कुछ विद्वानों का विचार है कि “बैंक“ शब्द का प्रयोग सर्व प्रथम इटली मे किया गया जहां पर बैंक आफ वेनिस की स्थापना की गयी। सन् 1771 में वेनिस राज्य में युद्ध छिड़ जाने पर वहाँ आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई। संकट की स्थिति से निपटने के लिये राज्य द्वारा प्रत्येक नागरिक से उसकी संपत्ति का एक प्रतिशत अनिवार्य ऋण के रूप से मांगा गया। ऋण के रूप में पर्याप्त धनराशि एकत्र हो गई जिसे सामूहिक रूप से MONTE कहा गया। जिसका अभिप्राय “पहाड“ से है। Monte का जर्मन पर्याय Banck है, जिसका अभिप्राय कोष (Fund) है। बाद में यह शब्द इटली मे Bancco, फ्रांस में Banke तथा इंग्लैण्ड में Bank के नाम से विख्यात हो गया।
बैंक का अर्थ
बैंक का अभिप्राय मुद्रा मे लेन-देन करने वाली संस्था से है। बैंक वह संस्था है जो मुद्रा में लेन-देन करती है, जहां धन का जमा, संरक्षण तथा निर्गमन होता है, तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर धनराशि भेजने की व्यवस्था की जाती है। बैंक धन जमा एवं ऋण प्रदान करने के अलावा कई अन्य कार्य जैसे:- चैक का भुगतान, डिमॉड ड्राफ्ट, क्रेडिट कार्ड सेवाऐं, ए.टी.एम सेवाएं, प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय आदि कार्य भी करती हैं।
दूसरे शब्दों में - ‘‘बैंक वे वित्तीय संस्थान हैं जो लोगों की समय व मॉग जमा को स्वीकार करने, ऋण बनाने, प्रतिभूतियों का निवेश करके धन एकत्रित करने हेतु सरकार द्वारा लाइसेंस प्रदान किये जाते हैं। यह विषेश रूप से चार्ज तथा भुगतान की गयी ब्याज दरों के अंतर से लाभ अर्जित करते हैं।
बैंक की परिभाषा
किनले के अनुसार “बैंकर अपने और अन्य लोगों के ऋण का व्यवसायी होता है।”क्राउथर के अनुसार “बैंक वह व्यक्ति या संस्था है जो सदैव जमा के रूप में मुद्रा को लेने और उसे जमा करने वालों के चैकों द्वारा लौटाने के लिए तैयार रहती है।”
वाल्टर लीफ के अनुसार “बैंकिंग से तात्पर्य ऋण देने अथवा विनियोग के आशय से जनता से जमाएँ प्राप्त करना है जोकि माँग पर भुगतान योग्य होती है तथा चैक, ड्राफ्ट अथवा अन्य प्रकार की आज्ञा द्वारा शोधनीय होती है”
केंट के अनुसार:- ‘‘केंट ने अपनी परिभाषा के अन्तर्गत बैंक को एक संगठन के रूप में परिभाषित किया हैं जिसका प्रमुख संचालन आम जनता के अस्थायी रूप से निष्क्रिय धन के संचय से संबंधित हैं जो व्यय के लिये दूसरों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कार्य करते हैं।
सेयेट के अनुसार - ‘‘साधारण बैंकिंग व्यवसाय में बैंक जमा के लिये नगदी बदलना और नगदी के लिये बैंक जमा आदि शामिल हैं। बैंक जमा को एक व्यक्ति या निगम से दूसरे को स्थानांतरित करना, विनिमय के बिलों के बदले बैंक जमा देना, सरकारी बाँड सुरक्षित या असुरक्षित बादे आदि शामिल हैं।’’
क्रॉथर के अनुसार- ‘‘एक बैंक अपने तथा अन्य लोगों के लिये एक डीलर हैं।’’
जॉन हैरी के अनुसार- ‘‘बैंक एक आर्थिक संस्थान हैं जिसका मुख्य उद्देश्य पैसे और क्रेडिट साधन के आदान-प्रदान के माध्यम से लाभ कमाना हैं।’’
