अस्थि की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।

मानव शरीर का आधारभूत ढाँचा अस्थियों से बना है। शरीर की स्थिरता, आकार, आदि का मूल कारण अस्थियाँ ही है। मूल रूप से अस्थियाँ नियमित रूप से बढ़ने वाली, अपने आकार को नियमिति करने वाली अपने अन्दर होने वाली किसी भी प्रकार की टूट - फूट को ठीक करने में सक्षम है। मनुष्य का अस्थि संस्थान विभिन्न प्रकार के ऊतकों का समूह है।
  1. अस्थि ऊतक (Bone or Osseous tissue) 
  2. उपास्थि (Cartilage) 
  3. घन संयोजी ऊतक (Dense Connective tissue) 
  4. उपकला ऊतक (Epithelium) 
  5. मेदवह ऊतक (Adipose tissue) 
  6. नाड़ी वह ऊतक (Nervous tissue) 
इसी कारण एक अस्थि को अपने आप में एक अव्यव (Organ) माना जा सकता है। अस्थि समूह को अस्थिवह संस्थान के अन्तर्गत रखा जाता है। मानव शरीर में अस्थियों की कुल संख्या 206 है। शरीर के अन्य अंग प्रत्यंगों के ही समान ये भी विकसित अथवा वृद्धि को प्राप्त होती है। वृद्धावस्था आने पर जीर्ण होती है और व्यायामादि द्वारा मजबूत होती हैै। हमारे शरीर के भार का 18 प्रतिशत हिस्सा अस्थियों से बना है।

मांसपेशी, पेशीबन्धन, बन्धनी आदि अस्थियों से लिपटे रहते हैं। मानव शरीर का बाºय स्वरूप इसी ढाँचे के अनुरूप होता है। विभिन्न अस्थियाँ जिस स्थान पर आपस में जुड़ी होती है। उस स्थान को संधि कहते है।

हड्डियों के बीच में रिक्त स्थान होते है। जिनमें मज्जा भरी होती है। मज्जा एक प्रकार का द्रव है। यह दो प्रकार का होता है लाल एवं पीली। लाल मज्जा में रक्त की लाल एवं सफेद कोशिकाओं का निर्माण होता है। पीली मज्जा में मेद वाही कोशिका (Fat Cells) होते है।

कंकाल के कार्य 

  1. यह शरीर के कोमल अंगों, मांसपेशियों के लिए आधार का कार्य करती है। 
  2. शरीर के कोमल एवं प्रमुख अंगों की सुरक्षा इनका प्रमुख कार्य हैै। यह मस्तिष्क, हृदय आदि को बाहरी आघात से सुरक्षा प्रदान करते है। 
  3. शरीर को कार्य करने, चलने - फिरने आदि के योग्य बनाना। 
  4. यह शरीर के लिए उपयोगी खनिज कैल्शियम, फास्फोरस आदि का संग्रह करते है और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें रक्त में पुन: लौटा देते हैं। 
  5. लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण बड़ी अस्थियों के मध्य में स्थित लाल मज्जा (Red bone marrow) में होता है। 
  6. पीली मज्जा में मेद (Fat) जमा होती है।

अस्थियों का आकार - प्रकार

अस्थियों के आकार और संरचना के आधार पर अस्थियों के पाँच प्रकार कहे गए हैं -
  1. लम्बी अस्थियाँ (Long Bones) - यह अस्थियाँ लम्बी होती है। इनके बीच के भाग को दण्ड (Shaft) कहते है। इसके दो सिर (Head) होते है। यह लम्बाई में बढ़ती है। जैसे उरू अस्थि (Femur) , प्रगण्डास्थि (Humorous) आदि। 
  2. छोटी अस्थियाँ (Short Bones) - यह हड्डियाँ लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई में लगभग बराबर होती है। यह कलाई में (Carpals) एवं टकनों में पायी जाती है। 
  3. चपटी अस्थियाँ (Short Bones) - यह चपटे आकार की होती है। जैसे सिर की अस्थियाँ असफलक आदि। 
  4. असमाकृति अस्थियाँ (Irregular Bones) - यह विशमाकार अस्थियाँ है और किसी भी प्रकार में नहीं रखी जा सकती ह। जैसे कशेरूका (Vertebrae) नितम्बास्थि (Hip bonr ) आदि।  
  5. कण्डरास्थि (Sea-maid Bones) - यह कण्डराओं (Tendons), या जोड़ों में विकसित होने वाली हड्डियाँ है। जैसे जन्वास्थि (Patella),

