भारत की प्रमुख समाचार एजेंसियां || विश्व की प्रमुख समाचार एजेंसियाँ

दुनिया के एक कोने की खबर दूसरे कोने तक पहुंचाने का काम आसान नहीं । हर पत्र-पत्रिका के लिए भी यह सम्भव नहीं कि वो हर छोटी-बड़ी जगह पर अपने संवाददाता तैनात कर सकें । इस मुश्किल को आसान बनाती हैं, समाचार समितियाँ यानी न्यूज एजेंसी। युनेस्को ने न्यूज एजेंसी को इस प्रकार परिभाषित किया है, ‘समाचार समिति एक उद्यम है जिसका प्रमुख उद्देश्य समाचार, एवं समसामयिक जानकारी एकत्र करना और तथ्यों को प्रस्तुत करना है तथा उन्हें समाचार, प्रकाशन संस्थाओं केा या अन्य उपभोक्ताओं को इस दृष्टिकोण से वितरित करना है कि उन्हें व्यावसायिक एवं नियमानुकूल स्थितियों में मूल्य चुका कर सम्पूर्ण और निष्पक्ष समाचार मिल सकें।’

समाचार समितियाँ एक ही समाचार को अपने सभी उपभोक्ताओं तक एक साथ पहुंच देती है। इनकी मदद लिए बिना पत्र पत्रिकाओं के लिए भी अपने प्रकाशन नियमित रख पाना सम्भव नहीं है। संचार टैक्नोलाजी में लगातार होते परिवर्तनों के साथ-साथ इन्होनें भी अपने तौर तरीकों में बदलाव किया है। आज समाचार एजेंसियाँ सिर्फ खबरें ही नहीं देती बल्कि फीचर और विशेष लेख, तस्वीरें आदि भी उपलब्द्व कराती हैं। हालांकि समाचार समितियों की भूमिका सीमित है लेकिन इनके समाचार जनमत को प्रभावित करते रहते हैं क्योंकि उनका प्रकाशन एक से अधिक पत्र-पत्रिकाओं में साथ-साथ होता है।

समाचार एजेंसियों की शुरूआत ब्रिटेन में हुई मानी जा सकती है। 1686 में एडवर्ड लायड ने लन्दन की टावर स्ट्रीट में एक काफी हाऊस खोला था । यहां पर अलग-अलग इलाकों के व्यापारी आते थे । इनसे मिली जानकारियों को लन्दन के अखबारों तक पहुंचा कर लायड को प्रति सप्ताह 21 शिलिंग की आय हो जाती थी । इस तरह यह पहली समाचार वितरण संस्था अस्तित्व में आई । बाद में यूरोप और अमेरिका के 28 बंदरगाहों में इसके प्रतिनिधि हो गए थे जो अपने-अपने बंदरगाह में आने वाले जहाजियों और व्यापारियों से खबरें प्राप्त करते थे । लायड की तरह ही अमेरिका के बोस्टन के एक कॉफी हाऊस के मालिक सैमुनल टापलिफ ने भी अमेरिकी अखबारों के लिए विदेशी समाचार जुटाने का काम 1801 में शुरू कर दिया था । बाद में टापलिफ युरोप आया और उसने वहाँ भी अपना काम जारी रखा। बाद में उसके काम की परिणिति ‘हारबर एसोसिएशन’ के रूप मे हुई । ‘हारबर एसोसिएशन’ का गठन 1849 में कई समाचार पत्रों ने आपसी सहयोग के आधार पर जल्दी खबरें प्राप्त करने के लिए किया था । इसी दौर में पुर्तगाल निवासी चाल्र्स हावा ने ‘हावा एजेंसी’ और जूलियस रायटर ने भी अपने नाम से एक समाचार समिति की स्थापना की ।

