किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल बाजार मूल्य के जोड़ को राष्ट्रीय आय (National income) कहते है।
यह भी पढ़ें: राष्ट्रीय आय क्या है? राष्ट्रीय आय को मापने की विधियां और कठिनाइयां
GDPMP = Qi × Pi
यहां, Qi= एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुएं
Pi=एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं की कीमतें
NNPMP = एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय - घिसावट या पूंजी उपभोग (Depreciation)
NDPMP= GDPMP – Depreciation
or
GDPMP= NDPMP + Depreciation
NDPFC=NDPMP – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
NDPFC=NDPMP – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (NIT)
यहां,
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (NIT) = अप्रत्यक्ष कर - आर्थिक सहायता
6. साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) - साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में सामान्य निवासियों द्वारा मजदूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रुप में अर्जित आय और पूंजी के उपभोग मूल्य का जोड़ है।
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तांतरण
निजी क्षेत्र को शुद्ध घरेलू उत्पाद से प्राप्त साधन आय = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद - विभागीय उद्यमों की सम्पत्ति तथा उद्यमवृति से प्राप्त आय - गैर विभागीय उद्यमों की बचत
वैयक्तिक आय = निजी आय - निजी उद्यमों की बचतें - निगम कर
1. उत्पादन विधि - इस विधि में मूल्य वृद्धि दृष्टिकोण से राष्ट्रीय आय मापी जाती है. इस
विधि द्वारा राष्ट्रीय आय मापने के चरण है-
उत्पादन विधि मापने में सावधानियां निम्नलिखित हैं-
आय वितरण विधि मापने में सावधानियां - आय वितरण विधि द्वारा राष्ट्रीय आय मापने में सावधानियां रखना आवश्यक है।
2. निवेश व्यय दो वर्गों में बाटा जाता है - 1.आर्थिक क्षेत्र के अंदर निवेश 2. आर्थिक क्षेत्र के बाहर निवेश
अंतिम व्यय विधि मापने में सावधानियां - व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय मापने में सावधानियां रखना
आवश्यकता हैं :-
2- दोहरी गणना की समस्या: GNP के मापन संबंधी दूसरी समस्या दोहरी गणना की है। अर्थात एक वस्तु के मूल्य को दो या अधिक बार जोड़ा जा सकता है। इससे बचने के लिए उत्पादित हुई अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के मूल्य को ही राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है। जैसे कुर्सी अन्तिम पदार्थ है। इसके मूल्य को ही इसके उत्पादन वर्ष की GNPमें सम्मिलित किया जाता है। यदि कुर्सी में प्रयोग हुई लकड़ी का प्रयोग दोबारा होता है तो वह मध्यस्थ पदार्थ कहलाता है जिसका मूल्य दोबारा गणना में आ जाता है। इसलिए इसे GNPमें सम्मिलित नहीं किया जाता है। केवल अन्तिम पदार्थ जो उपभोग के लिए तैयार होते है, के मूल्य को ही राष्ट्रीय आय में शामिल होती है।
4- स्टॉक में वृद्धि की समस्या:किसी वर्ष नये उत्पादन से किन्हीं अंतिम या मध्यस्थ वस्तुओं के स्टॉक में यदि वृद्धि हुई है तो उसे GNPमें जमा किया जाता है। यदि किसी वर्ष चने का अंतिम पदार्थों में प्रयोग नहीं हो पाता तो चने के स्टॉक में वृद्धि होगी। क्योंकि हमारा उद्देश्य उस वर्ष में हुए उत्पादन का दोहरी गणना से बचते हुए सही माप करना है। इसलिए GNPमें वास्तविक अंतिम वस्तुओं के उत्पादन और स्टॉक में वृद्धि या गिरावट को शामिल करते है।
राष्ट्रीय आय की अवधारणा
राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित विभिन्न अवधारणा या समुच्चयों का उल्लेख निम्न प्रकार से है:1. बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) - किसी देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में सभी उत्पादकों द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के बाजार मूल्य के जोड़ को बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद या आय कहते हैं।
GDPMP = Qi × Pi
यहां, Qi= एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुएं
Pi=एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं की कीमतें
2. बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP)बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) एक देश की घरेलू सीमा के सामान्य निवासियों द्वारा एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के जोड़ में शामिल विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय है।
विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFIA)= देश के निवासियों द्वारा विदेशों से अर्जित साधन आय - गैर निवासियों द्वारा देश में अर्जित साधन आय।
इस प्रकार,
GNPMP = GDPMP + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFIA)
3. बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) - बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद देश की घरेलू सीमा तथा शेष विश्व में सामान्य निवासियों द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य की वह राशि है जो सकल राष्ट्रीय में घिसावट या स्थाई पूंजी के उपभोग के व्यय को घटाकर शेष रहती है।
