अनुक्रम
अमेरिका के उत्तरी एवं दक्षिणी भाग में रहने वाले लोगों के मध्य कई बातों पर पारस्परिक
मतभदे थे ओर इन्हीं मतभेदों के चलते इनके बीच 1861 ई. में जो संघर्ष हुआ, वह इतिहास में अमेरिका
के गृह युद्ध के नाम से जाना जाता है। अब्राहम लिंकन जिस समय अमेरिका के राष्ट्रपति बने, उस समय अमेरिका की स्थिति काफी
शोचनीय थी। उत्तर व दक्षिण के मध्य वैमनस्य की भावना विद्यमान थी। परंपरागत रूप से जहाँ
अमेरिका का उत्तरी भाग उद्योग प्रधान था, वहीं दक्षिणी भाग की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि था।
अत: इनके मध्य विद्वेष का कारण यह भी था, कि जो नीतियाँ उत्तरी भाग हेतु लाभदायक थीं, वे दक्षिणी
भाग के लिए हानिकारक थीं। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के कारण दक्षिणी लोग दास प्रथा को निहित
स्वार्थवश बरकरार रखना चाहते थे, जबकि उत्तरवासी इसे ईश्वरीय कानून के विरूद्ध मानकर समाप्त
करना चाहते थे। इनके अलावा और भी कई मतभेदों के चलते जहाँ दक्षिणी लोग अमेरिकी संघ से
अलग होना चाहते थे, वहीं उत्तरी लोग संघ के विघटन को रोकना चाहते थे।
इस संघर्ष की स्थिति के समय अमेरिका के प्रसिद्ध देशभक्त नेता जार्ज वाशिंगटन, हैमिल्टन एवं थॉमसर जैुरनसन आदि का देहांत हो चुका था। इनके पश्चात् के अमेरिकी नेताओं में योग्यता तो थी परंतु देश के प्रति समर्पण की भावना कुछ कम थी। युद्ध के उत्तरदायित्व को लेकर भी इतिहासकारों में मतभेद हैं। कुछ इतिहासकार इस गृह युद्ध के लिए उत्तर वालों को इस आधार पर उत्तरदायी मानते हैं, कि कहीं दास प्रथा विरोधी संस्थाओं का गठन हुआ, स्वतंत्र भूमि दल बना एवं अन्य दक्षिण विरोधी कार्य हुए, जबकि कुछ इतिहासकार दक्षिण वालों को इस आधार पर गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार मानते हैं कि, वहीं दास प्रथा विरोधी लोगों पर हमले हुए तथा दक्षिणवासियों की हिंसात्मक प्रवृत्ति भी युद्ध के लिए उत्तरदायी थी।
दूसरी ओर दास प्रथा के दक्षिणवासियों के समर्थन से उत्तर के लिंकन जैसे नेताओं को भय हुआ कि दास प्रथा संपूर्ण देश को चपेट सकती है। उत्तर के विभिé पत्रकारो, पादरियों और राजनीतिज्ञों ने दास प्रथा की बरु ाइयों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया। इस प्रकार गृह युद्ध की पृष्ठभूिम तैयार हुई।
इस संघर्ष की स्थिति के समय अमेरिका के प्रसिद्ध देशभक्त नेता जार्ज वाशिंगटन, हैमिल्टन एवं थॉमसर जैुरनसन आदि का देहांत हो चुका था। इनके पश्चात् के अमेरिकी नेताओं में योग्यता तो थी परंतु देश के प्रति समर्पण की भावना कुछ कम थी। युद्ध के उत्तरदायित्व को लेकर भी इतिहासकारों में मतभेद हैं। कुछ इतिहासकार इस गृह युद्ध के लिए उत्तर वालों को इस आधार पर उत्तरदायी मानते हैं, कि कहीं दास प्रथा विरोधी संस्थाओं का गठन हुआ, स्वतंत्र भूमि दल बना एवं अन्य दक्षिण विरोधी कार्य हुए, जबकि कुछ इतिहासकार दक्षिण वालों को इस आधार पर गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार मानते हैं कि, वहीं दास प्रथा विरोधी लोगों पर हमले हुए तथा दक्षिणवासियों की हिंसात्मक प्रवृत्ति भी युद्ध के लिए उत्तरदायी थी।
अमेरिकी गृहयुद्ध के कारण
1. दूरवर्ती कारण - संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी तथा दक्षिणी भागांे में आपसी मनमुटाव गृह युद्ध का कारण बना। उत्तर एवं दक्षिणी भागों के बीच मतभेद निम्न प्रश्नों पर था -- दासता का प्रश्न, 1820
- टेक्सॉस के विलय का प्रश्न
- मैक्सिको का युद्ध
- दक्षिण के दास मालिकों ने दास प्रथा की रक्षा के लिए ऐसे तर्क दिये और कायर् किये जिनसे उत्तरवासियों के दिल में अविश्वास एवं रोश पैदा हुआ। दक्षिणवासियों ने इसे पवित्र जीवन का आधार, दासो की सुरक्षा एवं गोरे लोगों की प्रभुता हेतु न्यायोचित ठहराया।
