आर्थिक नियोजन बीसवीं शताब्दी की देन है। यूरोपीय देशों में आद्यैागिक क्रांति के फलस्वरूप उत्पादन की न प्रणाली का जन्म हुआ। इस प्रणाली में निजी सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षा प्रदान की गई और प्रत्येक व्यक्ति को व्यावसायिक स्वतंत्रता प्रदान की गई। जिसे पूंजीवाद की संज्ञा दी गई लेकिन 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में इस नीति के दोष अनुभव किये जाने लगे इन्हें दूर करने के लिए राजकीय हस्तक्षेप का समर्थन किया जाने लगा। यहीं से नियोजन के विचार का सूत्र पात हुआ।
सर्वप्रथम 1928 में सोवियत संघ में पहली बार नियोजन को आर्थिक विकास के साधन के रूप में अपनाया गया। वहाँ की पिछडी़ हुई कृषि तथा औद्योगिक व्यवस्था को आधुनिक औद्योगिक शक्ति में बदलने के उद्देश्य से योजना आरम्भ की गई यह योजना सफल रही। इनका अन्य देशों पर भी गहरा प्रभाव पड़ा और इस प्रकार आर्थिक नियोजन का विचार बढ़ता रहा। नियोजन वर्तमान समय का महत्वपूर्ण आर्थिक नारा तथा सभी आर्थिक रोगों की औषधि बन गया है।
आर्थिक नियोजन से अभिप्राय, एक केन्द्रीय सत्ता द्वारा देश में उपलब्ध प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों को सन्तुलित ढगं से, एक निश्चित अवधि के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना है, जिससे देश का तीव्र आर्थिक विकास किया जा सके।
विकास योजनाओं के अन्तर्गत भावी विकास के उद्देश्यों को निर्धारित किया जाता है आरै उनकी प्राप्ति के लिए आर्थिक क्रियाओं का एक केन्द्रीय सत्ता द्वारा नियमन एवं संचालन होता है।
आर्थिक नियोजन की परिभाषा
विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक नियोजन को इस
प्रकार परिभाषित किया है आर्थिक नियोजन की परिभाषा है -
- श्रीमती बारबरा बूटन के अनुसार-“आयोजन का अर्थ है एक सार्वजनिक सत्ता द्वारा विचारपूर्वक तथा जानबूझ कर आर्थिक प्राथमिकता के बीच चुनाव करना।”
- डाल्टन के अनुसार-“आर्थिक नियोजन अपने विस्तृत अर्थ में विशाल साधनों के संरक्षक व्यक्तियों के द्वारा निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आर्थिक क्रियाओं का इच्छित निर्देशन है।”
- रॉबिन्स के अनुसार-“योजना बनाने का अर्थ है उद्देश्य बनाकर कार्य करना, चुनाव या निर्माण करना और निर्णय सभी आर्थिक क्रियाओं का निचोड है।”
- गुन्नार मिर्डल के अनुसार-“आर्थिक नियोजन राष्ट्रीय सरकार की व्यूह-रचना का एक कार्यक्रम है, जिसमें बाजार की शक्तियों के साथ-साथ सरकारी हस्तक्षेप द्वारा सामाजिक क्रिया को ऊपर ले जाने के प्रयास किये जाते है।“
- आर्थिक नियोजन एक ऐसी योजना है जिसमें आर्थिक क्षेत्र में राजकीय हस्तक्षेप तथा राज्य की साझेदारी होती है।
- नियोजन निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आर्थिक क्रियाओं का निर्देशन है।
- नियोजन का उद्देश्य सामाजिक क्रियाओं को ऊपर उठाना होता है।
- नियोजन उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग का एक तरीका है।
- नियोजन में उद्देश्यों का निर्धारण विचारपूर्वक तथा जानबूझकर किया जाता है।
- उद्देश्यों के बीच प्राथमिकताएं निर्धारित की जाती है।
- उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निश्चित समय निर्धारित किया जाता है।
आर्थिक नियोजन के उद्देश्य
आर्थिक नियोजन के उद्देश्य को तीन भागों में बांटा जा सकता है-- आर्थिक उद्देश्य,
- सामाजिक उद्देश्य,
- राजनीतिक उद्देश्य।
आर्थिक उद्देश्य
आर्थिक उद्देश्य के अन्तर्गत मुख्य रूप से उद्देश्य आते हैं-
- उत्पादन में वृद्धि-आर्थिक नियोजन का प्रमुख उद्देश्य देश में उपलब्ध भाैितक एवं मानवीय संसाधनों का समुचित उपयाेग कर उत्पादन की मात्रा में अधिकतम वृद्धि करना होता है।
- आय की समानता-पूजींवाद के पतन व समाजवाद के विकास ने इस उद्देश्य को अधिक परिपक्वता प्रदान की है। आज विश्व की प्रत्येक सरकार के लिए समाज के विभिन्न वर्गों में आय की समानता बनाए रखना आर्थिक नियोजन का मुख्य उद्देश्य बन गया है।
