उपराष्ट्रपति का निर्वाचन
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन अनुच्छेद 66 के अनुसार राष्ट्रपति के समान ही उपराष्ट्रपति का निर्वाचन भी अप्रत्क्ष होगा और आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा। उपराष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों से भिन्न कर बनने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों से निर्वाचित होगा, इसके निर्वाचन में राज्य विधान मण्डल के सदस्य भाग नहीं लेंगे।
धारा 9 के अन्तर्गत चुनाव बैलेट पेपर द्वारा होगा परन्तु यह प्रत्यक्ष नहीं होगा।
धारा 10-11 तथा 12 के अन्तर्गत व राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव नियमावली 1974 के भाग.प्ट में वोटों की गणना तथा चुनाव की घोषणा का वर्णन किया गया है।
नियम 31 के अनुसार निम्न आधारों पर बैलेट पेपर को रद्द किया जा सकता है- यदि वरीयता क्रम 1 चिन्हित नहीं किया गया है, यदि वरीयता क्रम 1 एक से अधिक अभ्यर्थियों के नाम के सामने चिन्हित किया गया है और यह इतना भ्रमित है कि उसकी उचित पहचान न हो सके।
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा। इस संविधान के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित या संसक्त किसी विशय का विनियमन करने की शक्ति संसद को दी गई है। (अनुच्छेद 71) उपराष्ट्रपति के निर्वचन से उत्पन्न या संसक्त सभी शंकाओं और विवादों की जाँच और विनिश्चय उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाएगा और उसका विनिश्चय अन्तिम होगा (अनुच्छेद 71(1))।
यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति के उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया जाता है तो उसके द्वारा यथास्थिति, उपराष्ट्रपति के पद की शक्तियों के प्रयोग और कर्त्तव्यों के पालन में उच्चतम न्यायालय के विनिश्चय की तारीख को या उससे पहले किए गए कार्य उस घोषणा के कारण अविधिमान्य नहीं होंगे। उपराष्ट्रपति के रूप में किसी व्यक्ति के निर्वाचन को उसे निर्वाचित करने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों में किसी भी कारण से विद्यमान किसी रिक्ति के आधार पर प्रश्नागत पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।
राज्य सभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति को ऐसे वेतन और भत्तों का जो संसद, विधि द्वारा, नियत करे और जब तक इस निमित इस प्रकार उपबन्ध नहीं किया जाता है तब तक ऐसे वेतन और भत्तों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, संदाय किया जाएगा। वह उपराष्ट्रपति के रूप में कोई वेतन नहीं पाता है। जब वह राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है, तो उसको राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ और उन्मुक्तियाँ प्राप्त होती हैं और वह ऐसी उपलब्धियों और भत्तों का हकदार होता है जैसा कि दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट है या जैसा सांसद द्वारा विधि द्वारा अवधारित किया जाए।
इसका कारण यह है कि जिस किसी अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप मं कार्य करता है या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है उस अवधि के दौरान वह राज्य सभा के सभापति के कर्त्तव्यों का पालन नहीं करेगा और राज्य सभा के सभापति को संदेय वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होगा।
उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा। परन्तु -
उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, पदावधि की समाप्ति से पहले ही पूर्ण कर लिया जाएगा। उपराष्ट्रपति की मृत्यु, पद त्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से हुई उसके पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने के पश्चात् यथाशीघ्र किया जाएगा और रिक्ति को भरने में लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 67 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, अपने पद-ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण करने का हकदार होगा।
उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए योग्यता
कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह-- भारत का नागरिक है;
- पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका, और
- राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिये अर्हित
राज्य सभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति को ऐसे वेतन और भत्तों का जो संसद, विधि द्वारा, नियत करे और जब तक इस निमित इस प्रकार उपबन्ध नहीं किया जाता है तब तक ऐसे वेतन और भत्तों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, संदाय किया जाएगा। वह उपराष्ट्रपति के रूप में कोई वेतन नहीं पाता है। जब वह राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है, तो उसको राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ और उन्मुक्तियाँ प्राप्त होती हैं और वह ऐसी उपलब्धियों और भत्तों का हकदार होता है जैसा कि दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट है या जैसा सांसद द्वारा विधि द्वारा अवधारित किया जाए।
इसका कारण यह है कि जिस किसी अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप मं कार्य करता है या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है उस अवधि के दौरान वह राज्य सभा के सभापति के कर्त्तव्यों का पालन नहीं करेगा और राज्य सभा के सभापति को संदेय वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होगा।
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल
राष्ट्रपति की तरह उपराष्ट्रपति की भी पदाविधि पांच वर्ष की है। इस सम्बन्ध में अनुच्छेद 67 में उपबन्ध इस प्रकार किया गया है।उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा। परन्तु -
- उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा,
- उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के ऐसे संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा। जिसे राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत ने पारित किया है और जिससे लोक सभा सहमत है, किन्तु इस खण्ड के प्रयोजन के लिए कोई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हो,
- उपराष्ट्रपति, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद धारण नहीं कर लेता है।
उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, पदावधि की समाप्ति से पहले ही पूर्ण कर लिया जाएगा। उपराष्ट्रपति की मृत्यु, पद त्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से हुई उसके पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने के पश्चात् यथाशीघ्र किया जाएगा और रिक्ति को भरने में लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 67 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, अपने पद-ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण करने का हकदार होगा।
राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति निर्वाचन विवाद
राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित विवादों के समाधान हेतु अनुच्छेद 71 में उपबन्ध किया गया है जो निम्नलिखित है।- राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से उत्पन्न सभी शंकाओं तथा विवादों की जाँच तथा निर्णय का अन्तिम अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को होगा।
- यदि किसी कारण से सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को आमान्य घोषित कर देता है तो उसके द्वारा उस अवधि में किये गये कार्यों को अमान्य घोषित नहीं किया जाएगा।
- राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन सम्बन्धी किसी विषय का विनियमन संसद विधि द्वारा कर सकती है
- राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को निर्वाचक मण्डल में किसी रिक्त के होने पर प्रश्न गत नहीं किया जा सकता है