NNPMP = एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय - घिसावट या पूंजी उपभोग (Depreciation)
4. बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) - बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद किसी देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में सभी उत्पादकों द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य तथा स्थायी पूंजी के उपभोग की अन्तर है।
NDPMP= GDPMP – Depreciation
or
GDPMP= NDPMP + Depreciation
5. साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPFC)एक देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में अर्जित साधन आय अर्थात् लगान, मजदूरी, ब्याज और लाभ के कुल जोड़ को साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद कहते है।
NDPFC=NDPMP – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
NDPFC=NDPMP – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (NIT)
यहां,
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (NIT) = अप्रत्यक्ष कर - आर्थिक सहायता
6. साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) - साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में सामान्य निवासियों द्वारा मजदूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रुप में अर्जित आय और पूंजी के उपभोग मूल्य का जोड़ है।
GDPFC = NDPFC+ Depreciation
7. साधन लागत पर शुद्धराष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) - साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद एक वर्श में एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा अर्जित कुल साधन आय का जोड़ होता है।
NNPFC= NDPFC + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFIA)
8. साधन लागत पर सकलराष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) - यदि साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में घिसावट व्यय को जोड़ दिया जाए तो साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त हो जाता है।
GNPFC= NNPFC + Depreciation
9. राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (National Disposable Income) - किसी देश की राष्ट्रीय प्रयोज्य आय उस देश की राष्ट्रीय आय, शुद्ध अप्रत्यक्ष कर तथा शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तांतरण आय का जोड़ है।
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तांतरण
10. निजी क्षेत्र को शुद्ध घरेलू उत्पाद से प्राप्त साधन आय (Factor Income from Net Domestic Product Accruing to Private Sector):निजी क्षेत्र को शुद्ध घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय में साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद का केवल वह भाग ही शामिल किया जाता है जो निजी क्षेत्र को प्राप्त होता है।
निजी क्षेत्र को शुद्ध घरेलू उत्पाद से प्राप्त साधन आय = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद - विभागीय उद्यमों की सम्पत्ति तथा उद्यमवृति से प्राप्त आय - गैर विभागीय उद्यमों की बचत
11. निजी आय (Private Income)निजी आय वह आय है जो निजी क्षेत्र को सभी स्रोतों से प्राप्त होने वाली साधन आय तथा सरकार से प्राप्त वर्तमान हस्तांतरण और शेष विश्व से प्राप्त वर्तमान हस्तांतरण का जोड़ है।
निजी आय = निजी क्षेत्र को शुद्ध घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + विदेशों से शुद्ध साधन आय + सरकार से वर्तमान हस्तांतरण + शेष विश्व से शुद्ध वर्तमान हस्तांतरण
12. वैयक्तिक आय (Personal Income)वैयक्तिक आय व्यक्तियों तथा परिवारों द्वारा सभी स्रोतों से वास्तव में प्राप्त साधन आय तथा वर्तमान हस्तांतरण भुगतान का जोड़ है।
वैयक्तिक आय = निजी आय - निजी उद्यमों की बचतें - निगम कर
13. प्रयोज्य आय (Personal Income) - प्रयोज्य आय वह आय है जो व्यक्तियों तथा परिवारों को सभी स्रोतों से प्राप्त होती है तथा उनके पास सरकार द्वारा उनकी आय तथा सम्पत्तियों पर लगाए गए सब प्रकार के करों का भुगतान करने के बाद बचती है।
प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय - प्रत्यक्ष वैयक्तिक कर - सरकार के प्रशासनिक विभागों की विविध प्राप्तियां
राष्ट्रीय आय को मापने की विधियां
राष्ट्रीय आय को मापने की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए
1. देश के आर्थिक क्षेत्र में स्थित उत्पादन इकाईयों को औद्योगिक वर्गों में
बॉटना जैसे - कृषि खनन, विनिर्माण, बैंकिंग, व्यापार आदि.
2. निम्नलिखित चरणों में प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्रों की साधन लागत पर शुद्ध
मूल्य वृद्धि का अनुमान लगाना.
- उत्पादन के मूल्य का अनुमान लगाना.
- मध्यवर्ती उपभोग के मूल्य का अनुमान लगाना और इसे उत्पादन मूल्य में से घटाकर बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करना.
- बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि में से स्थिर पूंजी का उपभोग व अप्रत्यक्ष कर घटाकर और आर्थिक सहायता जोडकर साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करना संक्षेप में - उत्पादन का मूल्य-मध्यवर्ती उत्पाद का मूल्य=बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि-स्थिर पूंजी का उपभोग- शुद्ध अप्रत्यक्ष कर= साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि
4. साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
जोडकर राष्ट्रीय आय ज्ञात करना
1. उत्पादन की दोहरी गणना से बचे :-
इसके लिए कुल उत्पादन का मूल्य लेने के बजाय प्रत्येक उत्पादन
इकाइ्र की केवल शुद्ध मूल्य वृद्धि ही लें इस प्रकार राष्ट्रीय आय के मापन
में दोहरी गणना के समस्या से बचा जा सकता है।
2. स्वय उपभोग के लिए किया गया उत्पादन-
जिसकी कीमत लगायी जा सकती हो उत्पादन में अवश्य शामिल
किया जाना चाहिए इससे राष्ट्रीय आय का सही अनुमान लगेगा उदाहरण
के लिए, यदि एक परिवार गेहूँ का उत्पादन करता है और उसका एक
भाग परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रख लेता है तो
इस स्वयं उपभोग के लिए रखे गये उत्पादन का मूल्य उत्पादन मे अवश्य
शामिल किया जाना चाहिए।
3. पुरानी वस्तुओं का विक्रय-
चालू उत्पादन में शामिल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इनका
मूल्य पहले ही उत्पादन में शामिल किया जा चुका है लेकिन इस विक्रय
के पीछे जो सेवाएं है उनका मूल्य इसमें अवश्य शामिल किया जाना
चाहिए क्योंकि इनका उत्पादन नया है मान लिजिए आप एक पुरानी साइकिल बेचते है इस साइकिल का मूल्य उत्पादन मूल्य में शामिल नहीं
किया जायेगा क्योंकि इसे उत्पादन में तब शामिल कर लिया गया था जब
न साइकिल बेची गई थी।
1. उत्पादन इकाइयों का औद्योगिक क्षेत्रों में वर्गीकरण करें जैसे कृषि, वानिकी,
विनिर्माण, बैंकिंग व्यापार आदि।
ख. प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्र द्वारा भुगतान की ग निम्नलिखित साधन आयो का
अनुमान लगाये।
- कर्मचारियों का पारिश्रमिक
- किराया,
- ब्याज,
- लाभ एक औधोगिक वर्ग द्वारा भुगतान की गई साधन आयोग का योग उस क्षेत्र द्वारा साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि के समान होता है।
3. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात करने के लिए साधन लागत
पर शुद्ध घरेलू उत्पाद में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय जोड़ें
- कर्मचारियों के पारिश्रमिक का अनुमान लगाते समय कर्मचारियों को मिलने वाली नगद मजदूरी के अलावा सुविधाओं के रूप में मिलने वाली सभी लाभ शामिल करने चाहिए कर्मचारियों को मिलने वाला केवल नगद भुगतान ही शामिल नहीं करना चाहिए
- ब्याज का अनुमान लगाते समय केवल उत्पादन के लिए दिये गये ऋण पर मिलने वाले ब्याज ही शामिल किया जाना चाहिए उपभोग के लिए ऋण पर दिये जाने वाला ब्याज गैर साधन आय है अत: यह राष्ट्रीय में शामिल नहीं होता।
- उपहार, दान, कर, जुर्माना, लाटरी आदि से आय साधन आय ना होकर हस्तांतरित आय है अत: इन्हें राष्ट्रीय आय के अनुमान में शामिल नहीं करते।
1. उपभोग उपभोग पर अंतिम व्यय का वर्गीकरण - 1. परिवार उपभोग व्यय 2. सामान्य सरकार उपभोग व्यय में किया जाता हैं
2. निवेश व्यय दो वर्गों में बाटा जाता है - 1.आर्थिक क्षेत्र के अंदर निवेश 2. आर्थिक क्षेत्र के बाहर निवेश
- निजी अंतिम उपभोग व्यय
- सरकारी अंतिम उपभोग व्यय
- सकल घरेलु पूंंजी निर्माण
- शुद्ध निर्यात
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद में से स्थिर पूंजी का उपभोग और
अप्रत्यक्ष कर घटाकर तथा आर्थिक सहायता जोड़कर साधन लागत पर
शुद्ध घरेलू उत्पाद ज्ञात होता है।
साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
जोडने पर साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात होता है
- मध्यवर्ती उत्पादों में होने वाले व्यय को शामिल न करें ताकि व्यय की दोहरी गणना से बचे केवल अंतिम उत्पादों पर होने वाले व्यय को शामिल करें
