Copyright क्या है भारत में कॉपीराइट कानून इन मूलकृतियों को कॉपीराइट एक्ट के तहत सुरक्षा प्रदान कराता है

कॉपीराइट वह कानून है जो साहित्य निर्माता, नाटक, संगीत अथवा चित्रकला, चलचित्र निर्माता, वेबसाइट, लेखक, निर्माता को उनके मूल कृति को कॉपीराइट पंजीयन कराकर यह अधिकार प्राप्त कराना है कि उनका साहित्य, कृति कॉपीराइट के तहत संरक्षित है तथा वे उसका उत्पादन, प्रजनन करने, संचार करने का अधिकार प्रदान कराता है तथा उनके मूल कृति केा एक निश्चित समयावधि तक संरक्षित करने का अधिकार प्रदान करता है तथा दायित्व का र्निवहन करने का कानूनी अधिकार प्रदान करता है।

कॉपीराइट किसी मालिक के द्वारा उत्पादित मूलकृति को कानूनी सुरक्षा प्रदान कराना है। मालिक अपने द्वारा उत्पादित कृति का भविष्य नियंत्रित कर सकता है।

कॉपीराइट मुख्य दो अधिकारों से मिलकर बना हुआ है- आर्थिक अधिकार एवं नैतिक अधिकार, आर्थिक अधिकार से संबंधित पुर्नउत्पादन का अधिकार ब्राडकास्टिंग, लोक प्रदर्शन, अंगीकरण, अनुवादीकरण सब लोक सम्पादन एवं वितरण के अधिकार है। जबकि नैतिक अधिकार किसी लेखक की कृति को संशोधन, नष्टीकरण से बचाते हुए सुरक्षा प्रदान कराता है। दोनों प्रकार के अधिकारों का उपयोग कृतिकार कर सकता है। वह अपने वास्तविक कार्य का स्वयं उपयोग कर सकता है अथवा किसी अन्य व्यक्ति को उस कार्य को उपयोग करने हेतु स्वीकृति प्रदान कर सकता है। अथवा प्रतिबंधित अथवा रोक सकता है। सामान्य तौर पर कॉपीराइट कार्य पर मालिक का अधिकार होता है। जिसे बिना उसकी स्वीकृति के किसी अन्य द्वारा अनाधिकृत रूप से उपयोग नहीं किया जा सकता है। वह मूलकृति जिसके ऊपर कॉपी राइट लागू होगा।

कॉपीराइट का संकेत C के द्वारा प्रर्दिशत किया जाता है। जो किसी भी कार्य में एक कॉपीराइट का दावा है एवं जनता को सचेत करने के लिए आवश्यक है। पंजीकरण के बाद कॉपीराइट नोटिस एक प्रतीक की तरह C अक्षर सर्कल में एक शब्द ‘‘कॉपीराइट (Copyright)’’ लेखक या कृतिकार के नाम के बाद कॉपीराइट मालिक के साथ प्रथम प्रकाशन वष अंकित होता है। उदाहरण के तौर पर - सूद, सुनील 1999 C कॉपीराइट अधिनियम और कॉपीराइट नियमों के मूल उद्देश्यों की पूर्ति करने प्रर्वतन एंजेसियों के साथ-साथ आम जनता, सरकार के अधिकारियों के पालन कराने कॉपी राइट अधिनियम 1957 (संशोधन के रूप में समय-समय पर) और कॉपीराइट नियम 1958 (संशोधन के रूप में समय-समय पर) के संदर्भ में कोई कार्यवाही करने से पहले लेने के लिए पंजीकरण और कॉपीराइट उल्लघंन को रोकने के लिए इसकी प्रतिलिपियाँ इस अधिनियम और नियमों से प्राप्त किया जा सकता है।

कॉपीराइट पंजीयन कर मूल कृति के प्रजनन/ प्रतिलिपिकरण/ उत्पादन/ निर्माण, प्रकाशन कर वाणिज्य रूप में उपयोग करने का अधिकार मौलिक कृति के निर्माता अथवा लेखक का होता है। जो कॉपीराइट अधिनियम के तहत उसे एक निश्चित अवधि के लिए प्रदान किया जाता है। किन्तु आम जन में कॉपीराइट मौलिक विचारों के संरक्षण के प्रति जागरूकता की कमी से कॉपीराइट और अधिकारों से संबंधित हितधारकों के बीच, प्रवर्तन एजेंसियों जैसे पेशेवर प्रयोक्ताओं, वैज्ञानिकों तथा शैक्षणिक समुदाय के सदस्यों में सार्वजनिक है।