आर. पी. केन्ट के अनुसार- ‘‘एक बैंक एक संस्था हैं जिसका प्रमुख कार्य लोगों के बिना सोचे समझे धन एकत्रित करना और दूसरे लोगों को उधार देना शामिल हैं।’’
आर.एस.सेयर्स के अनुसार - ‘‘बैंक वे संस्थान होते हैं जिनके ऋणों को आमतौर पर अन्य लोगों के निपटान में स्वीकार किया जाता हैं।’’
केयरक्रॉस के अनुसार - ‘‘एक बैंक ऋण एवं ऋण डीलर के रूप में एक वित्तीय मध्यस्थ हैं।’’
चैम्बर्स शब्दकोश में बैंक का अर्थ ’’मुद्रा जमा करने, ऋण देने एवं मुद्रा का व्यवहार करने वाली संस्था के रूप में वर्णित हैं।
बैंक के प्रकार
1. वाणिज्यिक बैंक
वाणिज्यिक बैंक वे बैंकिग संस्थान है जो जन साधारण से जमा स्वीकार करती हैं तथा अपने ग्राहकों को अल्प अवधि ऋण देती हैं। बैंकिग वाणिज्यिक बैंको के भी विभिन्न प्रकार है जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक और विदेशी बैंक ।1. सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक- सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंको
मे अधिकांश भागीदारी भारत सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक की होती है
भारतीय बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सिन्डीकेट बैंक, देना बैंक आदि इसके
उदाहरण है।
2. निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक- निजी क्षेत्र वाणिज्यिक बैंको में बैंको की
अधिकांश अंश पूॅजं ी निजी हाथों में होती है यह बैंक सार्वजनिक कम्पनी के
रूप में पंजीकृत होते है। इस वर्ग के बैंको के उदाहरण हैं जम्मू एवं कश्मीर
बैंक लि. कोटक बैंक, एच.डी.एफ.सी. बैंक लि. आदि।
2. विदेशी बैंक- ऐसे बैंक जिनकी स्थापना व समामेलन विदेशों में हुआ है
लेकिन इनकी शाखाएं हमारे देश मे कार्यरत है इस वर्ग के बैंक हैं हांगकांग
एण्ड शंघाई बैंकिंग कार्पोरेशन (एच.एस.बी.सी) बैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस
बैंक, स्टैन्डर्ड एण्ड चार्टर्ड बैंक, एबीएन ऐमरो बैंक इत्यादि।
रिजर्व बैंक सरकार के बैंकर की भूमिका भी निभाता है और सरकारी प्राप्तियां, भुगतानों एवं विभिन्न स्रोतों से लिए गए ऋणों का विवरण रखता है। यह सरकार को मौद्रिक एवं साख नीति के विषय में सलाह देने एवं बैंकों द्वारा स्वीकार किए जाने वाली जमा राशि और दिये जाने वाले ़ ऋणों पर ब्याज की दर का निर्धारण भी करता है। यह देश मुद्रा, विदेशी मुद्रा के भंडारों, सोना एवं अन्य प्रतिभूतियों के रखवाले का कार्य भी करता है। रिजर्व बैक करेंन्सी नोट जारी करने और मौद्रिक आपूर्ति के नियमन का कार्य भी करता है।
2. सहकारी बैंक
जब एक सहकारी समिति बैंकिंग व्यवसाय करती है तो इसे सहकारी बैंक कहते है। सहकारी बैंक सामान्यतः कम ब्याज दर पर ऋण देते है। इन बैंकों का नियन्त्रण एवं निरीक्षण भी भारतीय रिजर्व बैंक करता है-- प्राथमिक साख समिति
- केन्द्रीय सहकारी बैंक
- राज्य सहकारी बैंक
3. विकास बैंक
