो गई।
मन्नू भंडारी की रचनाएं
कहानी संग्रह- मै हार गई, एक प्लेट सैलाब, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही
सच है।
मन्नू भंडारी के उपन्यास
महाभोज और आपका बंटी ।
मन्नू भंडारी की भाषा शैली
आपकी भाषा सब जगह सरलता, सहजता और बोलचाल का गुण लिए हुए है।
वाक्य छोटे और तद्भव और देशज शब्दावली के साथ-साथ बोलचाल की अंग्रेजी और
उर्दू के शब्दों का प्रयोग हुआ है।
मन्नू भंडारी का साहित्य मेंं स्थान
अपनी सहज सरल शैली के कारण मन्नू भंडारी का स्थान नए कहानीकारों में
विशिष्ट है।
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