वस्त्र परिसज्जा क्या है इसका प्रयोग कपड़ों पर करना क्यों आवश्यक है?

परिसज्जा द्वारा किसी वस्त्र को अधिक चमकीला मजबूत तथा धोने पर न सिकुड़ने वाला बनाया जा सकता है क्योंकि वस्त्र जब करघे पर मशीनों पर बुन कर आता है तो वह खुरदुरा, गंदा तथा दाग धब्बे वाला होता है उसका परिष्करण आवश्यक होता है तभी वह उपयोग के लायक होता है अत: कहा जा सकता है कि कपड़ा बुनने के बाद उसे निखारने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाती है वह परिसज्जा कहलाती है।

परिसज्जा का वर्गीकरण

आधारभूत परिसज्जाएं

1. मंजाई या सफाई - कपड़ों की बुनाई के दौरान उनमें तेल के धब्बे, धूल-मिट्टी और अन्य प्रकार के दाग लग जाते है। कोई अन्य परिसज्जा प्रयुक्त करने से पूर्व इस मैले-पन को पूरी तरह से दूर करना आवश्यक होता है सफाई के लिए न सिर्फ साबुन व पानी का प्रयोग होता है बल्कि कुछ रसायनों का प्रयोग भी किया जाता हैं सफाई के बाद कपड़ा चिकना, साफ और अधिक अवशोषी बन जाता है

2. विरंजन -जब वस्त्र बनाए जाते है। उस समय उनका रंग सफेद नहीं होता सफेद करने या हल्के रंग में रंगने के लिए उन्हे विरंजित किया जाता है उपयुक्त विरंजन कारकों का प्रयोंग करके कपड़े का रंग उड़ा दिया जाता है विरंजन की प्रक्रिया सूती, ऊनी और रेशमी वस्त्रों पर की जाती है मानव निर्मित रेशों पर विरंजन की आवश्यकता नहीं होती वे प्राकृतिक रूप से सफेद होते है। क्या आपको कुछ मानवनिर्मित रेशों के नाम याद विरंजन की प्रक्रिया में बहुत सावधानी की आवश्यकता होती हैं क्योंकि रंग उड़ाने वाले रसायन कुछ हद तक कपड़े को भी क्षति पहुंचा सकते हैं हाइड्रोजन पैराक्साइड एक ऐसा विरंजक है जो सभी प्रकार के कपड़ों पर प्रयुक्त किया जा सकता है।

3. संदृढृन - कपड़े पर कड़ापन ला ने के लिए परिसज्जा प्रयुक्त की जाती हैं आप अपने सूती वस्त्रों को घर पर कैसे कड़ा बनाते है। आप इसके लिए मैदा वाला कलफ प्रयोग करते है। अथवा चावल या मांड? सूती वस्त्रों पर कलफ लगाया जाता हैं और रेशमी वस्त्रों पर गोंद का प्रयोग किया जाता हैं यदि कपड़ा सही प्रकार से कड़ा किया जाए तो उसमें चिकनापन और चमक आ जाती है। 

कपड़ा खरीदते समय, कपड़े को हाथों के बीच रगड़ कर देखिए यदि सफेद पाउडर-सा झड़ता है तो इसका मतलब है कि घटिया कपडे पर बहुत ज्यादा कलफ लगाया जाता है जिससे वह बढ़िया दिखें ऐसे वस्त्र अच्छे नहीं होते है। व इन्हें खरीदने से बचें

विशिष्ट परिसज्जा  

1. मर्सरी करण - रंगाई और छपाई से पहले सूती कपड़ा चमकहीन और खुरदरा होता है। जिस पर आसानी से सिलवटें भी पड़ सकती है। जब वह रसायनों के प्रयोग से मर्सरीकृत किया जाता है। तो यह मजबूत और चमकदार हो जाता है और अच्छी तरह रंगा जा सकता है क्योंकि मर्सरीकरण के बाद यह और अधिक अवशोषी बन जाता है मर्सरीकरण एक स्थायी परिसज्जा है यह परिसज्जा किसी क्षार (सोडियम हाइड्रोक्साइड) के साथ नियंत्रित स्थितियों में प्रयुक्त की जाती है आजकल सूती वस्त्रों के लिए यह परिसज्जा अनिवार्य सी हो गई है।

2. सिकुडन नियंत्रण - कपड़े पर लगे हुए लेबल पर यदि सैन्फोराइज्ड लिखा हुआ हो तो इसका अर्थ है कि कपड़े पर सिकुड़न नियन्त्रण परिसज्जा दी जा चुकी है और यह धोने के बाद सिकुड़ेंगा नहीं? यदि कपड़े पर यह परिसज्जा प्रयुक्त नहीं की गई है तो आप घर पर स्वयं यह घर पर कर सकते है। उदाहरण: साड़ी पर लगाई जाने वाली फाल को लगाने से पहले पानी में भिगो दीजिए इसी प्रकार सूट बनवाने से पहले कपड़े को पानी में भिगो दीजिए रात भर भिगोने के बाद निचोड कर सुखा लीजिए इस प्रकार सिकुड़े कपड़े से बने वस्त्र धुलने पर छोटे नहीं होंगे

3. जल सहकरण - बरसाती, छतरी व तिरपाल के लिए प्रयोग किए जाने वाले कपड़ों को रसायनों से संसाधित किया जाता है ताकि उनमें से पानी न निकल सके इस परिसज्जा को जल सहकरण कहतें है। यह एक स्थायी परिसज्जा है।

4. रंगाई व छपाई - बाजार में आपको सिर्फ सफेद कपड़े ही नहीं मिलते, सादे रंग और रंग-बिरंगे डिजाइनों वाले कपड़े भी बाजार में बिकते है। अर्थात् सादे कपड़ों की रंगाई और रंग-बिरंगे डिजाइनों वाले कपड़ों की छपाई की जाती है रंगाई से पूरे कपड़े को एक पक्का रंग दिया जाता है जबकि निर्धारित स्थानों पर रंगाई का प्रयोग छपाई कहलाता है। यह आवश्यक है कि रंगा और छपा हुआ वस्त्र पक्के रंग का हो, नहीं तो प्रयोग करते हुए धोने, प्रेस करने अथवा रगड़ने पर इसका रंग निकल जाएगा। 

रंग का पक्का पन जांचने का एक सरल उपाय है कपड़े के एक कोने पर सफेद रूमाल को गीला करके रगड़िए। यदि गीले रूमाल पर कपड़े का रंग लग जाता है। तो वह रंग कच्चा है तथा वह कपड़ा नहीं खरीदना चाहिए। यदि आपने ऐसा कोई सूती वस्त्र खरीद लिया हैं। जिसका रंग कच्चा है तो उसे नमक डालकर ठंडे पानी में धोइए।

Post a Comment

Previous Post Next Post