स्वयंसेवी शब्द लैटिन
भाषा के शब्द, जिसका अर्थ है ‘इच्छा’ अथवा ‘स्वतंत्रता’ से लिया गया है। भारतीय संविधान की धारा 19 (1) (ऋ) के अन्तर्गत भारतीय नागरिकों को समुदाय
बनाने का अधिकार प्राप्त है।
स्वयंसेवी संस्था बनाने के नियम
स्वयंसेवी समाज सेवाओं की विभिन्न परिभाषाओं की समीक्षा करते हुए इनकी चार प्रमुख विशेषताएं बतलायी हैं :-- संरचना की विधि, जो व्यक्तियों के लिए स्वैच्छिक है,
- प्रशासन की विधि, इसके संविधान, इसकी सेवाओं, इसकी नीति एवं इसके लाभार्थियों के बारे में स्वयं-प्रशासकीय संगठन निर्णय करते हैं।
- वित्त विधि, कम से कम इसका कुछ कोश स्वैच्छिक अभिकरणों से प्राप्त होता है, एवं
- प्रेरक जो लाभ-पा्प्ति नहीं होती।
- संस्था का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों के सवांर्गीण विकास करना हो।
- ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन हो जो कि व्यक्ति, समूह, समुदाय, राज्य व राश्ट्रहित में हो।
- संस्था में स्वयंसेवियों की संख्या सात से कम न हो तथा यह ध्यान रखा जाए कि सभी धर्म जाति एवं लिंग का प्रतिनिधि हो तथा एक परिवार के सदस्यों को शामिल न किया जाये।
- समस्त सदस्यों के नाम, पते एवं व्यवसाय स्पष्ट हो तथा सभी का उद्देश्य समाज हित में समाज सेवा हो, ऐसे सदस्य को बिल्कुल शामिल न किया जाये जो कि धन कमाना चाहते हों।
- सभी सदस्य अपने हस्ताक्षर करने एवं सन्तुश्ट होने के बाद रजिस्ट्रार कार्यालय में अपना आवेदन करेंगे तथा जाँचोपरान्त एवं सही पाये जाने पर उन्हें पंजीकृत प्रमाण पत्र दिया जा सकेगा।
स्वयंसेवी संस्था बनाने कि नियमावली
स्वयंसेवी संगठन की नियमावली में निम्नलिखित सूचनाएं स्पष्ट रूप से दी जाये- संस्था का पूरा नाम
- संस्था का पूरा पता
- संस्था का कार्य क्षेत्र
- संस्था का उद्देश्य
- सदस्यों की सदस्यता तथा सदस्यों के वर्ग :
- संरक्षक सदस्य
- आजीवन सदस्य
- सामान्य सदस्य
- विशिष्ट सदस्य
- सदस्यों की समाप्ति
- संस्था के अंग :
- साधारण सभा -
- गठन
- बैठक
- सूचना अवधि
- गणपूर्ति
- विषेश वार्शिक अधि
- साधारण सभा के कर्तव्य/अधिकार
- प्रबन्धकारणी समिति एवं उसके अधिकार
- कार्यकाल
- प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिकारियों के अधिकार एवं कर्तव्य
- संस्था के नियमों/विनियमों में संषोधन प्रक्रिया
- संस्था का कोश
- व्यय का अधिकार
- संस्था के आय-व्यय का लेखा परीक्षण
- संस्था द्वारा/उसके विरूद्ध अदालती कार्यवाही के संचालन का उत्तरदायित्व
- संस्था के अभिलेख
- संस्था का निर्धारण
स्वयंसेवी संस्था के मापदंड
राश्ट्रीय विकास परिशद् जो देश में सर्वोच्च निर्णयकारी संस्था है, जिसके द्वारा स्वीकृत सातवीं योजना प्रलेख में स्वयंसेवी संगठनों को मान्यता देने हेतु मापदंड निम्नलिखित हैं : -- संगठन का विधिक असितत्व होना चाहिए
- उद्देश्य समुदाय की सामाजिक एवं आर्थिक आवश्यकताओंविशेषतया कमजोर वर्गों की पूर्ति करते हों
- संगठन का उद्देश्य लाभ अर्जित न हो
- सभी नागरिकों को धर्म जाति रंग धर्ममत, लिंग, वंश के भेदभाव के बिना गतिविधियाँ सभी के लिए उपलब्ध हों
- कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए आवश्यक नमनीयता, व्यवसायिक योग्यता एवं प्रबन्धात्मक कौशल हो
- पदाधिकारियों में किसी राजनीतिक दल का निर्वाचित सदस्य न हो
- अहिंसात्मक एवं संवैधानिक साधनों का पालन हो
- धर्म निरोक्षता एवं कार्य की प्रजातंत्रीय विधियों एवं विचारधारकों के प्रति प्रतिबद्धता हो।
स्वयंसेवी संस्था की विशेषताएं
स्वयंसेवी संगठन की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर प्रमुख विशेषताएं हैं :- यह कार्यों के क्षेत्र एवं स्वरूप के अनुसार विधिक प्रस्थिति प्राप्ति हेतु समिति पंजीकरण कानून 1980, भारतीय न्यासकानून 1882, सहकारी समिति कानून 1904 अथवा संयुक्त स्टाक कम्पनी 1959 के अन्तर्गत पंजीकृत होती है,
- इसके निष्चित लक्ष्य एवं उद्देश्य एवं कार्यक्रम होते हैं,
- इसकी प्रशासकीय संरचना एवं विधिवत् संरचित प्रबन्ध एवं कार्यकारी समितियाँ होती है,
- यह बिना किसी बाह्य नियंत्रण के अनेकों सदस्यों द्वारा प्रजातंत्रीय नियमों के अनुसार प्रषासित होता है,
- यह अपने कायांर् े के सम्पादन के लिए सहकारी कोश से अनुदानों के रूप में तथा आंशिक तौर पर स्थानीय समुदाय अथवा इसके कार्यक्रमों से लाभान्वित व्यक्तियों से अंषदान अथवा शुल्क के रूप में अपनी निधियों को एकत्रित करता है।
स्वयंसेवी संस्था के कार्यक्रम
परियोजना के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों को ध्यान में रखकर समय-समय पर परियोजना का निर्माण सम्बन्धित विभाग की दिशानिर्देषों के आधार पर किया जाता है। जिन क्षेत्रों को ध्यान में रखकर परियोजना का निरूपण किया जाता है। वे कार्यक्रम है :-- परिवार कल्याण कार्यक्रम
- शिशु कल्याण
- परिवार जीवन शिक्षा
- गृह सहायता कार्यक्रम
- बुढ़ापे में देखभाल सम्बन्धी कार्यक्रम
- युवा कल्याण सम्बन्धी कार्यक्रम
- विकलांगों के कल्याण हेतु कार्यक्रम
- सेवानिवृत्ति सैनिकों के लिए कार्यक्रम
- विपदा रहित
- सामुदायिक विकास
- चिकित्सा समाज सेवा
- मनोरोगों से सम्बन्धित कार्यक्रम
- स्कूल सामाजिक सेवायें
- सुधारात्मक कार्यक्रम
- कमजोर वर्गों के कल्याण सम्बन्धी कार्यक्रम
- आतंकवादियों तथा दंगों से पीड़ितों का कल्याण
- स्वतंत्रता-संग्राम का कल्याण
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स्वयं सेवी संगठन (NGO’s)