संचार एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में मनुष्य आपस में बातचीत करते हैं और अपने अनुभवों का आपस में आदान-प्रदान करते हैं। इसके बिना में मनुष्य की प्रगति संभव नहीं है। संचार संबंध जोड़ने की एक महत्वपूर्ण तकनीक है जिसके द्वारा अपने एवं अन्य व्यक्तियों के ज्ञान एवं अनुभव को साझा (Share) किया जा सकता है।
मनुष्य अनेक संकेतों तथा ध्वनियों को सुनता और समझता है, अपने हाव-भाव को व्यक्त करता है, इन्हीं संदेशों और विचारों के आदान-प्रदान को संचार कहते हैं।
संचार का अर्थ
संचार का शाब्दिक अर्थ है फैलाव-विस्तार, किसी बात को आगे बढ़ाना, चलाना, फैलाना। और जनसंचार का आशय है - जन-जन मे भावों की, विचारों की अभिव्यक्ति करना और भावों और विचारों को समझना। इस तरह कम्यूनिकेशन -संचार का अर्थ है -- विचारों, भावनाओं, सूचनाओं का आदान-प्रदान करना
- आपसी समझ बढ़ाना और
- जानना अथवा बोध करना।
संचार शब्द, अंग्रेजी भाषा के शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है । जिसका विकास Commune शब्द से हुआ है । जिसका अर्थ है अदान-प्रदान करना अर्थात बाँटना ।
संचार की परिभाषा
विभिन्न विचारकों ने इसकी परिभाषा को परिभाषित करने का प्रयास किया है ।चेरी के अनुसार संचार उत्प्रेरक का अदान प्रदान है ।
शेनन ने संचार को परिभाषित करते हुए कहा है कि एक मस्तिक का दूसरे मस्तिक पर प्रभाव है ।
मिलेन ने संचार को प्रशासनिक दृष्टिकोण से परिभाषित किया है । आपके अनुसार, संचार प्रशासनिक संगठन की जीवन-रेखा है ।
डा. श्यामारचरण के शब्दों में :-संचार सामाजीकरण का प्रमुख माध्यम है । संचार द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक परम्पराए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचती है । सामाजीकरण की प्रत्येक स्थिति और उसका हर रूप संचार पर आश्रित है । मनुष्य जैविकीय प्राणी से सामाजिक प्राणी तब बनता है, जब वह संचार द्वारा सांस्कृतिक अभिवृत्तियों, मूल्यों और व्यवहार-प्रकारों को आत्मसात कर लेता है।
बीबर के अनुसार, वे सभी तरीके जिनके द्वारा एक मानव दूसरे को प्रभावित कर सकता है, संचार के अन्तर्गत आते है ।
न्यूमैन एवं समर के दृष्टिकोण में, संचार दा या दो से अधिक व्यक्तियों के तथ्यों, विचारों तथा भावनाओं का पारस्परिक अदान-प्रदान है ।
विल्वर के अनुसार संचार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा स्रोत से श्रोता तक सन्देश पहुँचता है ।
जे0 पाल लोगन्स - संचार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के तथ्यों, विचारों तथा भावनाओं का पारस्परिक आदान-प्रदान है।
संचार के प्रकार
संचार के प्रकारों के उल्लेख नीचे दिए गये हैं जो संचार की प्रक्रिया को प्रभावी आधार प्रदान करते हैं।
- औपचारिक एवं अनौपचारिक संचार
- अन्तवैयक्ति, जन संचार एवं समूह संचार
- अंतः वैयक्तिक संचार
- मौखिक संचार, लिखित एवं अमौखिक संचार
संचार में चरण
