आर्द्रता किसे कहते हैं, आर्द्रता के प्रकार /aadrata kya hai

आर्द्रता किसे कहते हैं, वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प को वायुमण्डल की आर्द्रता कहते हैं। आर्द्रता को ग्राम प्रति घनमीटर में मापा जाता है। जब किसी वायु में उसकी क्षमता के बराबर जलवाष्प आ जाए तो उसे संतृप्त वायु कहते हैं। 

आर्द्रता के प्रकार

आर्द्रता के प्रकार आर्द्रता तीन प्रकार की होती है :- 
  1. निरपेक्ष आर्द्रता 
  2. विशिष्ट आर्द्रता
  3. सापेक्ष आर्द्रता 

1. निरपेक्ष आर्द्रता

हवा के प्रति इका आयतन में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं सामान्यत: इसे ग्राम प्रतिघन मीटर में व्यक्त किया जाता है।वायुमंडल की जलवाष्प धारण करने की क्षमता पूर्णत: तापमान पर निर्भर होती है ।हवा की आर्द्रता स्थान-स्थान पर और समय-समय पर बदलती रहती है ठंडी हवा की अपेक्षा गर्म हवा अधिक जलवाष्प धारण कर सकती है। 

उदाहरण के लिए 100 सेल्सियस के तापमान पर एक घनमीटर हवा 11.4 ग्राम जलवाष्प के रूप में धारण कर सकती है। यदि तापमान बढ़कर 210 सेल्सियस हो जाए तो हवा का वही आयतन (एक घनमीटर) 22.2 ग्राम जलवाष्प ग्रहण कर सकेगा। अत: तापमान में वृद्धि हवा की जल धारण क्षमता को बढ़ाती है, जबकि तापमान में गिरावट जलधारण की क्षमता को घटाती है। 

फिर भी यह एक अटल सिद्धांत के रूप मे पूरी तरह विश्वसनीय नहीं है, क्योंकि तापमान और वायुदाब मे परिवर्तन के साथ ही हवा के इस प्रकार आयतन में भी परिवर्तन होता रहता है और इस प्रकार निरपेक्ष आर्द्रता भी बदल जाती है।

2. विशिष्ट आर्द्रता

वायु के प्रति इकाई भार में जलवाष्प के भार को विशिष्ट आर्द्रता कहते है। 

3. सापेक्ष आर्द्रता

किसी निश्चित आयतन की वायु में वास्तविक जलवाष्प की मात्रा तथा उसी वायु के किसी दिए गए तापमान पर अधिकतम आर्द्रता धारण करने की क्षमता का अनुपात हैं। इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है -

       वायु में वाष्प दबाव सापेक्ष 
आर्द्रता = ----------------------------X 100 
संतप्त वाष्प दबाव

यदि हवा किसी तापमान पर जितनी आर्द्रता धारण कर सकती है, उतनी आर्द्रता धारण कर लेती है तो उसे ‘संतृप्त वायु’ कहते है। इसके बाद उस हवा में आर्द्रता धारण करने की क्षमता नही रह पाती।इस बिन्दू पर किसी वायु की सापेक्ष आर्द्रताशत-प्रतिशत होती है।सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि वह तापमान जिस पर एक दी गयी वायु पूर्णतया संतृप्त हो जाती हैं, उसे संतृप्त बिन्दू या ओसांक कहते है।

सापेक्षिक आर्द्रता का महत्व

सापेक्षिक आर्द्रता का जलवायु में अधिक महत्व होता है इसी की मात्रा पर वर्षा की संभावना होती हैं ऊॅंचे प्रतिशत पर वर्षा की संभावना तथा कम प्रतिशत पर शुष्क मौसम की भविष्यवाणी की जाती है सापेक्षिक आर्द्रता पर ही वाष्पीकरण की मात्रा निर्भर करती है। अधिक सापेक्षिक आर्द्रता होने पर वाष्पीकरण कम तथा कम होने पर वाष्पीकरण अधिक होता हैं।

2 Comments

  1. nice thanx for sharing digitalbanda.com

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  2. Aacha Hai but hum samjhe nahi sir Kya aap aur detail se de sakte Hai kyunki kuch word main humko problem Hai kyun ki main apni Zindagi barbaad Kar Diya thaa ab aach hua Hun. Please

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