कॉपीराइट किए जाने वाली कृतियां

किसी मूलकृति साहित्य, नाटक, संगीत, चित्रकला, कलात्मकता, फिल्म, चलचित्र, ध्वनि रिकार्डिग के कृतिकार, चित्रकार या कृतिकार या एक लेखक द्वारा किया गया किंतु संगीत, चित्रकला, साहित्य फिल्म चलचित्र का निर्माण एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। जो संयुक्त कार्य या संयुक्त लेखक कहलाता है उस पर पूरे समूह का मालिकाना हक होता है। कॉपीराइट के तहत विभिन्न प्रकार के साहित्य कृतियों को पंजीकरण करा कर सुरक्षा प्रदान करता है। भारत में कॉपीराइट कानून इन मूलकृतियों को कापीराइट एक्ट के तहत सुरक्षा प्रदान कराता है।
  1. मूल साहित्य 
  2. कलात्मकता
  3. संगीत
  4. ध्वनि रिकार्डिग 
  5. चलचित्र फिल्म 
1. मूल साहित्य - इसके अंतर्गत लेखक/साहित्यकार द्वारा अपने विचारों को लेख/साहित्य के रूप में सामाजिक सांस्कृतिक, शैक्षणिक, आर्थिक, नैतिक अदि मूल्यों पर आधारित विचारों को एक कृति के रूप में प्रकट करता है। इस साहित्य को वह नाटक, कहानियों, उपन्यासों, आदि स्वरूपों मे प्रकट करता है। जिसका कॉपीराइट किया जा सकता है।

2. कलात्मकता - कृतिकार, चित्रकार, मूर्तिकार, आर्किटेक्चर, डिजाइनर द्वारा अपने विचारों भावनाओं को चित्रकला मूर्तिकला, मानचित्र, चित्रकारी, चार्ट, योजना, वस्तु शिल्प, वेबसाईट अभिव्यक्ति एक तस्वीर स्वरूप में प्रस्तुत करता है। जो उसकी मौलिक कृति होती है। अत: उसकी कलात्मकता, कौशल को भी कॉपीराइट के तहत उसकी मौलिक कृति की रक्षा की जाती है।

3. संगीत - जिस प्रकार कलात्मकता एक दैविक योग से प्राप्त क्षमता है उसी प्रकार संगीत भी एक इसी श्रेणी की कला है। जिसमे संगीतकार द्वारा अपनी कलात्मकता तथा कौशल के माध्यम से अपने विचारेां भावनाओं की अभिव्यक्ति संगीत के रूप मे करता है विभिन्न ग्राफिक्स संकेतो के माध्यम से पेपर पर प्रदर्शित किया जाता है। तथा उसे ध्वनि बोली गायन के साथ संगीत के माध्यम से प्रदर्शन किया जाता है। इनके भी मौलिक कृति को कॉपीराइट कानून के तहत संरक्षित किया गया है।

4. ध्वनि रिकार्डिग - आज संगीत में विभिन्न ध्वनियों का सम्मेलन करा कर संगीत निर्माण किया जा रहा है। अत: विभिन्न ध्वनियों को ध्वनि निर्माता द्वारा रिकार्डिग किया जाता है। जो सी.डी. रोम, ग्रामेाफोन रिकार्ड, डी.वी.डी., मेगनेटिक डिस्क मे रिकार्ड किया जाता है।

5. चलचित्र फिल्म - किसी भी कार्यक्रम कार्यो के दृश्य रिकार्डिग जो चलित छवि को चलचित्र स्वरूप में फिल्म इलेक्ट्रानिक्स माध्यमों में रिकार्ड किया जाता है। इसमे, ध्वनि संगीत समाहित होता है। चलचित्र फिल्म या सिनोमैटोग्राफी कहा जाता है। जो फिल्मों में रिकार्ड किया जाता है इनके मूलकृतियों भी कॉपीराइट के तहत संरक्षित किया गया है। शासकीय कार्यक्रमों, प्रकाशनों जो उनके दिशा निर्देशों,नियंत्रण में संचालित होती है जैसे सरकारी विभाग, विधायिका, न्यायपालिका द्वारा निर्मित अभिलेख कॉपीराइट के तहत एक भारतीय द्वारा साहित्य नाटक, संगीत लेखन का कार्य जो भारत का नागरिक हो या भारत मे पहले प्रकाशित हो या लेखक द्वारा अप्रकाशित काम कृति का समय आदि केा भारतीय कॉपीराइट के कार्यों के तहत संरक्षित किया जाता है।

