खनिज संसाधन किसे कहते हैं \\ खनिजों का वर्गीकरण। Classification of Minerals

खनिज संसाधन किसे कहते हैं

खनिज प्राकृतिक रासायनिक यौगिक तत्व हैं। जो प्रमुखता अजैव प्रक्रियाओं से बना हैं। भूमि से खोदकर निकाले गये पदार्थों को खनिज संसाधन कहते हैं।

खनिजों का वर्गीकरण

खनिजो की प्रकृति, संरचनाएवं उपयोगिता के आधार पर भारत में पाये जाने वाले खनिज पदार्थों को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है -

(1) धात्विक खनिज - लौह अयस्क, बाॅक्साइट, क्रोमाइट, ताम्र अयस्क, टापस्पोर, स्वर्ण आदि।

(2) अधात्विक खनिज - अगेट, एपेटाइट, फास्फोराइट, डोलोमाइट, अग्नि मिट्टी, चूना पत्थर, अभ्रक, गंधक, नमक, सिलिका आदि खनिज आते हैं।

(3) अन्य उपयोगी खनिज -
  1. ईंधन खनिज - कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।
  2. आण्विक खनिज - यूरेनियम, थोरियम, मोनोजाइट आदि।
  3. उर्वरक खनिज - सोडियम नाइट्रेट, पोटैशियम नाइटेªट, जिप्सम आदि।
  4. अपघर्षी खनिज - हीरा, पुखराज, स्फटिक आदि।

भारत के खनिज संसाधन 

भारत में पाये जाने वाले खनिज संसाधन हैं-
  1. लौह अयस्क, अभ्रक, बाक्साइड, बेरीलियम, सिलिकान, पत्थर, जिप्सम, बलुआ पत्थर, कोरंडम आदि। 
  2. बलुआ पत्थर, बैराइट, स्लेट, कोयला, क्रोमाइट, चूने का पत्थर, एंडीमनी, डोलोमाइट, फिटकरी, फॉस्फेट, तांबा, संगमरमर आदि। 
  3. पेट्रोलियम, सोना, चांदी, टिन, सीसा, टंगस्टन, पारा,प्लेटिनम, पोटाश, गंधक एंव एस्फाल्ट। 
1. लौह अयस्क - संसार में सबसे अधिक उपयोग लोहा से निर्मित वस्तुओ का हो रहा हैं। लौह अयस्क को आधुनिक सभ्यता की जननी कहा जाता हैं। यह लौह युग हैं। जहां बड़ी-बड़ी इमारते, पुल, भवन, मशीने, वाहन, कलपूर्जे आदि क प्रकार से बनायें जाते हैं। लौहा के प्रकार हैं-
  1. मेग्नेटाइट- यह सबसे उत्तम कोटि का अयस्क हैं। इसमें धातु अंश 70 प्रतिशत पायी जाती हैं। इसका रंग काला होता हैं। 
  2. हैमेटाइड- यह लाल,कत्थ, रंग का होता हैं। इसमें लोहांश 60 से 70 प्रतिशत पायी जाती हैं।
  3. लिमोनाइट- इसका रंग पीला या भूरा होता हैं। इसमें लोहांश की मात्रा 40 से 60 प्रतिशत तक पाया जाताहैं। 
  4. सिडेराइट- इसका रंग राख जैसे होता हैं। इसमें लोहांश 10 से 48 प्रतिशत पाया जाता हैं। 
लौह अयस्क का वितरण हैं--
  1. झारखण्ड- सिहं भूमि जिले में जो आमुंडी गुआ, पंसीरा बुरू तथा बुराबुरू मनोहरपुर कोहलन, हेमेटाइट प्रकार का लौहा मिलता हैं। इन लोहा खदानों से जमशेद पुर, दुर्गापुर, हीरापुर, कुल्टी, इस्पात संयंत्रों को पूर्ति की जाती हैं। 
  2. उड़ीसा-सुंदरगढ़, मयूरमंज, कोरापुर, एवं सम्बलपरु जिले में लौह अयस्क के भंडार हैं। विशेष रूप से सुलेपात, बादाम पहाड़, किसीवारू, की प्रसिद्ध खदाने हैं। यहां का लोहा जमशेदपुर, राउलकेला, लोहा इस्पात केंद्र को भेजा जाता हैं। 
  3. छत्तीसगढ़-यहां उत्तम कोटि का लोहा दुर्ग, बस्तर, रायपुर, रायगढ़ जिलों में मिलता हैं। दुर्ग जिले की दल्ली राजहरा की खदान विश्व विख्यात हैं। जहां से लोहा भिला स्पात संयंत्र को भेजा जाता हैं। बस्तर की बेलाडीला को संसार का खनिज आष्चर्य कहा जाता हैं। यहां का लोहा विशाखापटनम इस्पात संयंत्र को भेजा जाता है तथा जापान देश को निर्यात किया जाता हैं। 
  4. महाराष्ट्र- चांदा जिले के लोहारा, पीपलगांव, अकोला, देवलगांव, सूरजगढ़,गुल्टूर खानो से लौह अयस्क निकाला जाता हैं। 
  5. कर्नाटक- बेलारी, चिकमंगलूर, चित्तलदुर्ग, शिमोगा, तथा धारवाड़ क्षेत्र में लौह अयस्क निकाला जाता हैं। भद्रावती संयंत्र को यहां से कच्चे माल की पूर्ति की जाती हैं। 
  6. गोवा- यहां पिरना, अदेाल, पाले, ओनड़ा, कुदनेम, सुरला, उत्तरी गोवा में लौह के भंडार हैं। 
  7. व्यापार-भारत का लोहा सबसे अधिक जापान को जाता हैं। 
2. कोयला - औद्योगिक क्रांति का प्रमुख सूत्र कोयला ही रहा हैं। कोयला के प्रकार हैं-
  1. एंथ्रसाइट- यह सवोर्त्तम किस्म का कोयला हैं। इसमें कार्बन की मात्रा 80 से 95 प्रतिशत तक होता हैं। 
  2. बिटुमिनस-गोडंवाना काल की शैलों में मिलता हैं। इसमें कार्बन की मात्रा 60 से 80 प्रतिशत होती हैं। 
  3. लिग्नाइट-यह मध्यम श्रेणी का कोयला हैं। इसमें कार्बन की मात्रा 45 से 55 प्रतिशत होती हैं। 
  4. पीट कोयला- यह सबसे कम उपयोगी हैं। यह धुंआ बहुत देता हैं। इसमें कार्बन की मात्रा 40 प्रतिशत से कम होती हैं। 
कोयला का वितरण हैं -
  1. बिहार तथा झारखंड- यहां भारत का सर्वाधिक कोयला उत्पन्न होता हैं। दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र यहां पर स्थित हैं। 
  2. पश्चिम बंगाल- वर्तमान में रानीगंज प्रमुख कोयला उत्पादक केंद्र हैं।.
  3. मध्यप्रदेश- यहां सोननदी की घाटी, छिंदवाड़ा, बैतूल, नरसिंहपुर, कुरसिया,तथा होशंगाबाद में मिलता हैं 
  4. छत्तीसगढ़- तातापानी, रामकोला, चिरमिरी, विश्रामपुर, कोरबा, रायगढ़ से कोयला निकाला जाता हैं। 
  5. उड़ीसा- यहां सम्बलपुर तालचि, रामपुर, दोलबैरा, औरंगा में कोयला निकाला जाता हैं। 
3. खनिज तेल - पेट्रोलियम यह लैटिन भाषा के दो शब्दों पेट्रो और ओलियम से मिलकर बना हैं। जिसका अर्थ चट्टानी तेल होता हैं।भारत संपूर्ण विश्व का दस प्रतिशत पेट्रोलियम उत्पादन करता हैं। 
  1. असम-यहा लखीमपुर जिले में डिगबो बायापांग, हस्सापागं तथा पानाटोला के तेल कुयेंं हैं। 
  2. गुजरात-यहां खंभात क्षेत्र में लुनेज, अंकलेश्वर में तेल निकाला जाता हैं। 
  3. आंध्रप्रदेश (गोदावरी तेल क्षेत्र )- यहा पर थाले में तेल प्राप्ति हु। 
  4. मुम्ब हा तेल क्षेत्र- वर्तमान में यह देश का सबसे बड़ा तेल उत्पादक क्षेत्र बन गया हैं। 
4. मैगनीज - मैगनीज को जैक ऑफ ऑल ट्रेड्स कहते हैं , क्योंकि इसके अनेक उपयोग हैं। जैसे लोहे को कड़ा करना, उसकी गंदगी दूर करने, इस्पात बनाने, धातुओं को साफ करने एंव धातुकर्मी व रासायनिक उद्योगों में किया जाता हैं। 

