लार्ड कर्जन के प्रशासनिक सुधार

लार्ड कर्जन के प्रशासनिक सुधार

लाॅर्ड कर्जन 1899 से 1905 तक भारत का गवर्नर जनरल रहा। लाॅर्ड कर्जन का जन्म 1859 में हुआ था। लाॅर्ड कर्जन ने प्रशासन, न्याय, शिक्षा, सेना एवं सिंचाई सहित अनेक क्षेत्रों में सुधार कार्य किये। कर्जन का वायसराय काल आधुनिक भारत के इतिहास का परिवर्तन काल माना जाता है। लाॅर्ड कर्जन 1899 ई. में भारत का वायसराय नियुक्त हुआ और सन 1905 तक इस पद पर रहा। 

वायसराय का पद संभालते ही उसने भारत के प्रशासन में अनेक सुधार किये, जिससे भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना जागृत हुई। भारत का वायसराय बनने के पूर्व भी कर्जन चार बार भारत आ चुका था। 

लाॅड कर्जन ने प्रशासन, शिक्षा, एवं आर्थिक क्षेत्र में अनेक सुधार किये। जिसके परिणामस्वरूप भारत में एक नवीन युग का सूत्रपात हुआ।  

लार्ड कर्जन के प्रशासनिक सुधार 

लार्ड कर्जन ने जनवरी,1899 ई. में भारत के वायसराय का पद ग्रहण किया। लार्ड कर्जन एक योग्य शासक था। उसके द्वारा किये गये भारतीय समस्याओं से संबंधित आंतरिक प्रशासनिक सुधार इस प्रकार है :-

1. महामारी की रोकथाम - लाॅर्ड कर्जन जब वायसराय बनकर भारत आया था उस समय भारत अकाल तथा प्लेग की महामारी के संकट से पूर्ण रूप से मुक्त नहीं हो पाया था। 1899-1900 ई. का अकाल भारत के दक्षिणी, मध्य, पश्चिमी क्षेत्र के लिये विनाशकारी हुआ था। कर्जन ने स्वयं अकालग्रस्त क्षेत्र का दौरा कर वहाँ राहत पहुँचाने के आदेश दिये। उसने मैकडोनल की अध्यक्षता में एक ’अकाल आयोग की नियुक्ति की। लार्ड कर्जन ने बडे धैर्य से इनका सामना किया। उसने क्षतिग्रस्त इलाकों का भ्रमण किया एवं वहाँ के लोगों को उचित आर्थिक सहायता देने का प्रबंध किया। फिर भी कर्जन पर यह आरोप लगाया गया कि उसने अकालपीडितों की सहायता में मितव्ययिता की है एवं कम ध्यान दिया है। इस पर कर्जन ने मैकडोनेल की अध्यक्षता में एक आयागे की नियुक्ति की आयागे की सिफारिशों के अनुकूल दुर्भिक्ष सम्बन्धी नियमावली में संशोधन किया गया। 

1990 ई. के बाद अकाल पर तो काबू पा लिया गया किन्तु महामारी का प्रकोप बना रहा। उसकी रोकथाम के सारे प्रयत्न निष्फल रहे। कर्जन के शासनान्त तक लगभग एक लाख लोग मौत के मुंह में चले गयें

2. लार्ड कर्जन के कृषि सम्बन्धी सुधार - लार्ड कर्जन ने भारतीय कृषि में सुधार लाने का प्रयत्न किया। 1900 में पंजाब भूमि हस्तांतरण विधेयक स्वीकृत हुआ। इसके अनुसार यह व्यवस्था की गई कि ऋणदाता किसी किसान के विरूद्ध न्यायालय का निर्णय पा लेता है तो वह मौरूसी किसान की भूमि को उस निर्णय के लिये बिक्री नहीं कर सकतां इसका परिणाम यह हुआ कि भूमि प्राप्त करने के उद्देश्य से ऋण का दिया जाना बंद हो गया। किसानों को बड़ा लाभ हुआ एवं ऋणदाता लागे भूमिपति बनने से बच गये। कृषकों को ऋण देने एवं साहूकारों के पंजे से छुटकारा दिलाने के लिये कृषि बैंक तथा सहकारी समितियों की स्थापना की गई। 

1904 में सहकारी ऋण समिति अधिनियम स्वीकृत हुआ। इस अधिनियम के द्वारा शहरों एवं देहाती क्षत्रे में सहकारी समितियों के निर्माण का सुझाव दिया। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य देहाती ऋण पद्धति को सहायता देना था। कर्जन ने यह आदेश दिया कि मौसम की स्थिति के अनुसार लगान की सरकारी माँग में परिवर्तन होना चाहिए । सिंचाई की भी व्यवस्था की गई। पंजाब की नहरों में सुधार हुआ। वैज्ञानिक ढंग से खेती किये जाने पर जोर दिया गया।  1901 ई. में कृषि के इन्सपेक्टर जनरल की नियुक्ति की गई। पूना में कृषि अनुसंधान संस्था की स्थापना की गई।

