निष्पादन मूल्यांकन क्या है ? निष्पादन मूल्यांकन के प्रकारों का वर्णन

निष्पादन मूल्यांकन से आशय विभिन्न स्तरों पर कार्य कर रहे कर्मचारियों के योग्यता स्तर का पता लगाने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली विधि से है।

किसी भी संगठन की सफलता उसके कर्मचारियों द्वारा निष्पादित कार्यों पर निर्भर करती है। अतः यह आवश्यक है कि कर्मचारियों का निष्पादन मूल्यांकन यथार्थ रूप से किया जाये एवं प्राप्त कमियों को दूर करने के उपाय किये जाए। निष्पादन मूल्यांकन के द्वारा निष्पादित कार्य एवं क्षमता मूल्यांकन द्वारा उसकी कार्य करने की क्षमता का आकलन किया जाता है। निष्पादन मूल्यांकन करने की अनेक विधियां प्रचलित है जो संगठन की आवश्यकता के अनुसार निर्धारित की जाती है।

निष्पादन मूल्यांकन के लिए अनेक पर्यायवाची शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है, जैसे-कर्मचारी मूल्यांकन, कर्मचारी निष्पादन, समीक्षा, कार्मिक मूल्यांकन, निष्पादन मूल्यांकन तथा कर्मचारी मूल्यांकन आदि। ये सभी शब्द समानार्थक हैं। 

संगठन लोगों द्वारा संचालित किये जाते है। लक्ष्यों का निर्धारण तथा उद्वेश्यों की वास्तविक प्राप्ति लोगों द्वारा होती है। एक संगठन का निष्पादन इसके सदस्यों के निष्पादन का योग होता है। संगठन में विभिन्न स्तरों पर कार्यरत व्यक्तियों की योग्यता एवं गुणों का समय-समय पर मूल्यांकन आवश्यक होता है। यह मूल्यांकन वर्तमान भविष्य में कर्मचारियों के सन्दर्भ में निर्णय लेने में सहायता प्रदान करता है। इसके द्वारा कर्मचारियों की तुलनात्मक योग्यता का अंकन किया जाता है। 

निष्पादन मूल्यांकन की परिभाषा

फिलप्पों ने निष्पादन मूल्यांकन को निम्नलिखित रुप में परिभाषित किया है- निष्पादन मूल्यांकन एक सुनियोजित एवं समय-समय पर किया जाने वाला, एक व्यक्ति की क्षमताओं का निष्पक्ष मूल्यांकन है जो व्यक्ति के वर्तमान कार्य का मूल्यांकन तथा भविष्य के अधिक श्रेष्ठ कार्य के प्रति अनुभाग लगाता है। 

डेल बीच के शब्दों में - निष्पादन मूल्यांकन किसी व्यक्ति के कार्य निष्पादन और उसके विकास के लिए क्षमता का प्रणालीकृत मूल्यांकन है। ‘‘किसी व्यक्ति को अपने कार्य पर रहते हुए उसकी सापेक्षिक सेवाओं का जो कम्पनी को मिलती है, मूल्यांकन ही कर्मचारी मूल्यांकन है।’ निष्पादन मूल्यांकन कर्मचारियों के कृत्य एवं परिणामों का अध्ययन एवं आकलन है। इस अध्ययन एवं आकलन द्वारा कर्मचारियों की कार्य क्षमता में वृद्धि के लिए आवश्यक प्रयास किये जाते है। 

डेल योडोर के अनुसार - निष्पादन मूल्यांकन अथवा कर्मचारी मूल्यांकन शब्द का आशय उन समस्त औपचारिक कार्यविधियों से है जिनका प्रयोग कार्यरत संगठनों में कर्मचारियों के लिए किया जाता है। 

एडविन फिलिप्पो के अनुसार - निष्पादन मूल्यांकन किसी कर्मचारी का उसके वर्तमान कार्य के सम्बन्ध में तथा उच्चतर कार्य के लिए उसकी क्षमताओं का व्यवस्थित आवधिक एवं जहाॅ तक मानवीय ढंग से सम्भव हो, एक निष्पक्ष अंकन है। 

