कैबिनेट मिशन 1946 क्या है | What is cabinet mission 1946 in hindi

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन में मजदूर दल की सरकार बनी तथा मि. एटली प्रधानमंत्री बने । उन्होंने केबिनेट के 3 सदस्यों को भारत भेजा जिसे कैबिनेट मिशन कहा जाता है । 

1945-46 की शीत ऋतु में इंग्लैन्ड में चुनाव हुए वहाँ श्रमिक दल की सरकार बनी। प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली बने तथा भारत सचिव लाॅड पेथिक लाॅरेंस बने। नयी सरकार का भारत के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण था।

भारतीय परिस्थितियों की वास्तविकता की जांच के लिये ब्रिटेन की सरकार ने एक शिष्ट मंडल की रिपोर्ट के आधार पर 19 फरवरी 1946 को भारत सचिव लाॅर्ड पेथिक लारेंस ने एक कैबिनेट मिशन को भारत भेजने की घोषणा की।
ब्रिटिश सरकार ने मार्च 1946 में एक कैबिनेट मिशन भारत भेजा कि भारतीय नेताओं से भारतीयों को सत्ता सौंपने की शर्तों के बारे में बातचीत की जाये। 

15 मार्च, 1946 ई. को ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने घोषणा की सम्राट की सरकार ने भारत को स्वतंत्रता दिये जाने का निर्णय लिया है। भारत को भी यह निर्णय करने का अधिकार होगा कि वह राष्ट्रमंडल से पृथक होना चाहता है या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों के हितों का पूरा ध्यान रखा जायेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे तीन मंत्रियों को भारत भेज रहे हैं जो समस्या का अध्ययन करेंगे और समाधान निकालेंगे। इसी घोषणा के आधार पर कैबिनेट मिशन 24 मार्च को दिल्ली आ पहुँचा। उसमें तीन सदस्य थे- भारत मंत्री पैथिक लारेंस, सर स्टेफर्ड क्रिप्स और ए. वी. अलैक्जेण्डर। भारत मंत्री ने उनके दो प्रमुख उद्देश्यों को स्पष्ट कर दिया था- स्वतंत्र भारत का संविधान बनाने के लिये मशीनरी की स्थापना करना और केन्द्र में अंतरिम शासन की स्थापना करना।

कैबिनेट मिशन 1946 के सुझाव (Suggestions of Cabinet Mission 1946)

इस मिशन ने निम्न सुझाव दिये-
  1. भारतीय संघ का निर्माण - समस्त भारत के लिए एक संघ का निर्माण किया जाए, जिसमें सभी ब्रिटिश भारत और देशी रियासतें शामिल हों । 
  2. विदेश, रक्षा, यातायात पर केन्द्र का अधिकार- विदेश नीति, प्रतिरक्षा तथा यातायात आदि विषय केन्द्र के पास रखे जाएं और शेष विषय प्रान्तों के पास रहें । 
  3. साम्प्रदायिक  समस्या- साम्प्रदायिक समस्याओं का निर्णय इस सम्प्रदाय के सदन में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से लिया जाएगा । 
  4. प्रान्तों को अधिकार- प्रान्तों को अपना अलग संविधान बनाने का अधिकार होगा। 
  5. संविधान सभा का निर्माण- भारत के लिए 389 सदस्यों से युक्त संविधान सभा का निर्माण होगा । 
  6. अन्तरिम सरकार की स्थापना- एक अन्तरिम सरकार का निर्माण होगा, जिसमें सभी दलों के सदस्य सम्मिलित किए जायेंगे । 
  7. देशी रियासतों को अधिकार- देशी रियासतों का भी जनसंख्या के आधार पर संविधान सभा में प्रतिनिधित्व रहेगा । 
  8. ब्रिटिश सत्ता का अंत- भारत के स्वतंत्र होते ही देशी रियासतों पर ब्रिटिश ताज की अधीश्वरता समाप्त हो जाएगी । 
कैबिनेट मिशन योजना अब तक ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रस्तुत योजनाओं में सर्वश्रेष्ठ थी । 

अन्तरिम सरकार की स्थापना- कैबिनेट मिशन योजना के अन्तर्गत भारत का संविधान बनाने के लिए ‘संविधान सभा’ के लिए जो चुनाव हुए उसमें कांग्रेस को असाधारण सफलता प्राप्त हुई । उसे संविधान सभा के 296 स्थानों में से 212 स्थान प्राप्त हुए जबकि मुस्लिम लीग को केवल 73 स्थान मिले । इस प्रकार मि. जिन्ना की स्थिति बहुत कमजोर हो गई ।