गौरतलब है कि समाचार एजेंसियों की दुनिया के विस्तार में समुद्री परिवहन और व्यापारियों ने बड़ा योगदान किया था लेकिन इन साधनों से खबरों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने में बड़ा समय लगता था । मसलन नैपोलियन बोनापार्ट का निधन 5 मई 1821 को सेंट हेलना द्वीप में हुआ था। लेकिन पेरिस तक यह खबर 6 जुलाई 1821 को पहंचु पाई थी और उन दिनों 2 महीने की देरी कोई देरी नहीं मानी जाती थी । रायटर ने सबसे पहले समुद्री केवलों के जरिए नई संचार व्यवस्था का इस्तेमाल करना शुरू किया और इस तरह खबरें भेजने में लगने वाले समय को काफी कम कर दिया । आज इंटरनेंट ने तो दुनिया की दूरियाँ ही खत्म कर दीं हैं। आज विश्व की अनेक भाषाओं में 25 से अधिक बड़ी अन्तर्राष्ट्रीय समाचार समितियाँ पूरी दुनिया को एक सूत्र मे बांधे रखने के लिए दिनरात काम में जुटी हुई हैं।

विश्व की प्रमुख समाचार एजेंसियाँ 

आज जब दुनिया सिकुड़ती जा रही है और लगातार छोटी बनती जा रही है तब दुनिया के एक भाग में होने वाली हलचल के प्रति दुनिया के दूसरे कोने में रहने वाले लोगों की उत्सुकता बढ़ती चली गई है। ऐसे में समाचार एजेसियों की भूमिका भी बहुत बढ़ती जा रही है । अन्र्राष्ट्रीय समाचार एजेसियों के लिए जहां बेहतर संसाधन जरूरी हैं वहीं इनकी विश्वसनीयता भी खास मायने रखती है। वैसे तो विश्वभर में 1200 से ज्यादा संवाद समितियां काम कर रही हैं। उनमें से भी 25 से ज्यादा अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर जानी जाती हैं लेकिन इनमें से 5 एजेसियाँ ऐसी हैं जिन्हें विश्व की प्रमुख समाचार समितियाँ कहा जा सकता हैं । (1)- एसोसिएटेड पे्रस (AP) (2)- यूनाइटेड प्रे्रस इंटरनेशनल (UPI)  (3)- रॉयटर्स (Reuters)  (4)- एजेंसी फ्रांस पे्रस (AFP)  (5)- टेलीगे्रफनोयिक एजेन्सतवो सोवेट्सकनो सोइउजा (TASS)

एसोसिएटेड प्रेस

टेलीग्राफ के आविष्कार के साथ ही न्यूज एजेंसियों के काम में तेजी आई थी। एसोसिएटेड प्रेस ने पहले पहल इस तकनीक को अपनाया । शीघ्र ही आर्थिक एवं वित्तीय अन्तर्राष्ट्रीय समाचार सेवा (HPDJ) और डोउजोन (DJ) के साथ तालमेल कर एपी महत्वपूर्ण समाचार समिति बन गई।

सन् 1900 में एसोसिएटेड प्रेस का पुनर्गठन हुआ। तब तक यह प्रमुख रूप से अमेरिकी पत्रों को ही सेवा उपलब्ध कराती थी । 1934 में एपी ने विदेश सेवा आरम्भ की। आज विश्व भर में एपी के 15000 से अधिक नियमित ग्राहक हैं और इसका अपना बड़ा संवाद तंत्र भी है।

यूनाइटेड प्रे्रस इंटरनेशनल

एपी की तरह ही यूपीआई भी अमेरिकी न्यूज एजेंसी है। इसकी स्थापना 1907 में एडवर्ड विल्स स्क्रिप्स ने की थी। प्रारम्भ में यह छोटे समाचार पत्रों के लिए सायंकालीन सेवा थी। हालाँकि 1918 में प्रथम विश्वयुद्व खत्म होने का गलत समाचार देने के कारण इसकी काफी बदनामी हुई मगर फिर इसने अपनी साख वापस प्राप्त कर ली । आज यूपीआई के ग्राहक यूरोप, दक्षिण अमेरिका, एशिया और आस्टे्रलिया तक फैले हैं ।