- उत्तरवासी दास प्रथा को ईश्वरीय कानून के विरूद्ध स्वार्थपूर्ण प्रवृत्ति पर आधारित, समानता व स्वतंत्रता की घोषणा के विरूद्ध तथा दक्षिण की प्रगति को रोकने वाला बताकर उसका विरोध करते थे। इन तर्क-वितर्कों के चलते कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं था। दासता के बढ़ते प्रभाव पर एक अमेरिकन ने व्यंगात्मक लहजे में कहा था, ‘‘अमेरिकी झण्डे से तारों का प्रकाश और प्रभाव की लाल किरणें मिटा देनी चाहिए और इस पर काडे़े तथा बेिड़याँ अंकित करनी चाहिए।’’
दूसरी ओर दास प्रथा के दक्षिणवासियों के समर्थन से उत्तर के लिंकन जैसे नेताओं को भय हुआ कि दास प्रथा संपूर्ण देश को चपेट सकती है। उत्तर के विभिé पत्रकारो, पादरियों और राजनीतिज्ञों ने दास प्रथा की बरु ाइयों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया। इस प्रकार गृह युद्ध की पृष्ठभूिम तैयार हुई।
4. लिंकन का निर्वाचन - 1860 ई. के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के विभाजन के परिणामस्वरूप रिपब्लिकन पार्टी
के उम्मीदवार अब्राहम लिंकन विजयी हुए जिन्होने चुनाव में दासता के प्रश्न को महत्व दिया था। लिंकन
की विजय से दक्षिणी राज्यों की चिंता हुई, कि नयी सरकार उनकी संस्थाओं एवं विशिष्ट सभ्यता को
खण्डित कर देगी। इस भावना ने दक्षिण के राज्यों को संघ से अलग होने को प्रेरित किया।
5. दास मालिकों की गलतियाँ -
दक्षिण के दास मालिकों ने दुस्साहसपूर्वक संविधान की धज्जियाँ उड़ा दीं। उन्होंने संघ से हटने
और युद्ध आरंभ करने के पूर्व कुछ गल्तियां की जो निम्नलिखित हैं -
दक्षिण केरोलिना ने 20 दिसम्बर, 1860 को संघ से पृथक् होने की घोषणा की। शीघ्र ही मिसीसीपी, फ्लाेि रडा, अलवाना, जार्जिया, ल्यूसियाना, टेक्सॉस और अन्य राज्यों ने संघ से पृथक् होकर दक्षिण परिसंघ बनाया। परिसंघ ने माण्टगोमरी (अल्वाना) में संयुक्त कनेक्शन बुलाई। अस्थायी संविधान स्वीकार किया तथा प्रावधिक (अस्थायी) राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति का निर्वाचन किया। उत्तरी राज्यों ने इस कार्यवाही को विद्रोह घोषित किया।
- अपनी शक्ति का आकलन नहीं किया।
- उत्तरी मित्रों से नाता ताडे़ लिया।
- संघीय भावना की उपेक्षा की।
- वे यह भूल गये कि उन्हें विदेशी सहायता और मान्यता दासता के प्रश्न पर नहीं मिल सकती।
- राज्यों को पृथक होना
दक्षिण केरोलिना ने 20 दिसम्बर, 1860 को संघ से पृथक् होने की घोषणा की। शीघ्र ही मिसीसीपी, फ्लाेि रडा, अलवाना, जार्जिया, ल्यूसियाना, टेक्सॉस और अन्य राज्यों ने संघ से पृथक् होकर दक्षिण परिसंघ बनाया। परिसंघ ने माण्टगोमरी (अल्वाना) में संयुक्त कनेक्शन बुलाई। अस्थायी संविधान स्वीकार किया तथा प्रावधिक (अस्थायी) राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति का निर्वाचन किया। उत्तरी राज्यों ने इस कार्यवाही को विद्रोह घोषित किया।
6. संघ की रक्षा - गृह युद्ध की उल्लेखनीय विशेषता यह थी कि दक्षिणी राज्य दास प्रथा की रक्षा के लिए संघ से
अलग हो रहे थे, जबकि उत्तरी राज्य संघ की रक्षा के लिए युद्ध लड़ रहे थे।
7. आर्थिक लक्ष्य - उत्तरी राज्य आर्थिक हितों की रक्षा हेतु प्रतिबद्ध थे। इसी कारण लिंकन को मध्य पश्चिम के
किसानों का अधिक समर्थन मिला।
अमेरिकी गृहयुद्ध का आरंभ
युद्ध का आरंभ 12 अप्रैल, 1861 में हुआ। गृहयुद्ध आरंभ होने के समय दोनों पक्षों ने एक दूसरे की शक्ति का अनुमान गलत लगाया अत: युद्ध 4 वर्ष चला और तभी समाप्त हुआ, जबकि दक्षिण के लोग थककर चूर हो गये।अमेरिका का गृहयुद्ध का महत्व
- युद्ध में दोनों पक्षों का व्यापक नरसंहार हुआ।
- एल्सन के अनुसार कुल युद्ध व्यय 10 अरब डालर से अधिक ही था।
- दक्षिण का आर्थिक विनाश हुआ।
- दास प्रथा की समाप्ति हुई। 1865 ई. में सीनेट ने संविधान में दास मुक्ति संबंधी संशोधन स्वीकार किये।
- राज्य सम्प्रभुता की समाप्ति हुई।
- औद्योगिक प्रसार बढ़ा एवं तकनीकी प्रणाली विकसित हुई।
- अधिकारों के भूखो लोगो ने देश की सामाजिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डाला।
- संघीय सरकार पर रिपब्लिकन पार्टी का एकाधिकार बढ़ा।
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