कॉपीराइट अधिनियम 

1. कॉपीराइट अधिनियम 1957 - कॉपीराइट अधिनियम मूलकृति वह चाहे किसी भी स्वरूप मे क्यों न हो को संरक्षित करता है। ये विभिन्न स्वरूप जैसे साहित्य, नाटक, संगीत, गीत, चित्रकला, कृति, कलात्मकता, फिल्म चलचित्र, ध्वनि रिकार्डिग, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर तथा कम्प्यूटर वेबसाईट की कृति के अनाधिकृत उपयोग को रोकने तथा इनकी रक्षा करना ही मूल उद्देश्य है।

अत: कॉपीराइट (Copyright), अभिव्यक्ति को संविधान के तहत पालन कराने को प्रेरित करता है। जबकि पेटेन्ट में वैज्ञानिक शोध की, विधि विचारों को संरक्षित कर कृतिकार अविष्कारक को उसके उपयोग करने का अधिकार एक निश्चित अवधि हेतु दिया जाता है। ताकि शोध का लाभ इस व्यक्ति या संस्था को पुरस्कार स्वरूप दिया जाता है। 20वीं सदी का युग कागज पर साहित्य उत्पादन का युग था तथा 20वीं सदी के अंत मे उसने सूचना विस्फोट का रूप ले लिया था किंतु 21वीं सदी इलेक्ट्रानिक प्रकाशनों का युग है आरंभिक दौर में कागज पर साहित्य तथा इलेक्ट्रानिक साहित्य दोनो का उत्पादन साहित्य विस्फोटन स्तर पर हो रहा है जिसे नियंत्रण करना अत्यंत कठिन है। उसी प्रकार सभी साहित्यों को कॉपीराइट प्रदान कराना संभव नहीं है इस कारण समान्यत: निम्न मूलकृतियों को कॉपीराइट प्रदान नही किया जाता है जैसे खिताब, पुरूस्कार का नाम, लघु शब्द संयोजन, नारे, छोटे वाक्यांशों, कथानक तथा तथ्यात्मक सूचना या विचारों की रक्षा नहीं करता है।

2. कॉपीराइट के तहत कृति की रक्षा - यह अति आवश्यक है कि मूलकृति के निर्माता को प्रोत्साहन हेतु पुरस्कार स्वरूप उन्हें उसके उत्पादन, प्रजनन के अधिकार के साथ-साथ उसके मूलकृति केा संरक्षित तथा सुरक्षित रखने के लिए आश्वस्त किया जावे और कॉपीराइट के पालन हेतु कड़ी सुरक्षा व्यवस्था आवश्यक हो ताकि समाज का आर्थिक, सांस्कृतिक, साहित्यक विकास सुनिश्चित किया जा सके। कॉपीराइट संरक्षण लागू किया जाना एवं कॉपीराइट कानून के अपवादों और सीमाओं को सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है ताकि उपयोगकर्ता तथा मूलकृति निर्माता के बीच संतुलन बनाये रखा जा सके। कॉपीराइट अधिकार प्राप्त मालिकों और सामाजिक विकास व्यवस्था के मध्य यह एक अपवाद है कई बार शैक्षणिक, आर्थिक, भौतिक या धार्मिक अनुष्ठानों और इसी प्रकार के आयोजनों हेतु इसमें छूट दी हैै। कॉपीराइट उल्लघंन विशेष रूप से माना जाता है जब कॉपीराइट युक्त मूलकृति का अधिकतम भाग का उपयोग किया जाता है। कई बार गुणवत्ता के बजाय मात्रा को अधिक जोर दिया जाता है। ताकि कॉपीराइट के मूल उद्देश्य को भौतिक स्वरूप में पारित किया जा सके।

