दूरस्थ शिक्षा परिषद इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के अन्तर्गत
स्थापित एक विद्यालयी संस्था है, जो कि देश भर में मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा की
देख-रेख तथा प्रचार-प्रसार के लिये उत्तरदायी है।
विश्व भर में मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा एक लोकप्रिय माध्यम के रूप में उभर रहा
है। इसको नियमित शिक्षा के विकास के रूप में देखा जा रहा है। दूरस्थ एवं मुक्त
शिक्षा एक नवाचार है इसके प्रसार के साथ अब इसको एक नयी दिशा दिये जाने की
आवश्यकता है।
दूरस्थ शिक्षा संस्थाओं को आश्रय देने के लिये इसके निरन्तर दिशा
निर्देशन हेतु दूरस्थ शिक्षा परिषद् केा अधिकृत किया गया है, इसको कुछ निश्चित
शक्तियां एवं अधिकार प्रदान किये गये हैं। जिससे कि यह एक उत्तरदायी संस्था के
रूप में कार्य कर सके।
दूरस्थ शिक्षा परिषद के लक्ष्य
दूरस्थ शिक्षा परिषद् की स्थापना का मुख्य लक्ष्य है-- राज्य सरकार एवं परम्परागत विश्वविद्यालयों को मुक्त विश्वविद्यालय एवं दूरस्थ शिक्षा संस्थान खोलने हेतु प्रेरित करना,
- दूरस्थ एवं मुक्त णिक्षण संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- नामांकन, मूल्यांकन एवं उपाधि प्रदान करने हेतु मानकों विधियों एवं निर्देशों को निश्चित करना।
- मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षण संस्थानों को गुणात्मकता सुनिश्चित करने हेतु सतत् मूल्यांकन एवं निरीक्षण करना।
- तकनीकी विधियों को शिक्षा में प्रयोग हेतु प्रश्रय देना तथा तकनीकों को आपस में मिल-जुलकर प्रयोग करने हेतु प्रश्रय देना।
- स्व-शिक्षण सामग्री एवं बहु माध्यम शिक्षण सामग्री का विकास एवं निर्माण कर मुक्त शिक्षण संस्थानों में मिल जुलकर प्रयोग करने की सुविधा प्रदान करना।
- विभिन्न राज्य मुक्त विश्वविद्यालयों एवं पत्राचार शिक्षा संस्थाओं में मुक्त विश्वविद्यालयों द्वारा उत्पन्न छात्र सहायता सेवाओं को मिलजुलकर प्रयोग करने हेतु सुविधा प्रदान करना।
- मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा में अनुसंधान एवं नवाचार को अभिप्रेरित करना।
- मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा तंत्र हेतु दक्षता के लिये प्रशिक्षण प्रदान करना।
दूरस्थ शिक्षा परिषद् के कार्य
दूरस्थ शिक्षा परिषद् की स्थापना एक बृहद संकल्पना के साथ हुई और उसे कुछ प्रशासनिक शक्तियां एवं कार्य दिये गये। दूरस्थ शिक्षा परिषद् का प्रमुख कार्य होगा-- राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालयों के परामर्श से मुक्त विश्वविद्यालयों एवं दूरस्थ शिक्षण संस्थानों का एक जाल निर्मित करना।
- दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के संचालन हेतु उपयुक्त क्षेत्रों का चयन करना एवं सहयोग प्रदान करना जिससे कि वहां दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों का संचालन हो सके।
- विशेष समूह को चिन्हित कर उनके लिये आवश्यक कार्यक्रम के संचालन हेतु मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा संस्थानों को सहयोग प्रदान करना।
- विश्वविद्यालय स्तरीय शिक्षा में नवाचार सहित, लचीले अधिगम एवं शिक्षण विन्हिायां, विविध पाठ्यक्रमों का समन्वयक नामांकन हेतु आवश्यक योग्यता, प्रवेण, आयु, परीक्षा संचालन हेतु विविध कार्यक्रम केा सहयोग देना।
- दूरस्थ शिक्षा तकनीकी में विविध पाठ्यक्रम, कार्यक्रम एवं शोध हेतु आवश्यक मानक तय करना।
- दूरस्थ शिक्षण संस्थानों को प्रदान किये जाने वाली वित्तीय अनुदान को प्रबंधक बोर्ड को अग्रसारित करना।
- राष्ट्र में मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा तंत्र के समन्वित प्रयास को प्रोत्साहित करना।