रायटर्स

अपने संस्थापक पॉल जूलियस रायटर के नाम से जुड़ी इस समाचार एजेंसी ने 1850 में कबूतरों के जरिए (Pigeon Service) खबरें जल्दी भेजने का सफल प्रयोग किया था । रायटर ने ही सबसे पहले टेलीग्राफ (तार) का इस्तेमाल लम्बी दूरी तक खबरें भेजने के लिए किया और ब्रिटेन से भारत व अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों तक अपना विस्तार कर लिया ।

आज रायटर अखबारी खबरों के साथ-साथ फोटो फीचर व टीवी समाचारों के क्षेत्र में भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ा नाम है। 20000 से अधिक नियमित पत्रकारों के साथ इसका समाचार तंत्र विश्व भर में फैला हुआ है।

एजेंसी फ्रांस प्रेस  

1835 में स्थापित एएफपी ने प्रथम विश्व युद्व के बाद विस्तार पाना शुरू किया । हावा एजेंसी (Agence Hawas) के समाप्त होने के बाद एएफपी ने पूरी तरह उसकी जगह ले ली । इसका प्रधान कार्यालय पेरिस में हैं और यह एक स्वशासी संस्था है। ‘हावा’ का उत्तराधिकारी बनने का एएफपी को बहुत लाभ हुआ ।

आज एएफपी विश्व की सबसे बड़ी समाचार समितियों में एक है। 10 हजार से अधिक समाचार पत्र और 70 से अधिक संवाद समितियाँ इसकी ग्राहक हैं। 125 से अधिक देशों तक इसकी सेवा का विस्तार है। फे्रच, अंगे्रंजी, स्पेनिश, पोर्चुगीज, जर्मन और अरबी भाषाओं में यह हर रोज लगभग 35 लाख शब्दों का समाचार वितरण करती है।

तास 

इस अन्तर्राष्ट्रीय समाचार समिति की स्थापना 1917 में पेट्रोग्राड टेलीग्राफ के नाम से हुई थी । प्रारम्भ से ही इस पर समाजवादी विचारधारा का प्रभाव था । 80 के दशक में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही तास में भी संगठनात्मक बदलाव आया और आईटीएआर (The Information Telegraph Agency of Russia) नामक एक नयी समाचार समिति का गठन हुआ । वर्तमान में इसे इतार तास (ITARRTASS) नाम से जाना जाता है। वर्तमान में देशी व विदेशी मिलकर इसके 20000 से अधिक ग्राहक हैं।

तीसरी दुनिया के महत्व और जरूरतों को समझते हुए गुट निरपेक्ष देशों ने भी एक अन्र्तराष्ट्रीय समाचार समिति बनाई है। जिसे NAHAP यानी (Non Aligned News Agencies Pool) की स्थापना की है। 1976 में स्थापित इस समाचार समिति का उद्देश्य समाचारों में पश्चिमी देशों के प्रभुत्व को रोकना है। संसार की अन्य प्रमुख अनतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों में चीन की सिनहुआ (Xinhaua), एफ्रो एशियन न्यूज समिति (एएएनएस), जापान की क्योडो (Kyodo) आदि प्रमुख हैं जो विश्व के कई देशों में सेवाएं प्रदान करती हैं।

भारत की प्रमुख समाचार एजेंसियां

उन्नीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक तक भारत में पायनियर, स्टेट्समैन, इंग्लिशमैन तथा इण्डियन डेली न्यूज नामक 4 प्रमुख अंगे्रजी पत्र प्रकाशित होते थे। पायनियर इन चारों में विशिष्ट तथा अधिक लोकप्रिय था । अत: स्टे्टसमैन, इंग्लिशमैन व इंडियन डेली न्यूज ने मिल कर 1905 में एसोसिएटेड पे्रस ऑफ इण्डिया (एपीआई) की स्थापना की । 1915 में रायटर ने इसका अधिग्रहण कर लिया तो राष्ट्रवादी विचारधारा के कुछ लोगों ने मिलकर 1927 में ‘फ्री पे्रस एजेंसी ऑफ इण्डिया’ का गठन किया । यह समिति भी 1935 में बन्द हो गई । सितम्बर 1933 में कोलकत्ता में यूनाइटेड पे्रस ऑफ इण्डिया की स्थापना हुई । यूपीआई ने ही सर्वप्रथम महात्मा गांधी की हत्या का समाचार दिया था लेकिन आर्थिक संकट के कारण यह भी 1958 मे बन्द हो गई ।