माउण्ट बेटन योजना - 20 फरवरी, 1947 ई. को ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने घोषणा कर दी कि ब्रिटिश सरकार जून, 1948 ई. तक जिम्मेदार भारतीयों के हाथ सत्ता सौंपने का कार्य सम्पन्न कर लेगी । सत्ता हस्तान्तरण का कार्य सुगम बनाने के लिए वायसराय लार्ड वेवल के स्थान पर लार्ड माउण्ट बेटन को नियुक्त किया गया । यह परतंत्र भारत का अंतिम गवर्नर जनरल था । 3 जून, 1947 ई. को नये वाससराय माउण्टबेटन ने अपनी योजना प्रस्तुत की जो माउण्ट बेटन योजना कहलाती है- इस योजना के निर्णय थे-
  1. भारत का पृथक एवं स्वतंत्र राज्यों में विभाजन- (a) भारतीय संघ और (b) पाकिस्तान।
  2. पाकिस्तान पश्चिमी पंजाब (पंजाब विभाजित) पूर्वी बंगाल (बंगाल विभाजित) सिंध एवं उत्तरी पश्चिमी सीमा प्रान्त (NWFP) को मिलाकर बनेगा ।
  3. भारतीय देशी रियासतों को अपने भाग्य को स्वयं तय करने की छूट दी गई, अर्थात वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकते थे ।
  4. विभाजन की योजना को मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस दोनों ने स्वीकार कर लिया । 4 जुलाई, 1947 ई. को माउण्ट बेटन योजना के आधार पर भारतीय स्वतंत्रता का बिल ब्रिटिश संसद में पेश किया गया जो 18 जुलाई, 1947 ई. को पास हो गया । इसके आधार पर भारत से ब्रिटिश शासन समाप्त हो गया । औपचारिक तौर पर भारत अगस्त, 1947 ई. को स्वतंत्र हुआ ।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम - 4 जुलाई 1947 ई. को पास ब्रिटने की संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित कर दिया । इस अधिनियम की मुख्य धाराएं  हैं-
  1.  दो अधिराज्यों की स्थापना- 15 अगस्त, 1947 ई. काे भारत तथा पाकिस्तान दो स्वतंत्र राज्य बना दिये जायेंगे तथा ब्रिटिश सरकार उन्हें सत्ता सौंप देगी । 
  2. संविधान सभाओं का निर्माण- दोनों राज्यों की संविधान सभाएं अपने-अपने देशों के लिए संविधान का निर्माण करेंगी । 
  3. राष्ट्रमण्डल की सदस्यता- भारत और पाकिस्तान दोनों राज्यों काे राष्ट्र मण्डल में बने रहने या छोड़ने की स्वतंत्रता रहेगी । 
  4. भारत सचिव पद की समाप्ति- भारत सचिव का पद समाप्त कर दिया जाएगा तथा दोनों देशों को ब्रिटिश नियन्त्रण से मुक्त कर दिया जाएगा । 
  5. ब्रिटिश शक्ति का अत- भारत और पाकिस्तान के संबंध में ब्रिटिश सरकार की समस्त शक्तियां समाप्त कर दी गई । 
  6. 1935 ई. के अधिनियम द्वारा अन्तरिम शासन- नये संविधान के बनने तक 1935 ई. के अधिनियम के अनुसार दोनों देशों का शासन चलेगा ।
  7. ब्रिटिश की प्राचीन संिधयों की समाप्ति- भारत के देशी राज्यों पर से ब्रिटिश सम्प्रभुता समाप्त कर दी गई तथा ब्रिटेन और उनके बीच की गई पुरानी सन्धियां समाप्त हो गई। 
  8.  दोनों देशों में गवर्नर जनरल की व्यवस्था- भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में एक-एक गवर्नर जनरल होगा, जिसकी नियुक्ति उनके मंत्रिमण्डल की सलाह से की जाएगी । 15 अगस्त, 1947 ई. को देश का विभाजन हो गया और भारत तथा पाकिस्तान दो अलग-अलग देश बने ।

Post a Comment

Previous Post Next Post