हमारे समाज में कुछ ऐसे पदार्थों का प्रचलन है। जो कि व्यक्ति के स्वस्थ के लिए
अत्यधिक हानिकारक होते है। इन्हें वर्ज्य पदार्थ या निषिद्ध भोज्य पदार्थ कहते है।
जैसे-
- मदिरा
- धूम्रपान
- तम्बाकू
- अफीम
- चरस आदि।
- मस्तिष्क पर प्रभाव- मदिरा ग्रहण करने से मस्तिश्क में क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया की क्षमता कम हो जाती है। इसलिए मदिरापान करके वाहन चलाने पर दुर्घटनायें अधिक होती है। अधिक शराब पीने से स्मरण शक्ति लोप हो जाता है।
- मांसपेशियों पर प्रभाव - मदिरा पान करने के पश्चात व्यक्ति की मांसपेशियों का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे वह लड़खड़ाकर चलता है।
- यकृत पर प्रभाव - मद्यपान करने से यकृत की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त होने लगती है। जिससे भूख कम होने लगती है। पीलिया की सम्भावना तथा सिरोसिस जैसी बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है।
- अमाशय पर प्रभाव- एल्कोहल अमाशय में उत्तेजना उत्पन्न करता है। जिससे अधिक अम्ल स्त्राव होता है यह अम्ल अधिकतर अमाशय मेंं घाव पैदा करता है।
- नैतिक व सामाजिक पतन- मद्यपान के पश्चात व्यक्ति की सोचने विचारने की क्षमता कम हो जाती है। जिससे वह कोई भी अपराध को अन्जाम दे सकता है। वह समाज से सैदव अलग रहने की कोशिश करता है। नशे के समय वह यह निर्णय नहीं कर पाता कि क्या नैतिक है और क्या अनैतिक है।
- निकोटिन को अधिक मात्रा धुएं के रूप में लेने से गला तथा फेफडे प्रभावित होते है। तपेदिक रोग की सम्भावना बढ़ जाती है।
- शरीर में O2 की कमी से रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है। थोड़ा सा चलने पर व्यक्ति हाँकने लगता है।
- रक्त चाप बढ़ जाता है।
- मुख और फेफडे़ का केन्सर होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
- मांसपेशियों की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
- पाचन क्रिया खराब हो जाती है।
4. नशीली दवायें - व्यक्ति चिंतामुक्त होने अथवा निद्रा लेने के लिए इसका उपयोग
करते है, किंतु अधिक उपयोग व्यक्ति को इसका आदि बना देता है।
व्यक्ति का शारीरिक मानसिक विकास रूक जाता है। भूख कम होने
लगती है। शारीरिक शक्ति क्षीण होने लगती है। वह समाज का सामना
करने से घबराता है। इन दवाईयों की पूर्ति के लिए असामाजिक कृत्य भी
कर बैठता है।
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वर्ज्य पदार्थ