अत: कॉपीराइट वह अधिकार है जिसमें नियमों के अधीन रहते हुए एक प्रकार का निष्पक्ष सौदा है जिसमे शोध, अध्ययन, आलोच्य समीक्षा, साभार रिर्पोटिंग कार्यो के उपयोग तथा उसका उपयोग पुस्तकालयों, स्कूलों, विधानसभाओं में मूलकृति का अनुपयोग कॉपीराइट मौलिक की विशेष अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। किंतु उपयोगकर्ता के हितो की रक्षा हेतु इसके उपयोग हेतु विशेष छूट भी दी गई है। जो निम्नानुसार है-
  1. अनुसंधान के उद्देश्य हेतु तथा निजी अध्ययन हेतु 
  2. आलोचना या समीक्षा हेतु 
  3. वर्तमान घटनाओं के रिपोर्टिंग हेतु 
  4. न्यायिक कार्यवाही हेतु 
  5. प्रदर्शन क्लब, समाज के प्रदर्शन हेतु अत: कॉपीराइट कानून समाज तथा मौलिक कृति निर्माण दोनों के अधिकारों मे संतुलन तथा सामंजस्य भी स्थापित कराता है। 
3. कॉपीराइट स्वामित्व - कॉपीराइट कानून लेखक, चित्रकार कलाकार, नाटककार, संगीतकार, डिजाइनर, ध्वनि रिकार्डर, चलचित्र निर्माता, वेबसाईट डिजाईनर को उनके मूलकृति की रक्षा के लिए अश्वासन प्रदान करता है तथा उनकी कलाकृतियों, रचनाओं, मूलकृतियो की बौद्धिक सम्पदा की रक्षा करता है। सामान्यत: कॉपीराईट यह निर्धारित करता है कि मूलकृति का मालिक कौन है। सामान्यत: एक लेखक ही मौलिक कृति मौलिक का मालिक होता है। लेखक जो साहित्य निर्माण हेतु अपने मूल विचारों का विभिन्न स्वरूपों मे अभिव्यक्त करता है। जैसे साहित्य या नाटक के कार्यो के लिए लेखक को संगीत के लिए संगीतकार को, चलचित्र निर्माण में फिल्म निर्माता को, ध्वनिरिकार्डिग में उसके निर्माता को, फोटोग्राफ में फोटोग्राफर केा, कम्प्यूटर आधारित कामों सॉफ्टवेयर निर्माता वेबसाईट निर्माण में निर्माणकर्ता को कॉपीराइट के तहत मालिक के रूप में निरूपित किया जाता है। इसे और स्पष्ट रूप मे समझने हेतु संगीत निर्माण इकाई से समझा जा सकता है। जैसे जो गीत लिखे गीतकार, संगीत जो सेट के संगीत का निर्माण करें संगीतकार, जो संगीत गायन करें गायक, मिलकर किसी फिल्म के गीत का निर्माण करते है। अत: रिकार्ड करने वाला कॉपीराइट के तहत चयनित करा कर लायसेंस प्राप्त कर उसका उत्पादन प्रदर्शन कर सकता है। कॉपीराइट आवंटन- कॉपीराइट मूलकृति के निर्माणकर्ता को उसके मौलिक कृति के मालिक के रूप में अधिकार प्रदान करता है। कॉपीराइट पंजीकरण हेतु व्यक्ति या अधिकृत ऐजेंट द्वारा हस्ताक्षर युक्त विधिवत् इंगित करेगा कि निर्दिष्ट कार्य उसकी मूलकृति है। यदि कॉपीराइट प्राप्तकर्ता प्रकाशक है तो लेखक को रायल्टी देना तथा लेखक को उसके कानूनी उत्तराधिकारियों के मुद्रा आवंटित की जावेगी आदि जानकारी देना होती हैं।