डेल एस. बीच के अनुसार, ‘‘ निष्पादन मूल्यांकन किसी व्यक्ति का कार्य पर उसके निष्पादन तथा उसके विकास की सम्भावनाओं के सम्बन्ध में व्यवस्थित मूल्यांकन है।’’ 

माइकल आर. कैरेल एवं फ्रैन्क ई. कुजमिट्स के अनुसार, ‘‘निष्पादन मूल्यांकन कार्य स्थल पर कर्मचारियों के व्यवहारों का मूल्यांकन करने की एक पद्धति है, सामान्यत: इसमें कार्य-निष्पादन के परिणात्मक तथा गुणात्मक दोनों पहलू सम्मिलित होते हैं।’’

निष्पादन मूल्यांकन की विशेषता

  1. निष्पादन मूल्यांकन, कर्मचारियों के कार्यों के सम्बन्ध में उनकी क्षमताओं एवं कमजोरियों का मूल्यांकन करने तथा व्यवस्थित एवं निष्पक्ष विवरण प्रस्तुत करने की प्रक्रिया है। 
  2. निष्पादन मूल्यांकन के द्वारा यह पता लगाने कि कोई कर्मचारी कितनी अच्छी तरह से कार्य-निष्पादन कर रहा है तथा भविष्य में उसके सुधार हेतु एक योजना का निर्माण करने का प्रयास किया जाता है। 
  3.  निष्पादन मूल्यांकन नियमित अन्तराल पर एक निश्चित योजना के अनुसार आयोजित किये जाते हैं। 
  4. निष्पादन मूल्यांकन से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कर्मचारियों के प्रशिक्षण, विकास, अभिपेर्रण, पदोन्नति तथा स्थानान्तरण आदि के विषय में निणर्य लिये जाते है।
  5. निष्पादन मूल्यांकन उद्देश्यपूर्ण निर्णय करने की एक प्रक्रिया है। 
इस प्रकार स्पष्ट है कि निष्पादन मूल्यांकन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी संगठन के कर्मचारियों का उनके वर्तमान कायांर् े के सन्दर्भ में क्षमताओं, परिणामों एवं भविष्य की सम्भावनाओं का व्यवस्थित मूल्यांकन किया जाता है, जिससे कि इनसे प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कर्मचारियों के प्रशिक्षण, विकास, पदोन्नति, स्थानान्तरण, वेतन निर्धारण तथा अभिपेर्र ण आदि के सम्बन्ध में निर्णय लिये जा सकें।

निष्पादन मूल्यांकन के उद्देश्य 

कर्मचारियों के निष्पादन मूल्यांकन से सम्बन्धित सूचनायें विभिन्न उद्देश्यों के लिए अभिलिखित, अनुरक्षित तथा उपयोग की जाती हैं, ये उद्देश्य है-
  1. कर्मचारियों के निष्पादन के एक सन्तोषजनक स्तर को स्थापित करना तथा उसे बनाये रखना। 
  2. योग्यता तथा निष्पादन पर आधारित पदोन्नतियों के विषय में निर्णय लेना। 
  3. कर्मचारियों के प्रशिक्षण एवं विकास की आवश्यकताओं का निर्धारण करना।
  4. चयन परीक्षणों एवं साक्षात्कार तकनीकों का परीक्षण करना तथा उनकी प्रमाणिकता को सिद्ध करना। 
  5. कर्मचारियों को उनेक कार्य निष्पादन परिणामों से अवगत कराना तथा उनके विकास के उद्देश्य का ध्यान में रखते हुए रचनात्मक समालोचना तथा निर्देशन के द्वारा सहायता प्रदान करना। 
  6. वरिष्ठ अधिकारियों को उनके अधीनस्थों के विषय में समुचित जानकारी रखने में सहायता प्रदान करना। 
  7. निष्पादन पर आधारित निष्पक्ष एवं न्यायोचित पारिश्रमिक के निर्धारण को सरल बनाना। 
  8. संगठनात्मक प्रभावशीलता को सुनिश्चित करने हेतु कर्मचारियों की कार्य क्षमताओं में सुधार करना तथा कर्मचारी व्यवहारों में अपेक्षित परिवर्तन के लिए सुझाव देना।
  9. कर्मचारियों को उनकी कार्यक्षमताओं के अनुरूप नये कार्यों पर नियुक्त करना। 
  10. कर्मचारियों को उनके कार्य निष्पादन परिणामों के अनुरूप अभिप्रेरित करना।
  11. जबरी छुट्टी एवं छँटनी के सम्बन्ध में निर्णय लेने हेतु सूचनायें प्रदान करना। 
  12. मानव संसाधन अनुसंधान करना। 