4. बॉक्साइट - इससे एल्युमिनियम बनाया जाता हैं। यह अत्यंत महत्वपूर्ण हल्की धातु हैं। उच्च विद्युत संचालकता में यह बहतु उपयोगी हैं। इससे वायुदाब, निर्माण, बिजली के घरेलू उपयेगी सामान बनाते हैं। सफेद सीमेट के निर्माण आदि में होता हैं। 

6. तांबा - तांबे का उपयोग भारत में प्राचीन काल से होता रहा हैं। भारत में कुल संभावित भंडार लगभग 103 करोड़ टन हैं। मुख्य उत्पादक राज्य झारखंड, बिहार, राजस्थान, मध् यपद्रेश, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल आदि है। भारत में तांबे का उत्पादन कम होता हैं। अत: विदेशों से आयात करना पड़ता हैं। यहां संयुक्त राज्य अमेरीका, कनाडा, एवं जापान से आयात किया जाता हैं। बिजली के तार बनायें जाते हैं। 

7. सोना - सोना पीले रंग का चमकदार, ठोस भारी, मुलायम एंव जंग न लगने वाली धातु हैं। इसे कड़ा करने हेतु तांबा, निकल, चांदी, पीतल आदि धातुओं का मिश्रण किया जाता हैं। 

अन्य खनिजो का संक्षिप्त विवरण -

  1. चांदी:- चांदी बहु उपयोगी एंव कम मात्रा में मिलने वाली धातु हैं। भारत में मुख्यत: कर्नाटक में कोलार तथा झारखंड में सिंहभूमि क्षेत्र में मिलता हैं। 
  2. चूना पत्थर :- सीमेंट उद्योग में सबसे उपयोगी खनिज हैं। मध्यप्रदेश में सबसे अधिक उत्पादन होता है। छत्तीसगढ़ में भी चूना पत्थर बहुतायत से मिलता हैं। 
  3. नमक:- राजस्थान की डीडवाना, पंचभ्रदा, लूनकरन तथा सांभर झील के जल से नमक तैयार किया जाता हैं। चट्टानी नमक हिमालय क्षेत्र में द्राग तथा गुमा से प्राप्त होता हैं। 
  4. हीरा:- यह मध्यप्रदेश के पन्ना जिला तथा कृश्णा के थाले में मिलता हैं। रायपुर जिले के मैनपुर एंव देवभोग क्षेत्र में मिलने की उम्मीद हैं। 

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