कॉपीराइट का महत्व

  1. कॉपीराइट एक्ट में विचारों की मूल अभिव्यक्ति के विरूद्ध संरक्षण प्रदान कराता है न की विचारों को क्योकि विचार संयुक्त परिसंपति है जिनका आनंद सभी उठाते है। 
  2. कॉपीराइट का अधिग्रहण स्वत: होता है अत: कॉपीराइट पंजीयन अनिवार्य नही है। जबकि कॉपीराइट का पंजीयन कॉपीराइट के स्वामित्व से संबंद्ध किसी विवाद के संदर्भ में किसी न्यायालय मे प्राथमिक साक्ष्य का कार्य करता है। 
  3. कॉपीराइट साहित्यिक, नाट्य संगीत एवं कलाकात्मक कृतियों, सिनेमेटोगा्रफ फिल्म व ध्वनि रिकार्डिग में मान्य है। कम्प्यूटर प्रोग्राम व डाटाबेस की सुरक्षा प्रदान कराता है तथा भारतीय कानून के अधीन साहित्यक कृतियों के रूप में संरक्षित करता है। 
  4. संरक्षण केवल सीमित समययावधि के लिए ही होता है जिसके बाद कार्य सार्वजनिक हो सकता है। साहित्यिक, नाटक, कलात्मक एवं संगीत संबंधित कृतियों के प्रकरण मे कॉपीराइट संरक्षण की अवधि लेखक का जीवन तथा साठ वर्ष है। सिनेमाटोग्राफ फिल्म व साउंड रिकार्ड के प्रकरण में यह साठ वर्ष है। जो कार्य प्रकाशन के वर्ष के अगले वर्ष तक होता है। 
  5. कॉपीराइट किए गए मूलकृति, कार्य के लेखक को स्वामी होने के तौर पर अपनी कृतियों के संदर्भ में कुछ विशेष आर्थिक अधिकार मिलते है। इनमें रिप्रोड्यूस करने, प्रकाशित करने, एडेप्ट करने, अनुवाद करने तथा संवाद अथवा सार्वजनिक प्रदर्शन के अधिकार है तथा वह अपनी इच्छानुसार किसी अन्य पार्टी को कॉपीराइट सौंप सकता है व लाइसेंस दे सकता है। 
  6. कॉपीराइट के तहत फरमॉफर को पचास वर्ष की अवधि के लिए फरफॉमेस व ब्रॉडकास्टिंग की सांउड या विजुअल रिकार्डिग के अनाधिकृत निर्माण व रिप्रोडक्शन को रोकने का अधिकार प्राप्त होता है। 
  7. कॉपीराइट के तहत ब्रॉडकास्टिंग को पच्चीस वर्ष की अवधि के लिए अपने ब्रॉडकास्ट पर ब्रॉडकास्टिंग रिप्रोडक्शन का अधिकर प्राप्त होता हैं। 
  8. कॉपीराइट के तहत पंजीकृत कॉपीराइट क्लेक्टिव सोसायटीज अथवा कोई व्यक्ति कॉपीराइट मालिक लाइसेंस इश्यू कर सकता है तथा फीस या रॉयल्टी कलेक्ट कर उसे मालिकों के बीच में वितरित कर सकने का अधिकार प्राप्त होता हैं। 
  9. कॉपीराइट का उल्लंघन तब होता है जब कोई व्यक्ति बगैर लाइसेंस के उपर्युक्त में से कोई भी कार्य करता है। जिससे कॉपीराइट के मालिकों को आर्थिक क्षति होती है। आर्थिक क्षति के अतिरिक्त, यह सृजनात्मक को भी दुष्प्रभावित करता है। 
  10. कॉपीराइट में उपयोगकर्ता के हितों की रक्षा के लिए कुछ छूट तय की गई है, जैसे- 1. शोध, निजी अध्ययन, समालोचना व समाचार रिपोटिंग के लिए ईमानदारी का सौदा, 2. शैक्षिक प्रयोजनों, न्यायिक कार्रवाईयों, विधानसभा सदस्यों के एकमात्र, उपयोग के प्रयोजन हेतु तथा धार्मिक आयोजनों के लिए कृतियों का उपयोग, 3. भुगतान नहीं करने वाले आडिसंस को दी जाने वाली परफॉरमेंस होने पर परफॉरमेंस एमचर क्लब या सोसायटी द्वारा किया जा सकता है। 
  11. कॉपीराइट का उल्लंघन कॉपीराइट एक्ट के तहत दंडनीय एक अपराध है तथा पुलिस के पास आवश्यक कार्यवाही करने का अधिकार है तथा कोई भी पुलिस सब-इंसपेक्टर कॉपीराइट अपराध होने पर बिना वारंट प्रतियां सामग्री जप्त कर सकता है। 
  12. ऐसा कोई भी व्यक्ति जो जानबूझ कर कॉपीराइट का उल्लंघन करता है या उल्लंघन के लिए प्रेरित करता है उसे न्यूनतम छह माह से अधिकतम तीन वर्षो का कारावास तथा न्यूनतम पचास हजार व अधिकतम दो लाख रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किए जाने का कानून में प्रावधान है। 
  13. कॉपीराइट एक्ट के तहत पंजीकृत कॉपीराइट सोसायटीज लाइसेंस प्रदान कर सकती है तथा फीस या रॉयल्टी कलेक्ट उसे तथा मालिकों के बीच बांट सकती है। 
  14. कॉपीराइट बोर्ड कॉपीराइट एसाइनमेंट से जुड़े विवादों को न्यायपूर्ण ठहराता है तथा अनिवार्य लाइसेंस प्रदान करता हैं। 
  15. सचिव, उच्च शिक्षा विभाग या चेयरमैनशिप में सभी संबंधित विभागों के सदस्यों, उद्योग के प्रतिनिधियों तथा विभिन्न राज्यों के डीजीपी समेत कॉपीराइट एनफोर्समेंट एडवाइजरी काउंसिल (सीईएसी) कॉपीराइट एक्ट के प्रावधानों एवं क्रियान्वयन की नियमित रूप से समीक्षा करती है। 
  16. कॉपीराइट का उल्लंघन रोकने के लिए केन्द्र सरकार के द्वारा कई अन्य उपायों में किए जाते है।
  17. कॉपीराइट एक्ट लागू करने के लिए राज्य सरकार में विशेष सेल की स्थापना हेतु राज्य सरकारों को तैयार करना भी इस प्रक्रिया में सम्मिलित है। 
  18. उद्योग प्रतिष्ठानों व एनफोर्समेंट एजेंसियों के बीच उचित समन्वयन के लिए राज्यों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करना भी कॉपीराइट प्रक्रिया के तहत किया जाता हैं।