विकास बैंकों की स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक के सहयोगी संस्थानों के रूप में की गई । विकास बैंक वह वित्तीय संस्थान हैं जो उद्योगों को मध्य अवधि एवं दीर्घ अवधि के लिए ऋण प्रदान करते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में उद्योग धन्धों का तेजी से विकास हुआ जिसमें भारी वित्तीय निवेश एवं अधिक प्रवर्तन की मांग हुई । इसके परिणामस्वरूप इन संस्थानों की स्थापना हुई विकास बैंक उद्योग धन्धों के प्रवर्तन, विस्तार एवं आधुनिकीकरण में सहायता प्रदान करते है। मध्य अवधि एवं दीर्घ अवधि के लिए वित्त प्रदान करने के साथ-साथ यह बैंक औद्योगिक उपक्रमों में पूंजी भी लगाते हैं। आवश्यकता पडने पर यह तकनीकी सलाह एवं सहायता भी देते है। भारत में विकास बैंक के उदाहरण हैं। भारतीय औद्योगिक वित्त निगम, राज्य वित्त निगम एवं भारतीय औद्योगिक विकास बैंक।4. विशेष उद्देश्य बैंक
कुछ ऐसे बैंक है। जो किसी विशेष गतिविधि अथवा क्षेत्र विशेष में कार्य करते हैं इसलिए इन्हें विशेष उद्देश्य बैंक कहते हैं। भारतीय आयात निर्यात बैंक, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक, कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, आदि इस वर्ग के बैंकों के उदाहरण हैं।5. केन्द्रीय बैंक
प्रत्येक देश में एक बैंक को बैंकिंग प्रणाली के मार्गदर्शन एवं नियमन का उतरदायित्व सौंपा जाता है। इसे केन्द्रीय बैंक कहते हैं यह एक शीर्षस्थ बैंक होता है और इसे उच्चतम वित्तीय अधिकार प्राप्त होते हैं। भारत में केन्द्रीय बैंकिंग प्राधिकारी भारतीय रिजर्व बैंक है। यह जनमानस से सीधा लेन-देन नहीं करता यह बैंकों का बैंक है। इसमें सभी बैंकों के जमा खाते होते हैं। यह बैंकों को आवश्यकता पड़ने पर अग्रिम राशि देता है। यह मुद्रा एवं साख की मात्रा का नियमन करता है एवं सभी बैंकों के मुद्रा संबंधी लेन-देना का निरीक्षण एवं नियन्त्रण करता है।रिजर्व बैंक सरकार के बैंकर की भूमिका भी निभाता है और सरकारी प्राप्तियां, भुगतानों एवं विभिन्न स्रोतों से लिए गए ऋणों का विवरण रखता है। यह सरकार को मौद्रिक एवं साख नीति के विषय में सलाह देने एवं बैंकों द्वारा स्वीकार किए जाने वाली जमा राशि और दिये जाने वाले ़ ऋणों पर ब्याज की दर का निर्धारण भी करता है। यह देश मुद्रा, विदेशी मुद्रा के भंडारों, सोना एवं अन्य प्रतिभूतियों के रखवाले का कार्य भी करता है। रिजर्व बैक करेंन्सी नोट जारी करने और मौद्रिक आपूर्ति के नियमन का कार्य भी करता है।
बैंक की मुख्य विशेषताएं
- बैंक एक वाणिज्यिक संस्थान है जिसका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना है।
- बैंक मुद्रा का कारोबार करता है।
- बैंक जमा स्वीकार करता है तथा अग्रिम ऋण प्रदान करता है।
- बैंक साख का सृजन करता है।
- बैंक एवं विशिष्ट वित्तीय संस्थान है जो मांग जमाओ का सृजन करता है जो कि विनिमय के माध्यम के रूप में कार्य करता है।
- बैंक मुद्रा की आपूर्ति को प्रभावित करता है।
- बैंक देश की भुगतान प्रणाली का प्रबन्धन करता है।
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Mujhe iska form kaha se bhrna hoga
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