- साधनों का उचित उपयोग-आर्थिक नियोजन का मुख्य उद्देश्य देश में उपलब्ध संसाधनों का उचित उपयोग कर उत्पादन को बढ़ाना है।
- पूर्ण रोजगार-आर्थिक विकास आरै पूर्ण रोजगार पर्यायवाची है। जिस प्रकार बढ़ते हुए रोजगार का प्रत्येक सुअवसर राष्ट्रीय लाभांश में वृद्धि करता है ठीक उसी प्रकार आर्थिक विकास के फलीभूत होने पर ही रोजगार के नये सुअवसर प्राप्त होते हें। आर्थिक नियोजन का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार को प्राप्त करना होता है।
- अवसर की समानता-अवसर की समानता का अर्थ है देश की समस्त कार्यशील जनसंख्या को जीविकोपार्जन के समान अवसर प्रदान करना। आर्चर लुस के मतानुसार-“कुशलता की न्यूनतम तथा सम्पत्ति के असमान वितरण के कारण ही अवसर की असमानता का सूत्रपात होता है। “ नियोजन के माध्यम से शिक्षा प्रणाली में सुधार व प्रशिक्षण देकर लोगों की कुशलता में वृद्धि की जाती है।
- संतुलित विकास-सम्पूर्ण राष्ट्र के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए देश के अविकसित भागों का विकास करना अत्यन्त आवश्यक है। नियोजन के द्वारा कृषि एव आद्यैाेिगक क्षेत्रों में सन्तुलन बनाते हुए सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का बहमुखी विकास किया जा सकता है।
सामाजिक उद्देश्य
आर्थिक नियोजन के सामाजिक उद्देश्य हैं:-
- सामाजिक सुरक्षा-सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से सभी नागरिकों को विशेष कर श्रमिकों को पयार्प्त आय अवश्य मिलनी चाहिए जिससे कि वे एक उचित जीवन स्तर व्यतीत कर सके श्रमिकों की चिकित्सा व्यवस्था, बेरोजगारी भत्ता, निराश्रित पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन का समावेश सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत आता है।
- सामाजिक न्याय-नियोजन का उद्देश्य मात्र उत्पादन व आय बढा़ना नहीं है, बल्कि वितरण को समान बनाना भी है। आर्थिक नियोजन जाति, धर्म, लिंग के सभी भेद -भावों को भुलाकर प्रत्येक व्यक्ति को उन्नति के समान अवसर प्रदान करता है।
राजनीतिक उद्देश्य
आर्थिक नियोजन के राजनैतिक उद्देश्य इस प्रकार है-
- देश की सुरक्षा-आज प्रत्येक राष्ट्र द्वारा राजनीतिक सत्त की सुरक्षा सैन्य शक्ति में वृद्धि करना और शक्ति तथा सम्मान से उत्तरोत्तर विकास करने के लिए राजनैतिक उद्देश्यों को आर्थिक नियोजन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है।
- शांति की स्थापना-देश में जब तक शांति व्यवस्था नहीं होगी, तब तक आर्थिक उन्नति भी संभव नहीं है। शांति की स्थापना तभी होगी, जब समाज में समृद्धि व सम्पन्नता होगी। समाज में समृद्धि व सम्पन्नता नियोजन की द्वारा ही संभव है।
- रीति-रिवाजों में परिवर्तन-शिक्षा के प्रचार-प्रसार से सामाजिक प्रथाओं के साथ-साथ भावी पीढी़ का स्वास्थ्य व जीवन स्तर विकसित अवस्थाओं के अनुकलू बन जाता है। इस तरह शिक्षा में प्रसार कर आर्थिक नियोजन के द्वारा रीति-रिवाजों में समय के अनुकूल परिवर्तन किया जाता है।
Nice
ReplyDelete7300246371
ReplyDeleteNiec
DeleteThanks
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteआपके द्वारा लिखा गया आर्टिकल एक बहुत शानदार और अच्छा आर्टिकल माना गया है मेरी ओर से सुबह इच्छा शुभ आशाएं
ReplyDelete7049762401 contact here I am learning this work and i am interested writing in artical
Deleteधन्यवाद
Deleteबहुत धन्यावाद
ReplyDeleteVery very thanks
ReplyDeleteThanks Sir
ReplyDeleteधन्यवाद दादा
ReplyDeleteVery nice sir, thank you very much sir for giving all this information together.
ReplyDeleteThank for explain
ReplyDeletenice
ReplyDeleteNice sir thanks
ReplyDeleteश्रजय
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