औद्योगिक कर्मचारियों की चिकित्सकीय देखरेख व स्वास्थ्य सुविधायें, प्रत्येक देश में श्रम कल्याण का एक समग्र भाग है। यह केवल बीमारियों से सुरक्षा ही नही करता बल्कि कार्मिकों को शारीरिक रूप से दक्षता प्रदान कर आर्थिक विकास के लिए उत्तरदायी होता है।
‘स्वास्थ्य’ शब्द एक सकारात्मक एवं उतिक अवधारणा है जो बीमारी की अनुपस्थिति को इंगित करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ‘‘स्वास्थ्य वह सम्पूर्ण अवस्था है जिसमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से व्यक्ति स्वस्थ्य रहता है, यह केवल रोगों की अनुपस्थिति मात्र नही है। स्वास्थ्य और चिकित्सकीय देखरेख एक वृहद शब्द है किसी व्यक्ति के आर्थिक, सामाजिक और भावनात्मक जीवन से जुड़े रहते हैं।
औद्योगिक या संगठनात्मक स्वास्थ्य, बीमारियों को रोकने का साधन है। ILO तथा WHO की संयुक्त समिति जो 1950 में हुई थी, ने संगठनात्मक स्वास्थ्य को अग्रलिखित बिन्दुओं के माध्यम से प्रस्तुत किया- 1. व्यावहारिक कार्मिकों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वस्थता को बढ़ावा तथा रख रखाव करना। 2. कार्य स्थल की स्थिति के कारण होने वाली बीमारियों से बचाव करना। 3. स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों से बचाव 4. स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले पर्यावरण से बचाव करना।
वैधानिक स्वास्थ्य उपबंध
- स्वच्छता (धारा-11) हर कारखाने को स्वच्छ रखना आवश्यक है। उसे किसी शौचालय या अन्य प्रकार के प्रदूषण से उत्पन्न दुर्घटना से मुक्त रखा जाएगा।
- कचरे और बहिश्राव का व्ययन (धारा-12) प्रत्येक कारखाने में विनिर्माण प्रक्रिया के चलाए जाने से निकलने वाले कचरे और बहिस्राव को हानिकारक नही होने देने और उनके व्ययन के लिए कारगर प्रबंध किए जायेगें।
- संवातन और तापमान (धारा-13) कारखाने के प्रत्येक कमरे में स्वच्छ वायु के संचारण के लिए पर्याप्त सेवातन की प्रभावपूर्ण व्यवस्था की जायेगी। काम के प्रत्येक कमरे में कर्मकारों के युक्तिमुक्त सुखद दशा सुनिश्चित करने तथा उनके स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उपयुक्त तापमान बनाए रखना आवश्यक है।
- धूल और धूम (धारा-14) प्रत्येक कारखाने में जिसमें विनिर्माण-प्रक्रिया के कारण धूम, धूल या अन्य अपद्रव्य इस प्रकार का और इतनी मात्रा में निकलता हो, जो वहां कार्यरत कर्मकारों के लिए क्षतिकारक या संतापकारी हो, तो उसको साँस में 76 जाने और उसके संचयन को रोकने के लिए प्रभावपूर्ण उपाय करना आवश्यक है।
- कृत्रिम नमीकरण (धारा-15) राज्य सरकार को इन सभी कारखानों के संबंध में नियम बनाने की शक्ति प्राप्त है, जिनमें वायु की नमी कृत्रिम रूप से बढ़ाई जाती है।
- अतिभीड़ (धारा-16) कारखाने के किसी भी कमरे में इतनी भीड़ नही की जायेगी कि वह वहां कार्यरत कर्मकारों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो।
- प्रकाश (धारा-17) कारखाने के प्रत्येक भाग में जहां कर्मकार काम करते है या जहाँ से गुजरते है।, प्राकृि तक या कृत्रिम या दोनों प्रकार के पर्याप्त और यथोचित प्रकाश की व्यवस्था करना आवश्यक है।
- पीने का जल (धारा-18) प्रत्येक कारखाने में कर्मकारों के लिए सुविधाजनक एवं उपयुक्त स्थलों पर पर्याप्त मात्रा में पीने के स्वच्छ जल की प्रभावपूर्ण व्यवस्था करना आवश्यक है।
- शौचालय और मूत्रालय (धारा-19) हर कारखाने में विहित प्रकार के पर्याप्त शौचालयों और मूत्रालयों की व्यवस्था करना अनिवार्य है।
- थूकदान (धारा-20) हर कारखाने में सुविधाजनक स्थानों पर पर्याप्त संख्या में भूकदान की व्यवस्था करना अनिवार्य है। थूकदान को साफ और स्वास्थकर दशा में रखा जाएगा।
बागान श्रम अधिनियम
1951 में भी श्रमिकों के स्वास्थ्य संबंधी प्राविधान दिये गये है जिनमें -- पेयजल (धारा-8) प्रत्येक बागानों में पर्याप्त मात्रा में पेयजल हेतु नल लगे होने चाहिए तथा स्पष्ट अक्षरों में उस पर पीने का जल लिखा होना चाहिए।
- शौचालय एवं मूत्रालय (धारा-9) प्रत्येक बागानों में पुरूषों एवं महिलाओं हेतु अलग-अलग शौचालय एवं मुत्रालयों की व्यवस्था होनी चाहिए।
- चिकित्सकीय सुविधायें (धारा-10) प्रत्येक बागानों में श्रमिकों एवं उनके परिवारों हेतु चिकित्सकीय सुविधा की स्थापना होनी चाहिए जिसे वे जब चाहे उपयोग कर सकें।
औद्योगिक स्वास्थ्य सम्बन्धी सिद्धान्त
