बहुत सी छोटी छोटी इकाइयो से मिलकर बने उच्च अणुभार वाले यौगिक बहुलक कहलाते है। वह छोटी संरचनात्मक इकाई जिसकी पुनरावर्ती से बहुलक का निर्माण होता है एकलक कहलाती हैं। बहुलक निर्माण की प्रक्रिया को बहुलकीकरण कहते है।
बहुलक का वर्गीकरण
1. उत्पति के आधार पर बहुलक का वर्गीकरण
1. प्राकृतिक बहुलक - प्रकृति (पादप और जीवों) से प्राप्त बहुलक प्राकृतिक बहुलक होते हैं उदाहरणार्थ, स्टार्थ, सेल्यूलोज, प्राकृतिक रबर, प्रोटीन आदि।2. संश्लेषित बहुलक - प्रयोगशाला में विरचित किए गए बहुलक संश्लेषित बहुलक कहलाते है।यह मानव - निर्मित बहुलक भी कहलाते हैं उदाहरणार्थ, पॉलीथीन, पी.वी.सी., नायलॉन, टेफ्लॉन, बेकेलाइट, टेरिलीन, संष्लेशित रबर आदि।

2. संघनन बहुलक - दो या दो से अधिक एकलकों के संघनन और छोटे अणुओं जैसे H2O, NH3, HCI, ROH आदि के निश्कासन से बने बहुलक, संघनन बहुलक कहलाते है। इस प्रकार प्रत्येक एकलक में सामान्यत: दो अभिलक्षकीय समूह होते है। उदाहरण के लिए, नायलॉन -66, दो एकलकों के संघनन से और जल अणुओं के निश्कासन से बनता है- हेक्सामेथिलिनडाइऐमीन और एडिपिक अम्ल संघनित होने वाले एकलक हैं:
2. संरचना के आधार पर बहुलक का वर्गीकरण
1. रेखीय बहुलक - इस बहुलक में एकलक एकक आपस में जुड़कर रेखीय श्रृंखला बनाते है। रेखीय बहुलक अच्छे से संकुलित होने के कारण उच्च घनत्व वाले, उच्च लगिश्णु, (खींचने) की शक्ति, और उच्च गलनांक वाले होते है। उदाहरणार्थ पॉलीएथिलीन, नायलॉन, और पॉलीएस्टर।2. शाखित श्रृंखला बहुलक - इन बहुलकों में एकलक जुड़कर लम्बी श्रृंखला बनाते हैं जिनमें भिन्न लम्बा की शाखाएँ होती है। ये शाखित श्रृंखला बहुलक अनियमितता से संकुलित होते है, इसलिए इनकी लगिश्णु शक्ति, और गलनांक रेखीय बहुलक से कम होते हैं उदाहरणार्थ, घनत्व वाला पॉलीएथिलीन, ग्लाइकोजन, स्टार्च आदि।
3. क्रॉस लिंक्ड बहुलक - इन बहुलकों में लम्बी बहुलक श्रृंखलाएँ आपस में क्रॉस लिंक होकर त्रिविमीय जालबनाती हैं। जालीय संरचना के कारण ये बहुलक कठोर, दृढ़ और भंगुर होते हैं बेकेलाइट, मेलामाइट और फार्मेल्डिहाइड इस प्रकार के उदाहरण है।

3. बहुलकन की विधि के आधार पर बहुलक का वर्गीकरण
1. संकलन बहुलक - पुनरावृत्त एकलकों के सीधे संकलन और बिना किसी छोटे अणु के निश्कासन से बने बहुलक, संकलन बहुलक कहलाते है। इस प्रकार, एकलक असंतृप्त यौगिक और सामान्यत: एथीन के व्युत्पन्न होते है। संकलन बहुलक का मूलानुपाती सूत्र उसके एकलक के समान होता है। इसके उदाहरण है- पॉलीथीन, पॉली प्रोपाइलीन, और पॉलीविनाइल क्लोराइड आदि।
इस बहुलकन अभिक्रिया में हेक्सामेथिलीनडाइऐमीन -NH2 का समूह एडिपिक
अम्ल के - COOH समूह के साथ क्रिया करके H2O निश्कासित करता है -NH-CO- और
बंध बनाता है।
संघनन बहुलक के उदाहरण हैं नायलॉन-66, टेरिलीन, बैकेलाइट, एल्किल-रेसिन आदि।
4. आण्विक बलों के आधार पर बहुलक का वर्गीकरण
