उपचारात्मक पोषण क्या है?
आहार का बीमारी से बहुत महत्वपूर्ण संबंध होता है। रोग, रोग की गम्भीरता, रोगी के पोषण स्तर के अनुसार आहार को सुधारा जा सकता है। अत: एक साधारण, स्वस्थ्य व्यक्ति द्वारा लिये जाने वाले आहार में कुछ विशेष बदलाव लाकर उसे रोग की आवश्यकतानुसार सुधारा जा सकता है। आहार में बदलाव या सुधार की मात्रा रोग के प्रकार व गम्भीरता पर निर्भर है। रोग की अवस्था में आहार द्वारा प्रमुख रूप से रोग का उपचार अथवा रोग के उपचार में सहायता प्रदान की जाती है। इस आहार को उपचारात्मक पोषण (Therapeutic Nutrition) तथा इस विज्ञान को आहारीय उपचार (Diet Therapy) कहते हैं।प्रत्येक रोग में विशेष प्रकार के आहार की आवश्यकता होती है। रोग की स्थिति में किसी पोषक तत्व को कम किया जाना आवश्यक है तो दूसरी ओर किसी पोषक तत्व की माँग में वृद्धि हो जाने से उसे अधिक मात्रा में सम्मिलित करना आवश्यक होता है। रोग, कुपोषण एवं कमजोरी यह एक चक्र के रूप में चलती है। यदि रोग की स्थिति में पोषण पर ध्यान दिया जाये तो रोग में होने वाली दुर्बलता एवं कमजोरी को रोका जा सकता है। अत: रोगी को उचित एवं सन्तुलित आहार देना आवश्यक है। यदि रोगी को उचित पोषण नहीं मिलता तो रोग ठीक होने में भी अधिक समय लगता है और उसे अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं। उदाहरणार्थ - मधुमेह में उपचारात्मक पोषण का विशेष स्थान है। इसी प्रकार रोग के बाद की स्थिति (recovery condition) में भी उपचारात्मक पोषण काफी लाभप्रद सिद्ध होता है।