- विविध मुक्त विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित स्व-शिक्षण सामग्री एवं छात्र सहयोग सेवाओं को समन्वित रूप से उपयेाग हेतु सुविधा देना जिससे कि दुबारा कार्य करने की व्यर्थ समय व अर्थ बचे।
- मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षण संस्थाओं के विविध पाठ्यक्रमों में नामित विद्यार्थियों से ली जाने वाले शुल्क का निर्धारण करना।
- विविध मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षण संस्थाओं द्वारा संचालित कार्यक्रमों एवं पाठ्यक्रमों से सम्बंधित आवश्यक जानकारी करना।
- राज्य सरकारों एवं विश्वविद्यालयों को मुक्त शिक्षण संस्थान खोलने हेतु परामर्श देना।
- जाल के रूप में देश भर में कार्य कर रहे राष्ट्रीय मुक्त दूरस्थ शिक्षा संस्थानों के क्रियाकलापों के सतत् मूल्यांकन हेतु पुर्निरीक्षण कमेटी की नियुक्ति करना।
- विविध पाठ्यक्रमों एवं कार्यक्रमों के संचालन हेतु उनके ढांचे एवं कार्यविधि के प्रारूप का वृहद प्रस्तुतीकरण करना।
- दूरस्थ शिक्षा माध्यम द्वारा प्रदान किये जाने वाले विविध कार्यक्रमों के गुणात्मकता के मानक तय करना।
दूरस्थ शिक्षा परिषद के उद्देश्य
दूरस्थ शिक्षा परिषद एक निश्चित उद्देश्य के अन्तर्गत कार्य करता है इससे यह अपेक्षा की जाती है कि यह गुणवत्ता को बनाये रखने हेतु शैक्षिक दिशा निर्देश दे इसके साथ ही नवीन तकनीकी एवं उपागमों के प्रयोग हेतु प्रोत्साहन दे। समन्वित नेटवर्किंग के तहत सभी तंत्र आपस में संसाधनों को मिलजुलकर उपयोग करें। इस परिषद् को यह अधिकार दिये गये हैं कि यह मुक्त विश्वविद्यालय एवं मुक्त शिक्षा प्रणाली का देश के शैक्षिक व्यवस्था में जो भी विकास एवं प्रोत्साहन की आवश्यकता हो प्रदान करें। यह परिषद् शिक्षण के मानकों को तय करने, मूल्यांकन एवं शोध कार्यों को प्रोत्साहन देने, अधिक लचीलेपन, विविधता, व्यापकता गतिशीलता एवं शिक्षा में नवाचार को सम्मिलित करने का दायित्व संभालेगा।इग्नू के अनुच्छेद 16 के तहत स्थापित
दूरस्थ शिक्षा परिषद् के कार्य वृहद स्तर पर है।
1. दूरस्थ शिक्षा परिषद् से शैक्षणिक कार्यक्रमों का दूर शिक्षा माध्यम से
संचालन हेतु अनुमति की आवश्यकता के कारण- दूरस्थ शिक्षा परिषद् को भारत में मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा माध्यम से संचालित
विविध पाठ्यक्रमों के प्रचार-प्रसार एवं गुणात्मकता हेतु उत्तरदायी बनाया गया है।
इसीलिये शिक्षा की गुणात्मकता को सुनिश्चित करने तथा डिग्री एवं डिप्लोमा जो कि
दूरस्थ शिक्षा माध्यम से लिये जायेंगे उनके स्तर के निर्धारण हेतु दूरस्थ शिक्षा परिषद्
से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है।
2. दूरस्थ शिक्षा परिषद् द्वारा स्व शिक्षण सामग्री के मूल्यांकन का उद्देश्य- दूरस्थ शिक्षा में प्रयुक्त की जाने वाली स्व-शिक्षण सामग्री के निर्माण का आधार पुस्तकों
से अलग होता है, यह व्याख्यात्मक होती है -
- स्व निर्देशित होना चाहिये।
- स्व प्रेरित हो।
- स्व मूल्यांकन की सुविधा हो।
- स्व अधिगम के योग्य हो।
- स्वपूर्ण हो।
- स्व व्याख्यायित हो।
3. संस्थागत आवश्यकतायें- दूर एवं मुक्त शिक्षण संस्थाओं की भी कुछ सस्ंथागत
आवश्यकतायें होती है, जिनके बिना इस विकेन्द्रीकश्त शिक्षा व्यवस्था का संचालन
कठिन होता है और दूर शिक्षा परिषद् दूर शिक्षा संस्थानों में इनकी उपलब्धि सुनिश्चित
करता है।
4. विभाग- दूरस्थ शिक्षा संस्थानों में दो प्रकार के विभाग होते है, जो कि इनके
विविध क्रियाकलापों का संचालन करते है।
- क-पूर्ण कालिक विभाग।
- ख- दो अंशकालिक विभाग।
ख- अंशकालिक संविदाआधार पर विशेषीकृत आवश्यकताओं की पूि र्त हेतु
नियुक्त स्टाफ।