निष्पादन मूल्यांकन की आवश्यकता 

निष्पादन मूल्यांकन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से अनुभव की जाती है:
  1. वेतन निर्धारण, पदौéति, स्थानान्तरण तथा पद अवनति आदि के सम्बन्ध में जो निर्णय लिये गये हैं, उनके आधार पर निष्पादन श्रेणियों के विषय में सूचनाओं की प्राप्ति हेतु। 
  2. वेतन-वृद्धि तथा लाभांश के अनुपान के निर्धारण के लिए उचित आधार हेतु कार्य निष्पादन परिणामां के विषय में सूचनाओं की प्राप्ति हेतु। 
  3. वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थों की उपलब्धि के स्तरों तथा व्यवहारों के विषय में प्रतिपुष्टि सूचनाओं की प्राप्ति हेतु। यह सूचनायें अधीनस्थों के निष्पादनों की समीक्षा करने, निष्पादन की कमियों को सुधारने तथा यदि आवश्यक हो तो, नवीन मानकों को निर्धारित करने में सहायता प्रदान करती है।
  4.  वे सूचनायें जो कि अधीनस्थों को परामर्श देने में सहायता प्रदान करती हैं, उनकी प्राप्ति हेतु। 
  5. ज्ञान एवं निपुणताओं के सम्बन्ध में कर्मचारियों की कमियों का निदान करने, प्रशिक्षण एवं विकासात्मक आवश्यकताओं का निर्धारण करने, कर्मचारी-विकास के साधनों को विहित करने तथा कार्य पर नियुक्तियों को ठीक करने के लिए आश्यक सूचनाओं की प्राप्ति हेुत।
  6. परिवीक्षाधीन कर्मचारियों के स्थायीकरण के लिए उनके कार्य निष्पादन सम्बन्धी सूचनाओं की प्राप्ति हेतु। 
  7. परिवेदनाओं तथा अनुशासनहीनता की गतिविधियों का निवारण करने हेतु।
  8. विभिन्न कर्मचारियों के मध्य उनकी कार्य कुशलता में वृद्धि करने के लिए प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करने हेतु। 

निष्पादन मूल्यांकन की विषय-वस्तु 

प्रत्येक संगठन को निष्पादन मूल्यांकन के कार्यक्रम के अनुमोदन से पूर्व मूल्यांकन की जाने वाली विषय-वस्तु के विषय में निर्णय करना होता है। सामान्यत: मूल्याकंन की जाने वाली विषय-वस्तु का निर्धारण कार्य विश्लेषण के आधार पर किया जाता है। मूल्यांकन की जाने वाली विषय-वस्तु संगठनात्मक उद्देश्यों (मानकों) जैसे- उत्पादन, लागत-बचत तथा पूँजी पर प्रतिलाभ आदि के प्रति योगदान के रूप में हो सकती है। 

मूल्यांकन के अन्य मानक इन पर आधारित होते हैं: (i) व्यवहार जो कि दर्शनीय शरीरिक क्रियाओं एवं गतिविधियों का मापन करता हैं। (ii) उद्देश्य, जो कि कार्य सम्बन्धी परिणामों, जैसे- जमा धन की कुल राशि का सचल होना, का मापन करते है। तथा (iii) लक्षण, जो कि कर्मचारियों के कार्य-क्रियाकलापों में दर्शनीय व्यक्तिगत विशेषताओं के रूप में मापे जाते है। 