1. प्रथम चरण:- प्रेषक संदेश को कूटसंकेत करता है एवं भेजने के लिये उपयुक्त माध्यम का चयन करता है । प्रेषत किये जाने सन्देश का प्रेषक मौखिक, अमौखिक अथवा लिखित रूप में उचित माध्यम से भेजना है ।2. द्वितीय चरण-प्रेषक दूसरे चरण में सन्देश को भेजता है तथा यह प्रयास करता है कि सन्देश प्रेषित करते समय किसी भी प्रकार का व्यवधान न उत्पन्न हो तथा प्राप्तकर्ता बिना किसी व्यवधान के संदेश को समझ सकें ।
3. तृतीय चरण- प्राप्तकर्ता प्राप्त सन्देष का अर्थ निरूपण करता है तथा आवश्यकता के अनुसार उसकी प्रतिपुष्टि करने का प्रयास करता है ।
4. चर्तुथ चरण- प्रति पुष्टि चरण में प्राप्त कर्ता प्राप्त सन्देश का अर्थ निरूपण करने के पश्चात प्रेषक के पास प्रति पुष्टि करता है ।
संचार के साधन
वर्तमान समय में संचार के अनेक साधन का उपयोग किया जा रहा है जो कि है -- पत्र :-वाहय संचार के अधिकतर पत्रों के माध्यमों से सूचना अथवा सन्देश का आदान-प्रदान किया जाता है । यथा-आदेश, व्यापार से सम्बन्धित अभिलेख इत्यादि।
- फैक्स :- फैक्स भी संचार की विधि है जिसके द्वारा त्वरित संन्देश प्राप्तकर्ता तक पहुँचता है ।
- ई-मेल :- सूचनाओं को हस्तांतरित करके के लिये ई-मेल के द्वारा त्वरित एवं सुविधाजनक रूप में सन्देश को प्रेषित किया जाता है ।
- सूचना :- सूचना भी संचार की एक प्रविधि है । उदाहरण के लिये किसी संगठन में कर्मचारियों को उनसे सम्बन्धित रोजगार, सुरक्षा, स्वास्थ्य, नियम, कानून तथा कल्याणकारी सुविधायें सूचनाओं द्वारा प्रदान की जाती है ।
- सारांश :- सारांश प्रविधिका प्रयोग संचार के लिये अधिकतर मीटिंग में किया गया जाता है।
- प्रतिवेदन :- प्रतिवेदन भी संचार की एक प्रविधि है यथा वित्तीय प्रतिवेदन, समितियों की सिफारिशें, प्रौधोगिकी प्रतिवेदन इत्यादि ।
- दूरभाष :- मौखिक संचार के लिये दूरभाष का प्रयोग किया जाता है । दूरभाष प्रविधि का प्रयोग वहाँ पर अधिक किया जाता है जहाँ पर आमने-सामने सम्पर्क स्थापित नहीं हो पाता है ।
- साक्षात्कार :- साक्षात्कार प्रविधि का प्रयोग कर्मचारियों के चयन उनकी प्रोन्नति तथा व्यक्तिगत विचार विमर्श के लिये किया जाता है ।
- रेडियो :- एक निश्चित आवृत्ति पर रेडियो के द्वारा संचार को प्रेषित किया जाता है ।
- टी0वी0 :- टी0वी0 का भी प्रयोग संचार के लिये किया जाता है । जिसे एक उचित नेटवर्क के द्वारा देखा व सुना जाता है ।
- वीडियों कान्फ्रेन्सिंग :- वर्तमान समय में वीडियो कान्फ्रेन्सिंग एक महत्वपूर्ण विधि है । जिसमें फोन के तार के द्वारा वीडियों के साथ आवाज को सुना जा सकता है । इसके अतिरिक्त योजना, चित्र, नक्शा, चार्ट, ग्राफ आदि ऐसे ढंग है जिससे संचार को प्रेषित किया जाता है ।
संचार प्रक्रिया एवं तत्व
संचार एक व्यक्ति से दूसरे तक अर्थपूर्ण संदेश प्रेषित करने वाली प्रक्रिया है। संचार एक द्विमार्गीय प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक लोगों के बीच विचारों, अनुभवों, तथ्यों तथा प्रभावों का प्रेषण होता है । संचार प्रक्रिया में प्रथम व्यक्ति संदेश स्रोत (Source) या प्रेषक (Sender) होता है । दूसरा व्यक्ति संदेश को ग्रहण करने वाला अर्थात प्राप्तकर्ता या ग्रहणकर्ता होता है ।इन दो व्यक्तियों के मध्य संवाद या संदेश होता