अंशकालिक कार्मिक स्वनिर्देणित सामग्री के विकास एवं प्रेषण तथा अन्य
अकादमिक क्रियाकलापों के संचालन हेतु नियुक्त किये जाते हैं।
5. स्व-शिक्षण सामग्री- किसी भी दूरस्थ शिक्षण संस्थानों में दूर अध्येता को कक्षा
शिक्षण की कमी को दूर कर अधिगम हेतु स्वशिक्षण सामग्री प्रदान किया जाता
है। स्वशिक्षण सामग्री के निर्माण एवं विकास में इन तथ्यों को ध्यान रखा जाता
है कि वह वास्तविक कक्षा शिक्षण की परिस्थितियों को प्रत्यक्ष करें इसका स्वरूप
व्याख्यात्मक होता है और यह सम्पूर्ण पाठ्यवस्तु का संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत
करती है, इसमें अधिगम हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये जाते हैं। दूर शिक्षा
परिषद यह सुनिश्चित करता है कि स्वशिक्षण सामग्री अधिक गुणवत्तापूर्ण हो और
स्वशिक्षण सामग्री की पूरक के रूप में संचार सम्प्रेषण माध्यमों को प्रयोग किया
जाता है।
6. भौतिक संसाधन- दूरस्थ शिक्षण सस्ंथानों से यह अपेक्षा की जाती है कि
यह मुख्य केन्द्रों एवं सहायक सेवा केन्द्रों में कार्मिक वर्ग तथा विद्यार्थियों के लिये
आवश्यक सहायता सेवाओं के साथ यह सुनिश्चित करें कि उनमें पर्याप्त भौतिक
संसाधन उपलब्ध है। दूर शिक्षा परिषद् दूर शिक्षण संस्थानों को इसकी व्यवस्था
हेतु आवश्यक अनुदान के साथ व्यवस्था करने में सहायता देता है। इसके अतिरिक्त
वह इन सुविधाओं को विविध दूर शिक्षण संस्थानों को मिलजुलकर प्रयोग करने हेतु
प्रेरित भी करता है।
7. पुस्तकालय- प्रत्येक दूरस्थ शिक्षण संस्थान में पूर्ण व्यवस्थित मुख्यालय में एक
पुस्तकालय होना चाहिये जिसमें अच्छी पुस्तकों के साथ जरनल, श्रव्य-दृश्य
सामग्री तथा अन्य अधिगम से सम्बंधित सहायक सामग्री होनी चाहिये। ये सभी
सुविधायें दूर शिक्षा से जुड़े कार्मिक वर्ग एवं दूर अध्येताओं के आवश्यकताओं की
पूर्ति हेतु समय-समय पर सम्बर्धित की जाती है। दूर शिक्षा परिषद् यह भी
सुनिश्चित करता है कि सभी दूर शिक्षा संस्थानों में एक व्यवस्थित पुस्तकालय
उपलब्ध हो।
8. कम्प्यूटर सुविधा- दूरस्थ शिक्षा परिषद् इस आरे भी जारे देता है कि अध्यते ाओं
की बढ़ती भीड़ को संतुष्ट करने हेतु दूर शिक्षण संस्थाओं को कार्यक्रमों को
कम्प्यूटरीकृत कर देना चाहिये और इसके लिये सशक्त एवं सबल दूर शिक्षण
संस्थानों को अन्य आवश्यकता वाले दूर शिक्षण संस्थानों को सहयोग करना
चाहिये।
दूर शिक्षा परिषद का महत्व
दूर शिक्षा एक ऐसी संस्था है जो कि दूर शिक्षा को बढ़ती मांग के अनुरूप प्रचार-प्रसार के साथ इसकी गुणवत्ता को भी सुनिश्चित करने के लिये कटिबद्ध है। यह एक ऐसी इकार्इ है जो दूर शिक्षण संस्थानों के भौतिक, मानवीय एवं वित्तीय संसाधन के मानक तय कर रही है। इसने जहां एक ओर दूर शिक्षा को प्रचारित करने का कार्य किया तो दूसरी ओर आवश्यक मानकों के साथ दूर शिक्षण को चलने के लिये भी दबाव बनाया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसके माध्यम से आज देश भर में फैले दूर शिक्षण संस्थानों को एक जाल का स्वरूप मिला और सभी एक दूसरों को प्रचार-प्रसार एवं गुणात्मकता को बनाये रखने हेतु आवश्यक सहयोग दे रहे हैं। इसने दूर शिक्षण संस्थानों में प्रवेश, अनुदेशन के माध्यम, परीक्षा कार्यक्रम, छात्र सहायता सेवाओं विविध शैक्षणिक कार्यक्रमों के सभी मानक एवं दिशा निर्देश तय किये हैं।दूर
शिक्षा परिषद देश भर में मुक्त अधिगम के प्रचार-प्रचार एवं उपयोगिता के प्रति
उत्तरादायी संस्था है, इससे यह आशा की जाती है कि यह अपने वृद्धि के साथ-साथ
अपनी सेवाओं में विस्तार और सुधान करने में सक्षम होगा।
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Good explanation ✨
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