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इण्डिया (पीटीआई)

पीटीआई भारत ही नहीं एशिया की सबसे बड़ी अंगे्रजी समाचार समितियों में एक है। पीटीआई का पंजीकरण अगस्त 1947 मे हो गया था मगर इसने काम 1 फरवरी 1949 से शुरू किया और तीन वर्ष तक रॉयटर के साथ अनुबन्ध में रहने के बाद 1951 में इसने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर दिया । आज पीटीआई दुनिया की सभी प्रमुख संवाद समितियों से तालमेल कर चुकी है। विश्व के हर प्रमुख देश में इसके पूर्णकालिक संवाददाता है, आज यह इंटरनेट व स्कैन सेवा की चलाती है। इसका मुख्यालय मुम्बई में है।

यूनाइटेड न्यूज ऑफ इण्डिया (यूएनआई)  

इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। पीटीआई के बाद यह देश की दूसरी सबसे बड़ी अगे्रजी संवाद समिति है। इसका गठन प्रथम पे्रस आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था । पीटीआई के एकाधिकार के चलते समाचारों की निष्पक्षता पर सवाल न उठे, इसलिए प्रतिस्पर्घा बनाए रखने के लिए 1961 में इसका गठन हुआ । आज यह विश्व की 15 बड़ी संवाद समितियों से जुड़ी है। फोटो सेवा, वाणिज्य सेवा, सन्दर्भ सेवा जैसी विशिष्ट सेवाएं भी यूएनआई द्वारा प्रदान की जाती हैं।

यूनीवार्ता 

यूएनआई की इस हिन्दी सेवा का आरम्भ 1 मई 1982 को हुआ। आम बोलचाल में वार्ता के नाम से जानी जाने वाली इस समाचार समिति का उद्देश्य हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए एक वैकल्पिक सेवा प्रदान करना था। यह मूलत: छोटे समाचार पत्रों को कम खर्च में हिन्दी मे देश-विदेश के समाचार उपलब्ध कराती है।

भाषा 

पीटीआई ने 18 अप्रैल 1986 को ‘भाषा’ के रूप में हिन्दी को एक और उच्च स्तर की समाचार सेवा उपलब्ध कराई । ‘भाषा’ ने देश के 15 हजार से अधिक नगरों और कस्बो ंके सही नामों की प्रमाणिक सूची तैयार की है और अब यह मात्र एक अनुवादक एजेंसी न होकर मूल समाचार एजेंसी बन गयी है।

इण्डिया एब्रोड न्यूज सर्विस (आईएएनएस) 

मूलरूप में प्रवासी भारतीयों के लिए समाचार उपलब्ध कराने वाली इस समाचार समिति ने अब देश में भी अपना विस्तार करना शुरू कर दिया है। देश के सभी राज्यों की राजधानियों के साथ अन्य प्रमुख नगरों में इसके दफ्तर हैं । यह समाचारों के साथ-साथ कला, संस्कृति, रहन-सहन, साहित्य, जनजीवन आदि पर छोटे-छोटे फीचर भी उपलब्ध कराती है। इनके अतिरिक्त अन्य कई छोटी-छोटी समाचार एजेसियां भी देश के अलग-अलग भागों से अपने-अपने क्षेत्र के समाचार उपलब्ध कराती हैं । हिन्दुस्तान समाचार, समाचार भारती आदि कुछ बड़ी न्यूज एजेसियां जमाने की बदलती रफ्तार के साथ तालमेल न बिठा पाने के कारण बन्द भी हो चुकी हैं । 

1 Comments

  1. समाचार समिति के महत्व

    ReplyDelete
Previous Post Next Post