प्राय: एक अधिकारी के निष्पादन मूल्यांकन के प्रारूप के अन्तर्गत विषय-वस्तु के रूप में निम्नलिखित बातों का समावेश किया जा सकता है:
  1. उपस्थिति की नियमितता 
  2. आत्माभिव्यक्ति: मौखिक एवं लिखित 
  3. दूसरों के साथ कार्य करने के योग्यता 
  4. नेतृत्व शैली तथा योग्यता 
  5. पहल शक्ति 
  6. तकनीकी निपुणतायें 
  7. तकनीकी योग्यता/ज्ञान 
  8. नवीन बातों को ग्रहण करने की योग्यता 
  9. तर्क करने की योग्यता 
  10. मौलिकता तथा सूझ-बूझ 
  11. रचनात्मक निपुणतायें
  12. रूचि का क्षेत्र 
  13. उपयुक्तता का क्षेत्र 
  14. निर्णयन की निपुणतायें
  15. सत्यनिष्ठा 
  16. उत्तरदायित्वों को ग्रहण करने की क्षमता 
  17. अधीनस्थों द्वारा स्वीकार किये जाने का स्तर
  18. ईमानदारी एवं सद्भाव 
  19. कार्य एवं संगठनात्मक ज्ञान में सम्पूर्णता 
  20. कार्य-प्रणालियों एवं प्रक्रियाओं का ज्ञान
  21. सुधार के लिए प्रस्तुत सुझावों की गुणवत्ता 

निष्पादन मूल्यांकन के प्रकार 

सामान्यतः निष्पादन मूल्यांकन तीन प्रकार से किया जाता है। 

1. आकस्मिक, अनियोजित तथा विश्रृंखला मूल्यांकन 

इस प्रणाली में किसी निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार कर्मचारियों का मूल्यांकन नहीं किया जाता है। सामान्यतः व्यक्तिगत अवलोकन के आधार पर उच्चाधिकारी अपने अधीनस्थ का मूल्यांकन करते हैं। 

2. पारस्परिक तथा सुनियोजित मूल्यांकन 

इस प्रणाली के अन्तर्गत कर्मचारी की विषेषताएं एवं उसका योगदान दोनों बातें सम्मिलित की जाती है। सभी कार्यो के मूल्यांकन में एक ही प्रणाली प्रयोग की जाती है जिससे विभिन्न व्यक्तियों के मूल्यांकन निर्णयों की आपस मे तुलना की जा सके। 

3. व्यवहार प्रणाली 

इस प्रणाली में प्रबन्ध एवं कर्मचारी सम्मिलित रूप से लक्ष्यों का निर्धारण करते है जिसमें पर्यवेक्षक सर्वेसर्वा होता है। पर्यवेक्षक समय-समय पर व्यक्ति की परख एवं आलोचना करता है। अतः इस प्रणाली में सभी दोषों को दूर करने के लिए मिल-जुलकर लक्ष्य निर्धारण की व्यवस्था की गयी है। इसमें कर्मचारी तथा कार्य मूल्यांकनकर्ता दोनों सामूहिक रूप से कार्य प्रगति की समीक्षा करते हैं, जिससे सहयोग के आधार पर आवश्यक सुधार किया जा सके।

सन्दर्भ -
  1. योडर, डेल - पर्सनेल मैनेजमेन्ट एण्ड इन्डस्ट्यिल रिलेषन्स प्रिन्टिस हाल, नई दिल्ली-1980
  2. मैक्ग्रेमर डगलस - द ह्यूमन साइड आफ इन्टरप्राइस, मैग्राहिल बुक कम्पनी, न्यूयार्क- 1964
  3. फिलप्पो एडविन बी0 पर्सनल मैनेजमेन्ट, मेक्ग्राहिल, टोक्यो - 1981

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