परंपरा किसे कहते हैं?
परम्परा सामाजिक विरासत का वह अभौतिक अंग है जो हमारे व्यवहार के स्वीकृत तरीकों का द्योतक है, और जिसकी निरन्तरता पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरण की प्रक्रिया द्वारा बनी रहती है। परंपरा को सामान्यत: अतीत की विरासत के अर्थ में समझा जाता है। कुछ विद्वान ‘सामाजिक विरासत’ को ही परम्परा कहते हैं।परन्तु वास्तव में परम्परा के काम करने का ढंग जैविक वंशानुक्रमण या प्राणिशास्त्रीय विरासत के तरीके से मिलता-जुलता है, और वह भी जैविक वंशानुसंक्रमण की तरह कार्य को ढालती व व्यवहार को निर्धारित करती है। उसी तरह (अर्थात् जैविक वंशानुसंक्रमण की तरह ही) परम्परा का भी स्वभाव बगैर टूटे खुद जारी रहने पर भूतकाल की उपलब्धियों को आगे आने वाले युगों में से जाने या उन्हें हस्तान्तरित करने का है। यह सब सच होने पर भी सामाजिक विरासत और परम्परा समान नहीं है।
इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजन के अनुसार परंपरा का तात्पर्य मूलरूप में ‘हस्तांतरण’ से है। ‘Tradition’ शब्द हस्तांतरण करने की क्रिया ‘Tredere’ से व्युत्पन्न है। इसका प्रयोग ईसाई धर्म गुरुओं की शिक्षाओं के निर्देश को संरक्षित करने हेतु हस्तांतरण के रूप में किया जाता था।
‘रास’ का मानना है कि परंपरा का अर्थ चिंतन तथा विश्वास करने की विधि का हस्तांतरण है। जबकि ‘गिन्सबर्ग’ के अनुसार परंपरा का अर्थ उन संपूर्ण विचारों, आदतों तथा प्रथाओं का योग है जो जन साधारण से संबंधित है तथा पीढ़ी दर पीढ़ी संप्रेषित होता है।’’
सामाजिक विरासत की अवधारणा परंपरा से अधिक व्यापक है। भोजन कपड़ा, मकान कुर्सी, मेज, पुस्तक, खिलौने, घड़ी, बिस्तर, जूते, बर्तन, उपकरण, मशीन, प्रविधि नियम, कानून, रीति-रिवाज, ज्ञान, विज्ञान, विचार, प्रथा, आदत, मनोवृत्ति आदि जो कुछ भी व्यक्ति को समाज से मिलता है, उस सबके योग को या संयुक्त रूप को हम सामाजिक विरासत कहते हैं। इसका तात्पर्य यह हुआ कि सामाजिक विरासत के अन्तर्गत भौतिक तथा अभौतिक दोनों ही प्रकार की चीजें
आती हैं, जबकि ‘परम्परा’ के अन्तर्गत पदार्थों का नहीं, बल्कि विचार, आदत, प्रथा, रीति-रिवाज, धर्म आदि अभौतिक पदार्थों का समावेश होता है।
अत: स्पष्ट है कि परम्परा सामाजिक विरासत नहीं, ‘सामाजिक विरासत’ का एक अंग मात्र है। ‘परम्परा’ सामाजिक विरासत का अभौतिक अंग है। मशीन, मकान, फर्नीचर, बर्तन, मूर्ति, घड़ी, बिस्तर, जूते आदि असंख्य भौतिक पदार्थों की सामाजिक विरासत को हम ‘परम्परा’ के अन्तर्गत सम्मिलित नहीं करते। परम्परा हमारे व्यवहार के तरीकों की द्योतक है, न कि भौतिक उपलब्धियों की।
परंपरा की परिभाषा
जेम्स ड्रीयर ने लिखा है, ‘‘परम्परा कानून, प्रथा, कहानी तथा किंवदन्ती का वह संग्रह है, जो मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित किया जाता है।’’बृहत हिंदी कोष के अनुसार ‘परंपरा’ का अर्थ अविच्छिन्न क्रम या चले आ रहे अटूट सिलसिले से है।
जिन्सबर्ग के शब्दों में, ‘‘परम्परा का अर्थ उन सभी विचारों आदतों और प्रथाओं का योग है, जो व्यक्तियों के एक समुदाय का होता है, और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होता रहता है।’’
‘रास’ का मानना है कि परंपरा का अर्थ चिंतन तथा विश्वास करने की विधि का हस्तांतरण है। जबकि ‘गिन्सबर्ग’ के अनुसार परंपरा का अर्थ उन संपूर्ण विचारों, आदतों तथा प्रथाओं का योग है जो जन साधारण से संबंधित है तथा पीढ़ी दर पीढ़ी संप्रेषित होता है।’’
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