लाभांश किसे कहते हैं लाभांश के प्रकार?

कंपनी के लाभ का वह भाग जो अंशधारियों को उनकी पूंजी पर, विनियोजन पर देय होता है, लाभांश कहलाता है। लाभांश में अंतिम तथा अंतरिम लाभांश का समावेश होता है। कंपनी में लाभांश की दर कंपनी के संचालकों द्वारा निश्चित की जाती है और कंपनी की वार्षिक साधारण सभा में अंशधारियों द्वारा अनुमोदित की जाती है। तत्पश्चात इसकी घोषणा की जाती है। लाभांश दर का वार्षिक सभा में प्रस्ताव रखना, यह संचालक मंडल का विशेषाधिकार है। लाभांश की घोषणा के पश्चात कंपनी का यह दायित्व है कि इसका भुगतान करें। संचालकों का कर्तव्य हो जाता है कि लाभांश की घोषणा करने के पश्चात 5 दिनों के भीतर अलग से बैंक खाते में लाभांश की राशि जमा कर देनी चाहिए तथा 30 दिन के भीतर लाभांश का भुगतान होना आवश्यक है। इस से संबंधित प्रावधान कंपनी अधिनियम 2013 धारा 127 में किया है।

लाभांश के प्रकार

लाभांश कितने प्रकार के होते हैं?
  1. नकद लाभांश 
  2. प्रपत्र लाभांश 
  3. ऋणपत्रों के रूप में लाभांश
  4. बोनस अंश या स्टॉक लाभांश
  5. सम्पत्ति लाभांश 
  6. सयुंक्त लाभांश 
  7. वैकल्पिक लाभांश 
  8. नियमित लाभांश
  9. अन्तरिम लाभांश 
  10. अतिरिक्त लाभांश
  11. समापन लाभांश
  12. बन्ध पत्र 
1. नकद लाभांश - यह सबसे प्रचलित व लोकप्रिय प्रारूप है। जिसके तहत लाभांश का भुगतान नकद धन के रूप में किया जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि कम्पनी की तरलता की स्थिति नकद लाभांश देने योग्य हो और नकद लाभांश देने से तरलता पर विपरीत प्रभाव न पड़ता हो। कम्पनी अपनी तरलता नीति के आधार पर नकद लाभांश का निर्णय बाजार की परिस्थितियों के आधार पर करती है।

2. प्रपत्र लाभांश - लाभ का अर्थ यह नहीं होता कि कम्पनी के पास पर्याप्त नकदी है। और नकद रूप में लाभांश दिया जा सकता है। लाभांश का भुगतान चालू वर्ष के लाभ में से या संचित कोषों में से या दोनों में से किया जाता है। यदि कम्पनी के पास पर्याप्त रोकड़ नहीं है और कम्पनी लाभांश देना चाहती है तो कम्पनी लाभांश की राशि के लिए प्रतिज्ञा-पत्र जो कुछ माह बाद देय हो, जारी कर सकती है। यदि आवश्यक हो तो शोधनीय लाभांश अधिपत्र भी जारी किये जा सकते हैं। 

3. ऋणपत्रों के रूप में लाभांश - ऋण पत्र के रूप में लाभांश देने का मन्तव्य यही होता है कि कम्पनी वर्तमान लाभांश का भुगतान भविष्य में करना चाहती है। ऐसा तभी किया जाता है, जब कम्पनी की तरलता की स्थिति नाजुक हो। एक कम्पनी लाभांश के बदले में अंशधारियों को ऋणपत्र बाण्ड्स भी जारी कर सकती है। ये ऋणपत्र एक निश्चित अवधि के बाद देय होते हैं और इन पर ब्याज भी देय होता है। 

4. बोनस अंश या स्टॉक लाभांश - संचित कोष में से नकद लाभांश न देकर उस कोष का पूंजीकरण कर दिया जाता है। अर्थात अंशधारियों को संचित कोष के बदले में समता अंश निर्गमित कर दिये जाते हैं। जब कम्पनी की तरलता स्थिति ठीक नहीं होती है और नकद लाभांश देने में असमर्थ होती है तो अंशधारियों को एकत्रित भूतकाल के लाभ के बदले में अंश निर्गमित कर दिये जाते हैं। इन अंशों को बोनस अंश कहते हैं। अंशधारी इन बोनस अंशों को अपने पास ही रखते हैं या बेचकर नकद धन प्राप्त कर लेते हैं। वस्तुत: बोनस अंश लाभांश के बदले में निर्गमित नहीं किये जाते हैं। बल्कि सामान्य लाभांश भुगतान के साथ-साथ प्रगतिशील कम्पनियों द्वारा समय-समय पर सम्पत्तियों को पूंजी बदलने के लिए बोनस अंश जारी किए जाते हैं। वर्तमान समय में पूंजी की समस्या से जूझ रही कम्पनियों के लिए बोनस अंश निर्गमित करना आसान होता है। 