है जिसे प्रेषित एवं ग्रहण किया जाता है प्रेषित किये शब्दों से तात्पर्य ‘अर्थ’ से होता है
तथा ग्रहणकर्ता शब्दों के पीछे छिपे ‘अर्थ’ को समझने के पश्चात प्रतिक्रियों व्यक्त करता
है।
संचार की प्रक्रिया तीन तत्वों क्रमश: प्रेषक (Sender) सन्देश (Message)
तथा प्राप्तकर्ता (Reciver) के माध्यम से सम्पन्न होती है। किन्तु इसके अतिरिक्त सन्देश
प्रेषक को किसी माध्यम की भी आवश्यकता होती है जिसकी सहायता से वह अपने विचारों
को प्राप्तिकर्ता तक पहुंचाता है।
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संचार-प्रक्रिया |
अत: कहा जा सकता है कि संचार प्रक्रिया में अर्थों का स्थानान्तरण होता है ।
जिसे अन्त: मानव संचार व्यवस्था भी कह सकते है।
एक आदर्श संचार-प्रक्रिया के प्रारूप को समझा जा सकता है :-
1. स्रोत/प्रेषक - संचार प्रक्रिया की शुरूआत एक विशेष स्रोत से होता है जहां
से सूचनार्थ कुछ बाते कही जाती है। स्रोत से सूचना की उत्पत्ति होती है
और स्रोत एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह भी हो सकता है। इसी को
संप्रेषक कहा जाता है ।
2. सन्देश - प्रक्रिया का दूसरा महत्वपूर्ण तत्व सूचना सन्देश है। सन्देश से
तात्पर्य उस उद्दीपन से होता है जिसे स्रोत या संप्रेषक दूसरे व्यक्ति अर्थात
सूचना प्राप्तकर्ता को देता है। प्राय: सन्देश लिखित या मौखिक शब्दों के
माध्यम से अन्तरित होता है । परन्तु अन्य सन्देश कुछ अशाब्दिक संकेत
जैसे हाव-भाव, शारीरिक मुद्रा, शारीरिक भाषा आदि के माध्यम से भी दिया
जाता है ।
3. कूट संकेतन - कूट संकेतन संचार प्रक्रिया की तीसरा महत्वपूर्ण तथ्य है
जसमें दी गयी सूचनाओं को समझने योग्य संकेत में बदला जाता है । कूट
संकेतन की प्रक्रिया सरल भी हो सकती है तथा जटिल भी । घर में नौकर
को चाय बनाने की आज्ञा देना एक सरल कूट संकेतन का उदाहरण है
लेकिन मूली खाकर उसके स्वाद के विषय में बतलाना एक कठिन कूट
संकेतन का उदाहरण है क्योंकि इस परिस्थिति में संभव है कि व्यक्ति (स्रोत)
अपने भाव को उपयुक्त शब्दों में बदलने में असमर्थ पाता है।
4. माध्यम - माध्यम संचार प्रक्रिया का चौथा तत्व है । माध्यम से तात्पर्य उन
साधनों से होता है जिसके द्वारा सूचनाये स्रोत से निकलकर प्राप्तकर्ता तक
पहुँचती है । आमने सामने का विनियम संचार प्रक्रिया का सबसे प्राथमिक
माध्यम है । परन्तु इसके अलावा संचार के अन्य माध्यम जिन्हें जन माध्यम
भी कहा जाता है, भी है । इनमें दूरदर्शन, रेडियो, फिल्म, समाचारपत्र,
मैगजीन आदि प्रमुख है ।
5. प्राप्तकर्ता - प्राप्तकर्ता से तात्पर्य उस व्यक्ति से होता है । जो सन्देश को
प्राप्त करता है । दूसरे शब्दों में स्रोत से निकलने वाले सूचना को जो
व्यक्ति ग्रहण करता है, उसे प्राप्तकर्ता कहा जाता है । प्राप्तकर्ता की यह
जिम्मेदारी होती है कि वह सन्देश का सही -सही अर्थ ज्ञात करके उसके