1. प्रत्यास्थलक (इलास्टोमर) - इसमें बहुलक श्रृंखलाएँ दुर्बल वॉन्डरवाल्स बलों से जुड़ी होती है। दुर्बल बलों के कारण इन बहुलकों को थोड़े से खिंचाव से ही फैलाया जा सकता है, खिंचाव हटाने पर वे अपना मौलिक आकार ले लेते है। ऐसा श्रृंखलाओं के बीच कम ‘क्रॉस लिंक’ के कारण है, जोकि बहुलक को बल हटने पर अपनी मौलिक अवस्था में आने देते है, जैसा कि वल्कनीकृत रबर में देखा जाता है। प्रत्यास्थलक का सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण प्राकृतिक रबर है।2. रेशे (फाइबर) - इन बहुलकों की श्रंखलाओं के प्रबल अंतराण्विक बल होते है। ये बल या तो हाइड्रोजन आबंध या द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्योन्य क्रिया होते है। प्रबल बलों के कारण श्रृंखलाएँ के बहुत करीब संकुलित होती हैं और बहुलक को उच्च लगिश्णु शक्ति और कम लचीलापन देती हैं। इन बहुलकों को लम्बे, पतले, धागों जैसे रेषों में खीचा जा सकता है और उन्हें बुनकर कपडा़ बनाया जा सकता है। सामान्य उदाहरण हैं - नायलॉन-66, डेक्रॉन, सिल्क आदि।
3. थर्मोप्लास्टिक - ये रेखीय बहुलक होते हैं जिनमें बहुत कम क्रॉस लिंक या को क्रॉस लिंक नही होते। बहुलक श्रृंखलाएँ दुर्बल वानडर वाल्स बलों से जुड़ी होती है और एक दूसरे पर फिसल सकती हैं क्रास लिंकों की कमी के कारण ये बहुलक गर्म करने पर नर्म हो जाते हैं और ठंडा करने पर कठोर या दृढ़ हो जाते है। अत: ये किसी भी आकार में ढाले जा सकते हैं। पॉलीथीन, पी.वी.सी. पॉलीस्टाइरीन संकलन थर्मोप्लास्टिक हैं और टेरिलीन, नायलॉन, सघंनन थर्मोप्लास्टिक हैं।
4. प्लास्टिककारी - कुछ प्लास्टिक गर्म करने पर ज्यादा नर्म नहीं होते। कुछ कार्बनिक यौगिक मिलाने पर इन्हें आसानी से नर्म किया जा सकता है, इन यौगिकों को प्लास्टिककारी कहा जाता है। उदाहरण के लिए पॉलीविनाइल क्लोराइड (पी.वी.सी.) बहुत सख्त और कठोर होता है परंतु डा-एन-ब्यूटाइलथैलेट (प्लास्टिककारी) मिलाने पर नर्म हो जाता है। डाइएल्किल थैलेट और क्रिसिल थैलेट कुछ और सामान्य प्लास्टिककारी हैं।
5. थर्मोसेटिंग बहुलक - थर्मोसेटिंग बहुलक केवल एक बार गर्म हो सकते हैं, ठंडा करने पर वे जिस आकृति में ढलते हैं सदा उसी में रह जाते हैं उन्हें दुबारा नर्म करके ढाला नहीं जा सकता। थर्मोसेटिंग बहुलक निम्न आण्विक द्रव्यमान वाले अर्ध - द्रव बहुलको से बनते हैं जो कि गरम करने पर आपस में अत्यधिक क्रॉस लिंक कर जाते हैं या को क्रॉस कारक मिलाने पर असंगलित, अघुलनशील कठोर संहति बन जाते हैं। क्रॉस लिंक अणुओं को अपनी जगह पर बांधे रखता हैं जिससे कि गरम करने पर भी वे यथास्थान रहते हैं। इसलिए थर्मोसेटिंग प्लास्टिक क्रॉस बंधित होते हैं और सदा कठोर रहते हैं। सामान्य उदाहरण, बैकेलाइट, मेलामाइन, फोर्मेल्डिहाइड - रेसिन आदि हैं।
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बहुलक
Thanks sir
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteThnxxx sir
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteThank u so much sir ji but now more
ReplyDeleteMany many thanks ji
ReplyDeleteBest ever...🌷
ReplyDeletethanks a lot
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