5. सम्पत्ति लाभांश - लाभांश का यह प्रारूप असाधारण है। इस प्रकार का लाभांश स्कन्ध के रूप में या प्रतिभूतियों के रूप में हो सकता है। कभी-कभी एक कम्पनी दूसरी कम्पनी के अंशों व ऋणपत्रों को खरीदकर विनियोग के रूप में रखती है। यदि कम्पनी इन्हें बेचती है तो पूंजीगत लाभ का कर देना पड़ता है किन्तु जब इस प्रकार के विनियोग को लाभांश के रूप में अंशधारियों में बांटा जाता हो, तो कम्पनी पर कोई कर दायित्व नहीं बनता है। 

6. सयुंक्त लाभांश - जब लाभांश का कुछ भाग नकद रूप में तथा शेष अन्य सम्पत्ति के रूप में दिया जाता है, तो उसे संयुक्त लाभांश कहते है। संयुक्त लाभांश से अंशधारियों एवं कम्पनी दोनों को अपनी स्थितियों के अनुसार अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने का सरल या आसान विकल्प रहता है।

7. वैकल्पिक लाभांश - वैकल्पिक लाभांश में कम्पनी अपने अंशधारियों को विकल्प देती है कि वे अपनी इच्छानुसार नकद या सम्पत्ति के रूप में लाभांश ले सकते हैं। चूँकि अंशधारियों के सामने लाभांश नकद या सम्पत्ति के रूप में प्राप्त करने का विकल्प होता है, अत: इसे वैकल्पिक लाभांश कहा जाता है। वैकल्पिक लाभांश, अंशधारियों को विकल्प चयन का अवसर प्रदान करता है। 

8. नियमित लाभांश - नियमित लाभांश कम्पनी के वित्तीय वर्ष के समाप्त होने पर वार्षिक साधारण सभा में संचालकों द्वारा घोषित किया जाताहै और चुकाया जाता है। नियमित लाभांश अंशधारियों को निरन्तर वर्ष के अन्त में संचालकों द्वारा नियमानुसार भुगतान किया जाता है। 

9. अन्तरिम लाभांश - अन्तरिम लाभांश कम्पनी के सदस्यों को बिना अन्तिम खाते बनाए हुए दिया गया लाभांश होता है। जब कम्पनी यह महसूस करती है कि व्यवसाय में लाभ पर्याप्त मात्रा में अर्जित कर लिये गये हैं तो वर्ष की समाप्ति से पूर्व ही अन्तर्नियमों द्वारा अधिकृत होने पर संचालक अन्तरिम लाभांश घोषित कर सकते हैं। संचालकों द्वारा अन्तरिम लाभांश घोषित करने में पर्याप्त सतर्कता बरती जानी चाहिए, क्योंकि अगर लाभ-हानि खाते द्वारा प्रदर्शित लाभ चुकाये गये अन्तरिम लाभांश से कम रह जाता है तो इसके लिए संचालक व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी माने जाएंगे। इस दशा में पूंजी में से लाभांश का भुगतान हो जाएगा जो कि अवैधानिक होता है। वर्ष के मध्य में लाभांश का भुगतान होने पर वार्षिक लाभांश का आकलन सही नहीं होने पर एक तरफ जहां कम्पनी नुकसान उठाती है वहीं अच्छी स्थिति होने पर कम्पनी के अंशों का बाजार मूल्य स्वाभाविक तौर पर बढ़ जाता है।

10. अतिरिक्त लाभांश - एक सुदृढ़ लाभांश नीति के लिए आवश्यक है कि नियमित लाभांश की दर में अत्यधिक परिवर्तन न किया जाय। परन्तु यदि कम्पनी को किसी विशेष वर्ष में अत्यधिक व अप्रत्याशित लाभ अर्जित हो जाए तो वह नियमित लाभांश के अतिरिक्त लाभांश के साथ ही मगर पृथक रूप से दिया जाता है। अतिरिक्त लाभांश देने का उद्देश्य अंशधारियों के यह बता देना होता है कि अतिरिक्त लाभांश की राशि अस्थायी एवं अनावर्ती है। 

11. समापन लाभांश - समापन लाभांश कम्पनी के समापन अर्थात स्थायी रूप से बन्द होने की दशा में सम्पत्तियों के रूप में वितरित किया गया लाभांश है। समापन लाभांश कम्पनी के जीवनकाल में दुर्लभ और एक बार घटित होने वाली घटना होती है जिसका कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है। कम्पनी का समापन होने पर कम्पनी के जीवनकाल का अन्तिम लाभ उनकी पूंजी के अनुसार भुगतान किया जाता है। 

12. बन्ध पत्र  -  इसमें कम्पनी नकद लाभांश न देकर बन्ध पत्रों के रूप में लाभांश वितरित करती है। इसका आशय यह हुआ कि कम्पनी वर्तमान में लाभांश न वितरित करके भविष्य में किसी निश्चित तिथि को ब्याज सहित लाभांश चुकाने का वायदा करती है। इसके लिए अंशधारियों को एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है जिसे बॉण्ड या बन्ध पत्र कहते हैं। बन्धपत्र लाभांश बाजार में उपलब्ध नये उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है जिससे कम्पनियों को एक नया विकल्प और अंशधारियों को अवसर उपलब्ध होते हैं।

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