मानव संसाधन लेखांकन अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, उद्देश्य, लाभ या महत्व

मानव संसाधन लेखांकन को एक ऐसी लेखांकन पद्धति के रूप में माना जा सकता है, जिसके प्रयोग से मानव संसाधनों को सम्पत्ति के रूप में मान्यता प्रदान की जाती हो और अन्य भौतिक साधनों की भांति जिनके मूल्य को माप कर लेखा पुस्तकों में दर्ज किया जाता हो। इसके माध्यम से मानव संसाधनों के सम्बन्ध में बहुमूल्य सूचनाओं का सृजन व प्रस्तुतीकरण किया जा सकता है। 

मानव संसाधन लेखांकन की परिभाषा

कुछ विद्वानों द्वारा अभिव्यक्त धारणाएं हैं :

आर0एल0 बुडरफ के अनुसार- ‘‘मानव संसाधन लेखांकन एक संगठन के मानव संसाधनों में किये गये विनियोग को पहचानने व रिपोर्ट करने का प्रयास है। मूलत: यह एक सूचना प्रणाली है जो प्रबन्ध को व्यवसाय के मानव संसाधनों मे कालावधि में हो रहे परिवर्तनों को सूचित करती है।’’
 
अमरीकन लेखाकन संघ समिति के अनुसार-’’मानव संसाधनों में सम्बन्ध में समंको की पहचान व मापन तथा हित रखने वाले पक्षों को इस सूचना के संवहन की प्रक्रिया ही मानव संसाधन लेखांकन है।’’
 
फलेमहोल्ज का विचार है कि व्यक्तियों को संगठनात्मक संसाधन के रूप में लेखांकित करना चाहिए उनके अनुसार ‘‘मानव संसाधन लेखांकन संगठन के लिए व्यक्तियों की लागत व मूल्य का मापन है।’’

मानव संसाधन लेखांकन की विशेषताएं 

मानव संसाधन लेखांकन की विभिन्न परिभाषाओं के निरूपण से यह निष्कर्ष निकलता है कि इस लेखांकन की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं :-
  1. इस लेखा विधि में मानव संसाधनो की पहचान की जाती है। मानव संसाधनों में संगठन में कार्यरत सभी प्रकार के व्यक्तियों को शामिल किया जाता है।
  2. मानव संसाधनों में किये गये विनियोग का अभिलेखन किया जाता है। 
  3. मानव संसाधनों की लागत व मूल्य का मापन किया जाता है। 
  4. मानव संसाधनों में हो रहे परिवर्तनों का भी रिकार्ड रखा जाता है।
  5. मानव संसाधनों के सम्बन्ध में उक्त ढंग से सृजित सूचना को वित्तीय विवरण के माध्यम से हित रखने वाले पक्षो को संवहित किया जाता है। 

मानव संसाधन लेखांकन के उद्देश्य 

यह पद्धति एक ऐसाी विचारधारा है जिसका उद्देश्य वित्तीय रूप में यह पता लगाना होता है कि-
  1. संस्था में दक्ष, रूचि रखने वाले व नौकरी के प्रति पूर्णत: समर्पित व्यक्तियों की मात्रा व मूल्य कितना है। 
  2.  संस्था में कार्यरत व्यक्तियों से मिलने वाला लाभ तथा उसकी लागत (अर्थात उन व्यक्तियो को भर्ती करने, आकर्षित करने व बनाये रखने में निहित लागत) से अधिक है या नहीं। 
  3. संस्था में कार्य को अभिप्रेरित व कार्य के प्रति समर्पित करने वाली विशेषताओं का सही मात्रा में मापन हो रहा या नहीं। इन्ही तीन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु मानव संसाधन लेखांकन का आविर्भाव हुआ है और फलत: ये ही मानव संसाधन लेखांकन के तीन महत्वपूर्ण पहलू भी हैं। 