कॉपीराइट के विभिन्न अधिकार

कॉपीराइट सभी वर्गो के लिए अलग-अलग श्रेणी के अनुसार कार्य करता हैं। साहित्यिक कारणों मे कॉपीराइट का अर्थ विभिन्न अधिकारों का सोपान किया जा सकता है जो स्व: सुरक्षा, सुरक्षा की समयावधि, कॉपीराइट के अपवाद, लागू तिथि तथा नैतिक अधिकार प्रदान करता है जो कम्प्यूटर प्रोग्राम को छोड़ सभी साहित्यक कार्यो के अधिकार प्राप्त है। विभिन्न तहत के साहित्य कृतियों को सुरक्षा प्रदान करता है। इस अधिकार के तहत उसे निम्न अधिकार प्राप्त है जैसे:-
  1. मूृलकृति के प्रजनन का कार्य 
  2. प्रतियों निर्माण सार्वजनिक करने हेतु 
  3. सार्वजनिक प्रदर्शन करने हेतु। 
  4. चलचित्र, ध्वनि रिकार्डिग निर्माण कार्य हेतु। 
  5. अनुवाद करने के लिए कार्य। 
  6. अनुकूल बनाने हेतु। 
मूलकृति साहित्य का अनुवादन कार्य भी कापीराइट के तहत संरक्षित रखा गया है तथा इसके अंतर्गत कम्प्यूटर प्रोग्रामों को भी अनुवाद को कॉपीराइट अधिकार के अंतर्गत संरक्षित किया गया है। अत: कम्प्यूटर प्रोग्रामों, वेबसाइट निर्माण को भी कॉपी राइट के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है।

इसके उपयोग करने, बिक्री करने, किराये पर देने प्रतिलिपि करने, अवैधानिक उपयोग किया जाने के अंतर्गत आता है। जो कॉपीराइट कानून का उल्लंघन माना जाता है।कॉपीराइट कानून के तहत उसके मालिक को विभिन्न अधिकार प्राप्त होते है। जैसे-
  1. प्रतियां तैयार करने/प्रजनन करने का अधिकार यह अधिकार कॉपीराइट धारक को प्राप्त होता है कि वह मूलकृति के एक अथवा अनेक कृतियाँ तैयार करा सकता है प्रदर्शित कर सकता है। संचारित संप्रेषण कर सकता है। 
  2. संचार का अधिकार- इसके तहत कॉपीराइट धारक को यह अधिकार होता है की वह चाहे तो मूलकृति को सार्वजनिक बनाने, सार्वजनिक प्रदर्शन करने, सार्वजनिक बनाने प्रसार करने का अधिकार होता हैं।
  3. रूपान्तर का अधिकार- इसके तहत कॉपीराइट धारक को यह अधिकार होता है कि वह चाहे तो मूलकृति को किसी अन्य स्वरूप में रूपान्तर करने का अधिकार प्राप्त होता है। वह उसे नाटकीय, संगीत, ध्वनि चलचित्र स्वरूपों में रूपान्तिरित करने का अधिकार प्राप्त होता है। 