लाॅर्ड कर्जन के शासन के अंतर्गत कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किये गये जो निम्नांकित प्रकार से है-
  1. भूमि कर- अकाल के कारण की जांच के समय कर्जन को यह ज्ञात हुआ कि भूमिकर की दर ऊँची होने तथा उनके दोषपूर्ण संग्रह से कृषि कार्य की हानि होती है। सरकारी कर्मचारी कठोरता से कर वसूल करते थे चाहे फसल अच्छी हो या खराब।
  2. पंजाब भूमि हस्तांतरण अधिनियम- लाॅर्ड कर्जन ने 1900 में पंजाब भूमि हस्तांतरण अधिनियम पारित करके यह निश्चित किया कि कोई गैर किसान व्यक्ति, किसी किसान की भूमि को खरीद नहीं सकता। किसान वर्ग अपनी भूमि को 20 वर्ष से अधिक रहन (गिरवी) नहीं रख सकता था।
  3. कृषि बैंक- किसानों की आर्थिक समस्याओं का समाधान करने के उद्देश्य से कृषि बैंक स्थापित किये गये ताकि किसानों को कम व्याज पर धन ऋण के रूप में मिल सके।
  4. सहकारी ऋण समितियां- किसानों के लिये सहकारी समितियों की स्थापना की गई। 1904 ई. में सहकारी ऋण समिति कानून का एक विशेष अधिनियम पारित कर के गांवों में सहकारी समितियों की स्थापना की गई।
  5. कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना- लाॅर्ड कर्जन ने बंगाल में ’पूसा’ नामक स्थान पर एक ’कृषि अनुसंधान संस्थान’ को स्थापित किया।
  6. सिंचाई सुविधाएं- भारतीय सिंचाई समस्याओं पर विचार करने हेतु 1901 ई. में एक आयोग नियुक्त किया गया। 1903 ई. में इस आयोग ने अपनी सिफारिश प्रस्तुत की इसके अनुसार आगामी 20 वर्ष में सिंचाई पर लगभग 44 करोड़ रुपया व्यय किया जाये।
3. लार्ड कर्जन के शिक्षा संबंधी सुधार - लाॅर्ड कर्जन ने 1902 में सर टामस रेले की अध्यक्षता में एक विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया। 1904 ई. में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया। इस अधिनियम ने विश्वविद्यालयों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ा दिया। महाविद्यालयों को मान्यता प्रदान करने के नियमों को और कठोर बना दिया गया। विश्वविद्यालय अब केवल परीक्षा लेनी वाली संस्थाए न रहकर अब शिक्षा के केन्द्र भी बन गये। 

1904 ई. में उसने विश्वविद्यालय विधेयक पास करवाया जिसके द्वारा यह निश्चित हुआ कि विश्वविद्यालयों को केवल परीक्षा लेने का ही काम नहीं करना चाहिए, उन्हें याग्े य अध्यापक नियुक्त करके अनुसंधान तथा अध्यापन का भी काम करना चाहिए। स्कूलों तथा कालेजों में छात्रावास की व्यवस्था करने का आदेश दिया गया। प्रारंभिक कक्षाओं में देशी भाषा एवं उच्च कक्षाओं में अंग्रेजों के माध्यम से शिक्षा देने की व्यवस्था की गई। अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिये ट्रेनिंग कालेज खोले गये। कर्जन ने औद्योगिक एवं स्त्री शिक्षा में भी रुचि दिखलाई। 

लार्ड कर्जन ने 1904 ई. में एक अधिनियम पारित करवाया इसके द्वारा महत्वपूर्ण प्राचीन स्मारकों की सुरक्षा का प्रबंध एवं उनका जीर्णोद्वार कराया गया। एक नया अधिकारी नियुक्त किया गया जिसका कार्य प्राचीन इमारतों की रक्षा करना था।

4. लार्ड कर्जन के आर्थिक सुधार : आर्थिक क्षेत्र में कर्जन का सबसे महत्वपूर्ण सुधार भारत में अंग्रेजी स्वर्ण मुद्रा को भारत की कानूनी मुद्रा घोषित करना था। एक गिन्नी का मूल्य 14 रूपये के बराबर निर्धारित किया गया। इससे भारतीय कोष को अत्यधिक लाभ पहुंचा। भारत के व्यापार तथा उद्योग धंधों के विकास के लिये एक नया विभाग स्थापित किया गया। 1902 में अकालग्रस्त प्रान्तों के किसानों के करों में कमी कर दीं नमक कर में सर्वत्र कमी कर दी गई।