अनुरूप कार्य करे ।
6. अर्थपरिवर्तन - अर्थपरिवर्तन संचार प्रक्रिया का छठा महत्वपूर्ण पहलू है ।
अर्थपरिर्वन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सूचना में व्याप्त संकेतों के अर्थ
की व्याख्या प्राप्तकर्ता द्वारा की जाती है । अधिकतर परिस्थिति में संकेतों
का साधारण ढंग से व्याख्या करके प्राप्तकर्ता अर्थपरिवर्तन कर लेता है परन्तु
कुछ परिस्थिति में जहां संकेत का सीधे-सीधे अर्थ लगाना कठिन है । अर्थ
परिवर्तन एक जठिल एवं कठिन कार्य होता है ।
7. प्रतिपुष्टि - संचार का सातवाँ तत्व है । प्रतिपुष्टि एक तरह की सूचना होती
है जो प्राप्तिकर्ता की ओर से स्रोत या संप्रेषक को प्राप्त स्रोत है। जब स्रोत
को प्राप्तकर्ता से प्रतिपुष्टि परिणाम ज्ञान की प्राप्ति होती है । तो वह अपने
द्वारा संचरित सूचना के महत्व या प्रभावशीलता को समझ पाता है ।
प्रतिपुष्टि के ही आधार पर स्रोत यह भी निर्णय कर पाता है कि क्या उसके
द्वारा दी गयी सूचना में किसी प्रकार का परिमार्जन की जरूरत है यहाँ ध्यान
देने वाली बात यह है कि केवल द्विमार्गी संचार में प्रतिपुष्टि तत्व पाया जाता
है ।
8. आवाज - संचार प्रक्रिया में आवाज भी एकतत्व है यहॉं आवाज से तात्पर्य
उन बाधाओं से होता है जिसके कारण स्रोत द्वारा दी गयी सूचना को
प्राप्तकर्ता ठीक ढ़ग से ग्रहण नहीं कर पाता है या प्राप्तकर्ता द्वारा प्रदत्त
पुनर्निवेशत सूचना के स्रोत ठीक ढ़ग से ग्रहण नहीं कर पाता है । अक्सर
देखा गया है कि स्रोत द्वारा दी गई सूचना को व्यक्ति या प्राप्तकर्ता
अनावश्यक शोरगुल या अन्य कारणों से ठीक ढ़ग से ग्रहण नहीं कर पाता है
। इससे संचार की प्रभावशाली कम हो जाती है ।
संचार के कार्य
संचार की प्रक्रिया में व्यक्ति अपने श्रोता के कई प्रकार के कार्य करता है। अवसर एवं परिस्थिति के आधार पर संचार के कार्य हैं
- यह सूचना या जानकारी का प्रचार-प्रसार करता है तथा सूचनाओं की जानकारी देता है।
- संचार में जुड़े लोगों को प्रेरित करता है तथा उन्हें प्रभावित करता है।
- संचार समुदायों, लोगों व समाज के विभिन्न वर्गों के मध्य संबंध स्थापित करने में सहायक होता है।
- संचार समाज से जुड़े अनेक तथ्यों परेशानियों, मसलों पर, विचार-विमर्श करने में अग्रिम सहायक होता है।
- मनुष्यों के मन-बहलाव व खेल-विनोद का प्रमुख साधन है।
संचार नेटवर्क
लिमिट्ट तथा शॉ द्वारा किये अध्ययन के आधार पर पाँच तरह के संचार नेटवर्क को पहचान की गयी है । संचार नेट वर्क इस प्रकार है ।2. श्रृंखला नेटवर्क - श्रृंखला नेटवर्क में समूह का प्रत्येक सदस्य अपने निकटमत सदस्य के साथ ही कुछ संचार कर सकता हे । इस तरह के नेटवर्क में सूचना ऊपरी तथा निचली किसी भी दिशा में प्रवाहित हो सकती है।
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संचार
Thanks you so much for this help
ReplyDeleteVery helpfull
ReplyDeleteVery good communication
ReplyDeleteVery helpfull
ReplyDeleteIndia is west
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