कर्मचारियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिये कर्मचारियों को स्वास्थ्य सम्बन्धी सिद्धान्तों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। अत: कर्मचारियों को केवल पर्यावरण की स्वच्छता पर ध्यान न देकर उन्हें व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी ध्यान देना चाहिए जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक रह सके। वास्तव में स्वास्थ्य सम्बन्धी सिद्धान्त किसी भी कर्मचारी के लिये महत्वपूर्ण होता है। यदि किसी भी कर्मचारी की नियुक्ति से पूर्व यदि कल्याण अधिकारी उसके साथ साक्षात्कार करता है तो कर्मचारी को पूर्णरूप से स्वास्थ्य सम्बन्धी सिद्धान्तों के बारे में अवगत कराना चाहिये। प्रत्येक फैक्ट्री में स्वास्थ्य वातावरण को बनाने के लिये स्वास्थ्य सम्बन्धी का पालन करना आवश्यक है। कुछ स्वास्थ्य सम्बन्धी सिद्धान्त अग्रलिखित है जिनके आधार पर कर्मचारी अपने आपको स्वस्थ्य बनाये रख सकते हैं।
व्यक्तिगत स्वच्छता
स्वच्छ तथा स्वस्थ्य होना व्यक्ति की व्यक्तिगत आदतों तथा भौतिक वातावरण के बीच कार्य स्थल पर होने वाले मेल जोल पर निर्भर करता है। सर्वाधिक सावधान व्यक्तिगत स्वच्छता, दूषित पर्यावरण में धूल तथा धुयें से अपने आपको बचाना है बिना किसी स्वास्थ्य देख रेख तथा स्वच्छता के व्यक्तिगत स्वच्छता अभ्यास बहुत कठिन है।
खानपान
किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ्य रहने में खान पान की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। यदि व्यक्ति अपने आपको स्वस्थ्य भोजन अपनाये तो वह स्वस्थ्य रह सकता है। सामान्यत: पीने का पानी हमेशा लोगों के स्वास्थ्य के अनुरूप होना चाहिए। दूषित पानी या रंग रहित द्रव्य पदार्थ पीने से गम्भीर समस्यायें हो सकती है। जहां गम्भीर खतरनाक पदार्थ प्रयुक्त होते है या उत्पादन करने में इनका उपयोग होता है। इनका खानपान प्रतिबन्धित होना चाहिए। गर्म या शीतल पेय पदार्थ कर्मचारियों को उनके कार्य स्थल से बाहर लेने के निर्देश होने चाहिए।
धूम्रपान
धूम्रपान पर नियंत्रण व्यक्तिगत प्रबन्धन तथा देखरेख एक कठिन प्रश्न उठाता है या आदत को पहचान लेने तथा कभी कभार कार्यस्थल के बाहर धूम्रपान करने का अवसर प्रदान करती है। ऐसे अवसरों का अभाव अवैध धूम्रपान को बढ़ावा देता है। कर्मचारियों को धूम्रपान सम्बन्धी खतरों के बारे में अवश्य सूचित करना चाहिए।
त्वचा सम्बन्धी स्वच्छता
त्वचा जो कि सबसे ज्यादा खुला भाग है तथा शरीर का सबसे संवेदनशील अंग भी है। जैसे कि घायल त्वचा भिन्न-भिन्न सूक्ष्म कीटाणुओं का केन्द्र है जो उन्हें आकर्षित करता है साथ ही साथ यह घायल त्वचा शरीर में जहर फैलने का कारण भी बन सकती है। सबसे ज्यादा त्वचा रोगी केमिकल के तत्व से होते है तथा जैविक कारक भी जीवाणु विशाणु तथा परजीवी से होने वाले त्वचा रोगों का कारण है। त्वचा की देखभाल पर विशेष बल देने की आवश्यकता है। त्वचा की स्वच्छता प्रथम है। यह नित्य स्नान तथा लगातार शरीर के खुले भागों की धुलाई से सुनिश्चित होनी चाहिए।
कार्य के द्वारा पहनावा
उचित वस्त्र एक औद्योगिक कर्मचारी के स्वास्थ्य रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। वस्त्रों के चुनाव में इस बात का महत्व रखना चाहिये कि कर्मचारियों को किन परिस्थितियों में कार्य करना तथा इसका उन पर तथा कार्य क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ेगा। कर्मचारियों के कपड़ो को धुलने का प्रबन्ध होना चाहिए। जहां बड़ी संख्या में कपड़े मुख्यत: दूषित कपड़े जिनको साफ करना आवश्यक हो फैक्ट्री में ही एक लॉण्ड्री होनी चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि विषयुक्त कपड़े विशरहित हो जाये। एक कपड़े बदलने का कक्ष अलग से होना चाहिए जिससे कि कर्मचारी कार्य स्थल पर जाने से पहले अपने कपड़े बदल सकें।
स्वच्छता शिक्षा
जहां एक ओर कार्यस्थल पर रहने का स्थान कर्मचारियों को प्रदान किया जाता है वही दूसरी ओर उनको व्यक्तिगत स्वच्छता के अवसर प्रदान करने का अवसर प्रदान करना भी उनकी जिम्मेदारी है। यहां तक कि विकसित देशों में कार्य स्थल पर अच्छी आदतों को विकसित करना इसलिए भी आपत्ति में डालने में डालने वाला समझते है क्योंकि उनके घरों में ऐसी सुविधा का आभाव रहता हैं। कर्मचारियों को स्वच्छता शिक्षा के बारे में ही जानकारी देना ही आवश्यक है। 78 इस प्रकार हम कह सकते हैं कि उपर्युक्त स्वास्थ्य सम्बन्धी सिद्धान्तों को अपनाकर कर्मचारी स्वस्थ्य बने रह सकते है।