- उपहार, दान, कर, छात्रवृित्त आदि के रूप में होने वाला व्यय अंतिम उत्पादों पर होने वाला व्यय नहीं है ये हस्तांतरणीय व्यय है जिन्हें राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं करना चाहिए
- पुरानी वस्तुओं के खरीदने पर होने वाला व्यय शामिल नहीं करना चाहिए क्योंकि जब ये वस्तुएं पहली बार खरीदी ग इन पर किया गया शामिल हो चुका था
राष्ट्रीय आय को मापने में कठिनाइयां
राष्ट्रीय उत्पादन के मापने संबंधी समस्याएं निम्न प्रकार से है:1- GNP पर कीमतों का प्रभाव: उत्पादित हुई वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों के आधार पर GNPका माप सांकेतिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहलाता है। परंतु इसके आधार पर हम एक वर्ष की GNPको दूसरे वर्ष की GNPसे तुलना नहीं कर सके। क्योंकि यह कम या अधिक हो सकती है। इसका कारण है कि एक वर्ष की बाजार कीमतें कम या अधिक रही हो न कि उत्पादन। इस समस्या से बचने के लिए सभी वर्षों की GNPको स्थिर कीमतों के आधार पर मापा जाता है जो वास्तविक राष्ट्रीय आय कहलाता है।
2- दोहरी गणना की समस्या: GNP के मापन संबंधी दूसरी समस्या दोहरी गणना की है। अर्थात एक वस्तु के मूल्य को दो या अधिक बार जोड़ा जा सकता है। इससे बचने के लिए उत्पादित हुई अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के मूल्य को ही राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है। जैसे कुर्सी अन्तिम पदार्थ है। इसके मूल्य को ही इसके उत्पादन वर्ष की GNPमें सम्मिलित किया जाता है। यदि कुर्सी में प्रयोग हुई लकड़ी का प्रयोग दोबारा होता है तो वह मध्यस्थ पदार्थ कहलाता है जिसका मूल्य दोबारा गणना में आ जाता है। इसलिए इसे GNPमें सम्मिलित नहीं किया जाता है। केवल अन्तिम पदार्थ जो उपभोग के लिए तैयार होते है, के मूल्य को ही राष्ट्रीय आय में शामिल होती है।
3- पूँजीगत पदार्थों से सम्बन्धित समस्या: GNP का अनुमान लगाते समय एक अन्य समस्या पूँजीगत पदार्थों जैसे मशीनरी प्लांट आदि के उत्पादन से संबंधित है। पूँजीगत पदार्थ अंतिम वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होते है। इसलिए इन्हें मध्यस्थ पदार्थ कहा जाता है। और इनके मूल्य को अलग से GNPमें शामिल नहीं किया जाता है। परंतु यदि वर्ष के दौरान उत्पादन में वृद्धि होती है तो स्टॉक में वृद्धि होगी। देश की GNPको बढ़ाने के लिए शुद्ध निवेश में परिवर्तन संबंधी ज्ञात अति महत्वपूर्ण है। इसलिए नई मशीनों व अन्य पूँजीगत पदार्थों के स्टॉक में वृद्धि को GNPमें अलग से दर्शाते हुए जमा करना अति आवश्यक है।
4- स्टॉक में वृद्धि की समस्या:किसी वर्ष नये उत्पादन से किन्हीं अंतिम या मध्यस्थ वस्तुओं के स्टॉक में यदि वृद्धि हुई है तो उसे GNPमें जमा किया जाता है। यदि किसी वर्ष चने का अंतिम पदार्थों में प्रयोग नहीं हो पाता तो चने के स्टॉक में वृद्धि होगी। क्योंकि हमारा उद्देश्य उस वर्ष में हुए उत्पादन का दोहरी गणना से बचते हुए सही माप करना है। इसलिए GNPमें वास्तविक अंतिम वस्तुओं के उत्पादन और स्टॉक में वृद्धि या गिरावट को शामिल करते है।
5- आयात और निर्यात:सकल राष्ट्रीय उत्पाद की गणना करते समय घरेलू उत्पादकों द्वारा कितने मूल्य की वस्तुओं का आयात और निर्यात किया है। इसका भी हिसाब लगाया जाता है। घरेलू उत्पादक, व्यापारी और सरकार बहुत से अंतिम और मध्यवर्ती वस्तुओं का निर्यात करते है। जो उस देश में नहीं खरीदे जाते और बहुत से पदार्थों का आयात किया जाता है जो उस देश में उत्पादित नहीं होते जैसे मशीनरी, कैमरे, कच्चा माल आदि जो घरेलू उत्पादन में सहायक होते है। देश में GNPको निकालते समय सरकार द्वारा आयतित पदार्थों की खरीद को कुल स्टॉक वृद्धि में से निकाल दिया जाता है और निर्यात वस्तुओं को जोड़ दिया जाता है।
6- स्व उपभोग के लिए उत्पादन:उत्पादन की काफी मात्रा का उत्पादकों द्वारा स्वयं उपभोग कर लिया जाता है। जैसे किसान द्वारा अनाज का, दूध उत्पादकों द्वारा दूध का। इसी प्रकार उद्योगों व सरकारों द्वारा भी किया जाता है। यह उत्पादन का वह हिस्सा है जो बाजार में बिकने नहीं आता। परंतु यह GNPका हिस्सा अवश्य है क्योंकि देश में उसका उत्पादन होता है।
Nice
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