कॉपीराइट के पंजीकरण प्रक्रिया 

कॉपीराइट दावा हेतु अधिग्रहण हेतु पंजीकरण की कोई औपचारिकता की आवश्यकता नहीं है बल्कि यह प्रकाशन तिथि के आधार पर स्वत: निर्मित माना जाता हैं। किन्तु पंजीकरण प्रमाण-पत्र के द्वारा न्यायालय में प्रथम दृष्टया सबूत हेतु पंजीकरण कराना आवश्यक हैं। ताकि मालिकाना हक साबित किया जा सके।

1. कॉपीराइट खरीदना - मूल कृति के कॉपीराइट खरीदने हेतु कुछ औपचारिकताओं को पूर्ण किया जाना आवश्यक है। इसके लिए पंजीकरण आवेदन मूलकृति के साथ पंजीकरण यदि सरकार रजिस्ट्रार कॉपीराइट कॉपीराइट कार्यालय बी2/डब्ल्यू3 सी.आर. बैरक, कस्तुरबा गांधी मार्ग, नई दिल्ली- 110003 दूरभाष 3384387 को आवेदन किया जाता हैं। 

कॉपीराइट पंजीकरण के लिए आवेदन फार्म चतुर्थ के साथ आवेदन किया जाए इसके साथ निर्धारित फीस जमा की जानी चाहिए तथा आवेदक के हस्ताक्षर वकालतनामा संलग्न किया जाना चाहिए।

कॉपीराइट पंजीयन प्रकाशित तथा अप्रकाशित दोनों प्रकार के कार्यो को पंजीकृत किया जा सकता है। यदि प्रकाशित कृति का पंजीयन करना है तो तीन प्रतियों के साथ यदि अप्रकाशित कृति के लिए पंजीयन कराना है तो पांडुलिपि की एक प्रति के साथ आवेदन किया जाना चाहिए। कॉपीराइट मूलकृति को एक निश्चित अवधि हेतु अवधिहेतु सुरक्षित करता है। कॉपीराइट के संरक्षण की अवधि के संबंध में सामान्य नियम यह है कि साहित्य, नाटक, संगीत, कलात्मक कृति, चित्रकला की अवधि 60 वर्ष की अवधि जो लेखक की मृत्यु के बाद जबकि चलचित्र, फिल्म, ध्वनि रिकोर्डिग फोटोग्राफ के संबंध में प्रकाशन की तिथि से 60 वर्ष की अवधि तक की होती है। कॉपीराइट मामलों में प्रवर्तन हेतु एक सलाहकार परिषद की स्थापना सरकार द्वारा की गई है। सामान्यत: कॉपीराइट हेतु न्यायलीयन प्रकरण नियमित अदालतों में संचालित होते है।
 