5. लार्ड कर्जन के प्रशासनिक सुधार : लार्ड कर्जन ने प्रशासनिक सुधार की ओर विशेष ध्यान दिया। उसने पुलिस, रेल, नौकरशाही, स्थानीय स्वराज्य, प्रेसीडेन्सी गवर्नरों की शक्ति में कमी आदि अनेक प्रशासनिक सुधार किए।

6. लार्ड कर्जन के सैनिक सुधार - 1900 में लार्ड किंचनर भारत का सेनाध्यक्ष होकर आया। उसने सैन्य सुधार की और विशेष ध्यान दिया। 1900 में स्थानीय पैदल सेना को पुनर्सगठित किया गया तथा चार दुगुनी कम्पनियों के दस्ते संगठित किये गये। देशी अफसर ही प्रत्येक दस्ते की आंतरिक व्यवस्था के लिये नियुक्त किये थे तथा फौजी परेड़ एवं युद्ध भूमि में ब्रिटिश अफसर ही उनका संचालन करते थे। 1902 तथा 1904 के बीच मोपला, गुरखा, पंजाबी, रंगरूटों को पैदल एवं अश्व-सेना में बडी़ संख्या में भर्ती किया गया।

7. रेलवे व्यवस्था में सुधार - रेलवे के क्षेत्र में सुधार के लिये कर्जन ने राबर्टसन की अध्यक्षता में रेलवे आयोग की नियुक्ति की। उसने 1903 में अपनी रिर्पोट में संपूर्ण पद्धती में परिर्वतन का सुझाव दिया। विद्यमान रेलवे लाइनों की कार्यकुषलता में वृद्धि की गयी तथा नयी रेलवे लाइनों के निर्माण का कार्य आरंभ हुआ। कर्जन के प्रयासों के परिणाम स्वरूप लगभग 98,150 मील लंबी रेलवे लाइन बिछायी गयी। 

8. प्राचीन स्मारक सुरक्षा अधिनियम- लाॅर्ड कर्जन ने प्राचीन स्मारक सुरक्षा अधिनियम पारित किया जिसके द्वारा प्राचीन स्मारकों क¨ हानि पहुँचाना कानूनी अपराध घोषित किया गया। इस कार्य का उत्तरदायित्व संभालने के लिये 1904 ई. में ’पुरातत्व विभाग’ स्थापित किया गया। इस विभाग के प्रयासों के परिणामस्वरूप प्राचीन ऐतिहासिक स्थानों की सुरक्षा हो सकी तथा वे नष्ट होने से बच सके। 

9. पुलिस सुधार- लाॅर्ड कर्जन ने पुलिस विभाग के दशों को दूर करने के उद्देश्य से 1902 ई. में फ्रेजर की अध्यक्षता में एक पुलिस आयोग गठित किया। इस आयोग ने पुलिस व्यवस्था में अनेक दोष पाए और कहा कि ’’पुलिस बल में कार्य कुशलता बिल्कुल नहीं है। इसे प्रायः भ्रष्ट तथा अन्यायी समझा जाता है तथा यह जनता का हार्दिक सहयोग प्राप्त करने मे पूर्ण रूप से असमर्थ रहा है।’’ पुलिस व्यवस्था में सुधार करने हेतु इस आयोग के सुझावों को स्वीकार कर पुलिस व्यवस्था में अनेक सुधार किये गये। 

पुलिस विभाग में सुधार- 
  1. उसने सिपाहियों का वेतन बढ़ाया।
  2. प्रत्येक प्रांत में एक खुफिया विभाग खोला। 
  3. सिपाहियों एवं अफसरों के प्रशिक्षण के लिये ट्रेनिंग स्कूल की स्थापना की 
  4. पुलिस विभाग पर 27 लाख पौण्ड का व्यय करने का निर्णय किया। 
10. सैन्य सुधार- लाॅर्ड कर्जन ने सेना में भी अनेक सुधार किये। तोपखाने के सैनिको को अधिक अच्छी बंदूकें देने की व्यवस्था की गयी। 1901 ई. में कर्जन ने ’इम्पीरियल कैडेट कोर’ की स्थापना की। यह देशी राजकुमारों तथा कुलीन वंशीय सैनिकों की सेना थी। उसने अच्छी तोपों की व्यवस्था की और सैनिकों को आधुनिक शस्त्रों से सुसज्जित किया। 

11. व्यापार तथा व्यापारिक सुधार- जहाँ एक और व्यापार तथा उद्योग के विकास के लिये रेलों का जाल बिछाया गया वहीं दूसरी और ’’व्यापार तथा उद्योग विभाग’’ की भी स्थापना की गयी। वायसराय की परिषद के छः वरिष्ठ सदस्य इस विभाग की देखभाल करते थे। 

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