डीजल, पेट्रोल आदि का संरक्षण करने के लिये हमें निम्न उपाय अपनाने चाहिये-

ऊर्जा के संसाधनों में पेट्रोलियम (Petra = ,शैल, Oleum = तेल) अर्थात् खनिज तेल का महत्व बहुत अधिक व्यापक है। कोयले की अपेक्षा पेट्रोलियम हल्का होता है, तथा इसमें ताप देने की शक्ति कोयले से कई गुना अधिक होती है। इसलिए मोटर गाड़ियों, रेल के इंजनों, जलपोतों और वायुयानों में पेट्रोल ही चालक शक्ति होता है। कृषि के ट्रेक्टरों, हारवेस्टरों, कम्बाइन मशीनों, सिचाई की गाड़ियों, ट्रकों आदि में पेट्रोल का प्रयोग होता है।

पेट्रोलियम कैसे बनता है?

पेट्रोलियम भी पृथ्वी की परत के अंदर एक गाढ़े तरल के रूप में होता है, और समुद्र के तल पर हवा की अनुपस्थिति में दफन हुए समुद्री पौधे और पशु पदार्थों और प्रागैतिहासिक जंगलों में बैक्टीरिया के द्वारा बनता है। लेकिन इस प्रक्रिया में आप जानते हैं कि हजारों साल लग जाते हैं तो आप समझ सकते हैं कि इन संसाधनों का पुन: बनना कितना कठिन है। जीवाश्म ईधन का व्यापक उपयोग गंभीर पर्यावरणीय चिंताओं को बढ़ाता है। 

विश्व में पेट्रोलियम के भंडार

संसार मे तेल के ज्ञात भण्डार सबसे अधिक फारस की खाड़ी के समीपवर्ती पश्चिमी एशिया के अरब राज्यों में हैं। इनमें विश्व के पेट्रोलियम भण्डार का लगभग 60 प्रतिशत भाग है। कैस्पियन सागर, काला सागर, लाल सागर और फारस की खाड़ी से घिरा हुआ भूखण्ड संसार का सर्वप्रमुख पेट्रोलियम भण्डार है। अन्य बड़े भण्डार संयुक्त राज्य अमेरिका, केरीबियन सागरीय प्रदेश तथा उतरी अमेरिका के अल्जीरिया और लीबिया राज्य हैं। भारत में भी खनिज तेल के छोटे-छोटे भण्डार हैं ।

पेट्रोलियम से प्राप्त पदार्थ

  1. मोटर स्प्रिट जो मोटरकारों तथा मोटर साइकिलों को चालक शक्ति देती है। 
  2. मिट्टी का तेल, जो घरेलू ईधनों में काम आता है । 
  3. गैसे, जिनसे (i) टेरीलीन वस्त्र, (ii) रेयन वस्त्र, (iii) पोलीथीन (थैले, प्याले आदि को बनाने के लिए), (iv) प्लास्टिक्स के सामान, (v) पेण्ट, रोशनाई आदि बनाते हैं । 
  4. डीजल तेल, जिससे रेल का इंजन, मोटर, बसे, ट्रक, ट्रैक्टर, टैंक आदि चलते है। 
  5. स्नेहक जो चलने वाले पुर्जो को घिसने से बचाते हैं । 
  6. जैली से मरहम ।
  7. पैरीफीन, मोम से मोमबत्तियॉं, पॉलिश, वैसलीन आदि बनते हैं । 
  8. बिटुमेन से सड़क बनाते हैं, तथा मकानो की छतों को जलरोधी बनाते हैं ।
  9. विभिन्न उर्वरक बनाये जाते है । 

पेट्रोलियम का संरक्षण

पेट्रोलियम जैसे डीजल, पेट्रोल आदि का संरक्षण करने के लिये हमें निम्न उपाय अपनाने चाहिये- 
  1. कम ईधन खर्च करने वाले वाहन का प्रयोग करना।
  2. वैकल्पिक ईधन का उपयोग करना - सी.एन.जी., एल.पी.जी. के स्थान पर बायो गैस, जैव ईधन, आदि का उपयोग करना।
  3. गाड़ी को खड़ी स्थिति में बन्द कर देना चाहिये। 
  4. गाड़ियों की समय-समय पर ट्यूनिंग करवाते रहना चाहिये। इससे तेल की खपत में कमी आती है। 
  5. ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों जैसे-वायु ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, तापनाभिकीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा के प्रयोग पर बल देना चाहिये।

जलाऊ लकड़ी़ 

लकड़ी का ईधन के रूप में उपयोग प्राचीन काल से होता चला आया है। ईधन हेतु लकड़ी प्राप्त करने के लिये हम वनों पर आश्रित रहते हैं और लगातार वनों की कटाई करते आये हैं जिसके कारण आज वनों का क्षेत्रफल लगातार कम होता जा रहा है। जलाऊ लकड़ी का उपयोग हम दो प्रकार से करते हैं- 
  1. सीधे जलाकर ऊर्जा प्राप्त करना। 
  2. लकड़ी से कोयला तैयार करके उससे ऊर्जा प्राप्त करना। 
भारतवर्ष की कुल जनसंख्या का लगभग 80 प्रतिशत भाग ईधन हेतु इसी जलाऊ लकड़ी पर आश्रित हैं। यहॉ जलाऊ लकड़ी का उपयोग खाना पकाने एवं अन्य कार्यो में किया जाता है। कुछ उद्योगों में भी लकड़ी जलाकर इससे प्राप्त ऊर्जा का ही उपयोग किया जाता है। चूॅकि जनसंख्या में सतत वृद्धि होती जा रही है। ऊर्जा के अन्य स्रोतों को ढूढकर लकड़ी की खपत को हमें कम करना होगा अन्यथा एक दिन ऐसा होगा जबकि पृथ्वी से पौधों का अस्तित्व समाप्त हो जावेगा। चूॅकि हमारा अस्तित्व इन्हीं पौधों से ही है अत: इनका संरक्षण अति आवश्यक हैं।

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