2. कॉपीराइट पंजीयन फार्म -  कॉपीराइट पंजीयन फार्म जो तीन प्रतियों में भेजा जाये, उसमें निम्न को समाहित करना आवश्यक है:-
  1. पंजीयन नं. - कापीराइट कार्यालय द्वारा भरा जायेगा। 
  2. आवेदक का नाम, पता और राष्ट्रीयता 
  3. कॉपीराइट मूलकृति की प्रकृति 
  4. कक्षा और विवरण 
  5. मूलकृति/काम का शीर्षक 
  6. मूलकृति/काम की भाषा 
  7. लेखक का नाम, पता और राष्ट्रीयता यदि लेखक मृत है तो मृत्यु तिथि। 
  8. मूलकृति/काम प्रकाशित है या अप्रकाशित 
  9. प्रकाशन को देश, वर्ष (नाम, पता और राष्ट्रीयता के प्रकाशक) 
  10. प्रकाशन का वर्ष देश (नाम, पता और राष्ट्रीयता के प्रकाशक)  
  11. नाम पता राष्ट्रीयता/कॉपीराइट मालिक हेतु 
  12. नाम पता राष्ट्रीयता कोई और अन्य व्यक्ति 
  13. यदि मूलकृति/काम जो एक कलात्मक कार्य है तो मूल स्थान, नाम, पता राष्ट्रीयता की जानकारी।
  14.  यदि काम जो कलात्मक है तो प्रमाण-पत्र सहित आवेदन 
  15. यदि कोई कार्य कथन हो इसके अलावा विशेष का वक्तव्य 
    1. क्या कृति/काम पंजीकृत करने के लिए जा रहा है। मूलकृति, अनुवाद, डोमेन, रूपान्तरण 
    2. यदि कापीराइट, अनुवाद/रूपन्तरण का कार्य है तो 
      1.  मूलकार्य का शीर्षक 
      2.  मूल कार्य की भाषा 
      3.  मूल लेखक का नाम पता राष्ट्रीयता यदि लेखक मृत है तो तिथि 
3. कॉपीराइट हेतु देय शुल्क - कॉपीराइट नियम 1958 के द्वितीय सूची में सूचीकृत विभिन्न कॉपीराइट के अधीन देय शुल्क लायसेंस विवरण
  1. साहित्यिक, नाटकीय, संगीत या कलात्मक कार्य को पुन: प्रकाशित करने हेतु लायसेंस (धारा 31, 32) रू. 400/- 
  2. फिल्म /को पुन: प्रकाशित करने हेतु लायसेंस (धारा 31) रू. 600/- 
  3. ध्वनि रिकार्डिग प्रकाशित करने हेतु लायसेंस (धारा 31) रू. 400/- 
  4. सार्वजनिक अथवा भारतीय प्रदर्शन/जनता के कार्यो का प्रसारण (धारा 31) के लिए लायसेंस रू. 200/- 
  5. किसी भी मात्रा में साहित्यिक अनुवाद या नाटकीय उत्पादन के लिए आवेदन (धारा 32 एवं 32(1) रू. 200/- 
  6. पंजीकरण साहित्यिक, संगीत, नाटकीय कलात्मक कार्य रू. 50/- साहित्यिक, संगीत, नाटकीय कलात्मक कार्य जो प्रयोग किया जा रहा हैं। (धारा 45) रू.200/- सिनेमेटोग्राफ (धारा 45) रू. 600/- ध्वनि रिकार्डिग (धारा 45) रू. 400/- कॉपीराइट के रजिस्टर में दर्ज किए गए ब्यौरों में परिवर्तन रू. 200/- 
  7. प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करने हेतु रू. 20/- 
4. कॉपीराइट : बोर्ड - कॉपीराइट बोर्ड कॉपीराइट अधिनियम के तहत कॉपीराइट प्रदान करता है। यह एक अर्द्धन्यायिक निकाय हैं जिसमें बोर्ड का अध्यक्ष उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होता है। जिसमें दो से अधिक तथा 14 से कम सदस्य होते है। जो निम्न कार्यो का संचालन प्रबंधन करते है।
  1. रजिस्ट्रार के कॉपीराइट आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई 
  2. कॉपीराइट में सुधार की प्रविष्टि 
  3. कॉपीराइट आवंटन में विवाद 
  4. प्रकाशित करने हेतु अनुदान 
भारतीय कॉपीराइट कानून विदेशी कार्यो को अन्र्तराष्ट्रीय कॉपीराइट के तहत विदेशी मूलकृति को भारत में सुरक्षा प्रदान कराता है। जो यूनिवर्सलस कॉपीराइट समझौते के तहत भारतीय नागरिकों की कृति को विदेशों में भी सुरक्षा प्रदान करता है।

आज कॉपीराइट के तहत लेखको, कवियों, चित्रकारों, कलाकारों, नाटककार, मूर्तिकार, चित्रकार, फोटोग्राफर, फिल्म निर्माता, ध्वनि रिकार्ड निर्माता के मूलकृति को सुरक्षा प्रदान करने हेतु भारत में अनेक सामूहिक संगठनों द्वारा प्रयास किए जा रहे है। जो कापी राइट कानून के पालन कराने में सहयोग प्रदान कराते है तथा मूलकृतिकार के अधिकारों, हितों की रक्षा कर रहे है। इनके सामूहिक प्रयासों में समाज में काफी जागरूकता आ रही है। आज भारत में अनेक कॉपीराइट समूह या सोसायटी पंजीकृत है जो कॉपीराइट का पालन में सहयोग प्रदान कर रहे है

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