मानव संसाधन लेखांकन के लाभ या महत्व 

मानव संसाधन लेखांकन द्वारा सृजित सूचना से अनेक लाभ प्राप्त किये जा सकते है। मुख्यत: इस लेखांकन का प्रयोग या लाभ अग्रवत है :-
  1. मानवशक्ति के अल्पकालीन व दीर्घकालीन नियोजन, विकास व प्रयोग हेतु मानव संसाधन लेखांकन श्रेष्ठ, वैज्ञानिक व वास्तविक आधार प्रदान कर सकता है। 
  2. मानव संसाधनों का लागत लाभ विश्लेषण किया जा सकता है और इस विश्लेषण के प्रकाश में बोनस सुविधाओं, सेविवर्गीय क्षतिपूर्ति, पुरस्कार व दण्ड सम्बन्धी योजनाओं को लागू किया जा सकता है। इस प्रकार का विश्लेषण सेविवर्गीय मूल्यांकन, निष्पादन मूल्यांकन व प्रोन्नति की योजना में भी सहायक सिद्ध हो सकता है। 
  3. विनियोग पर प्रत्याय की अवधारणा को मानव सम्पदा पर लागू करके मानव संसाधनों के विकास में किये गये विनियोग पर नियन्त्रण औजार के रूप में मानव संसाधन लेखांकन का प्रयोग किया जा सकता है।
  4.  मानव लेखांकन पद्धति को लागू करने से विनियोग सम्बन्धी निर्णय अधिक वास्तविक व व्यावहारिक हो सकेंगे। 
  5. मानव संसाधन लेखांकन द्वारा सूचित सूचनाओं का महत्व बाह्य व्यक्तियों के लिए भी होगा। विशेषकर ऋण प्रदान करने वाली संस्थाओं जैसे वित्तीय संस्थाए व बैकर्स के लिए ये सूचनाएं इस मायने में महत्वपूर्ण होगी कि वे सरलतापूर्वक ऋण देने के सम्बन्ध में अपने निर्णय को तय कर सकेंगी। 
  6. अंश निर्गमन के समय भावी अंशधारियों, ऋणपत्र व बॉण्डस निर्गमन के समय वित्तीय संस्थाओं व सम्वर्द्धन, विविधीकरण, एकीकरण, आदि सम्बन्धी प्रस्तावों पर विचार करते समय विभिन्न सरकारी विभागों के लिए भी ये सुनिश्चित सूचनाएं महत्वपूर्ण हो सकती है। 

मानव संसाधन लेखांकन की बाधाएं 

 वर्तमान मे मानव संसाधन को सम्पत्ति के रूप में मानते हुए वित्तीय विवरणों में दर्शाया जाय परन्तु यह भी सत्य है कि अभी तक इसे पूर्णत: वैज्ञानिक रूप नहीं प्रदान किया गया है। इसमें अभी बहुत सी कमियां है और साथ ही बहुत सी बाधाएं भी हैं। कुछ बाधाएं हैं :-
  1. मानव संसाधन के मूल्य मापन हेतु कोई निश्चित व पर्याप्त प्रमाप निर्धारित नहीं किया गया है। 
  2. श्रम संघों द्वारा भी इस लेखांकन का विरोध किये जाने का भय व्याप्त है। 
  3. कुछ लोग इस तथ्य का भी विरोध करते हैं कि मानव प्राणी सम्पत्ति है। इस विरोध का आधार भावनात्मक है। वे सोचते हैं कि ऐसा करने से मानव गुलाम बनकर रह जायेगा। 
  4. यह भी सुनिश्चित नहीं किया गया है कि मानव संसाधन को किस वर्ग की सम्पत्ति (स्थायी सम्पत्ति, चल सम्पत्ति या विनियोग या अमूर्त) माना जाय। 
  5. अन्य सम्पत्तियों की भाँति मानव सम्पदा को संस्था में ही बने रहने की दशा पूर्णत: अनिश्चित है क्योंकि कर्मचारीगण पूर्णत: संस्था को छोड़ने के लिए स्वतन्त्र होते हैं। 
  6. मानव संसाधन के मूल्य मापन में प्रयुक्त विभिन्न मॉडल में जिस भावी आय के अनुमान की बात की गयी है उसके सम्बन्ध में पूर्ण ज्ञान का अभाव है। इस अनिश्चयपूर्ण विश्व में भावी आय का अनुमान कभी भी सही नहीं हो सकता।

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