अस्थियों का संगठन एवं रचना 

अस्थियाँ भले ही अन्य अंगों की तरह कोमल न दिखें पर इनमें बढ़ने, किसी भी प्रकार की टूट - फूट को ठीक करने की क्षमता होती है और इसका कारण इनमें मौजूद चार प्रकार की कोशिकाऐं है -
  1. आस्टिओजैनिक कोशिका (Osteogenic Cells) - यह विभाजन में सक्षम अस्थि कोशिका है यह आस्टिओब्लास्ट का निर्माण करते हैं। यह अस्थि आवरक कला के अन्दरूनी भाग में पाए जाते हैं। 
  2. आस्टिओब्लास्ट (Osteoblasts) - यह कोशिकाऐं अपने चारों तरफ कोलैजन (Collagen) नामक प्रोटीन एवं कैल्शियम आदि का स्राव कर अस्थि निर्माण करते हैं। 
  3. आस्टिओसाइट (Osteocytes) - यह अस्थि निर्माण कर चुकी कोशिकाऐं हैं जो अस्थियों के बीच में बारीक रिक्त स्थान में होती है। इनमें कोई विभाजन नहीं होता है। 
  4. आस्टियोक्लास्ट (Osteoclast) - यह बड़ी - बड़ी कोशिका होती है और इसका कार्य अस्थि को घोलकर सोखना है। जिससे उनका आकार नियंत्रित हो सके। 
इनके अलावा अस्थियों में आस्टियोब्लास्ट द्वारा स्रावित कोलेजन (Collagen) नामक प्रोटीन, कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium Carbonate ), कैल्शियम फॉस्फेट (Calcium Phosphate) , मैग्नीशियम , पोटेशियम आदि खनिज होते है। व्यस्क की अस्थियों का दो तिहाई हिस्सा खनिज लवणों से बना होता है।

कोलेजन से अस्थियों में लचक और खजिन लवणों से मजबूती आती है। इनके कारण ही हड्डियों में स्टील जितनी मजबूती होती है।

अस्थि पंजर में अस्थियों की संख्या

मनुष्य शरीर में कुल 206 हड्डियाँ पायी जाती है। अंगों के आधार पर इनकी गणना निम्न प्रकार की जा सकती है।
  1. कपाल (Cranium) में - 8 
  2. चेहरा (Face) में - 14 
  3. कान (Ear) में - 6 
  4. गले में हाइऑइड (Hyoid ) में - 1 
  5. रीढ़ (Spinal Column) में - 26 
  6. पसली (Ribs) में - 24 
  7. छाती (Sternum) में - 1 
  8. उध्र्व शाखा (प्रत्येक हाथ मे 30) - 60 
  9. अधो शाखा (प्रत्येक पैर मे 30) - 60 
  10. नितम्बास्थि - 2 
  11. अक्षकास्थि (Clavicle) - 2 
  12. स्कन्धास्थि (Scapula) - 2
           योग - 206

इन अस्थियों का विशेष विवरण निम्न प्रकार है -

1. कपाल की अस्थियाँ- कपाल में कुल 22 अस्थियाँ है। इनको दो हिस्सों में बाँटा जा सकता है। कपाल (Cranial) अस्थि, चेहरे (Facial) अस्थियाँ। कपाल की अस्थियाँ, मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करती है। चेहरे की अस्थियाँ निम्न है।
  1. नासास्थि (Nasal Bones) - 2 
  2. उध्र्वहन्वास्थि (Maxilla Bones) - 2 
  3. कपोलास्थि (Zygomatic Bones) - 2 
  4. अधोहन्वास्थि (Mandible Bones) - 2 
  5. अश्रुअस्थि (Lactic Bones) - 2 
  6. तालु अस्थि (Palatine Bones) - 2 
  7. अध: शुक्तिकास्थि (Inferior nasal Bones) - 2 
  8. नासाफलकास्थि (Bomber) - 1
         कुल - 14

इनमें से केवल अधोहन्वास्थि ही चल संधि युक्त है। कपाल अस्थियाँ 8 है।
  1. ललाटास्थि (Frontal Bone) 
  2. पािश्र्वकास्थि (Parietal Bone) 
  3. शंखास्थि (Temporal Bone) 
  4. पश्च कपालास्थिअ (Occipital Bone) 
  5. कीलकास्थि (Sphenoid Bone) 
  6. झर्झरास्थि (Ethmoidal Bone)
इसके अलावा सिर में कान की अस्थियाँ भी मिलती हैं जो तीन अस्थियों का जोड़ा है - मुद्गर (Malleus) नेहाई (Incus) रकाब (Stapes) कपाल में दो रन्ध्र भी मिलते है। ब्रहम्रन्ध्र और अधिपति रन्ध्र। यह बच्चों में एक वर्ष होने तक भर जाते है।

2. गर्दन (Neck) की अस्थियाँ - गर्दन में कुल आठ अस्थियाँ होती है। जिसमें एक आगे की तरफ श्वास नलिका के आगे की तरफ होती है। जिसे हाइआइड (Hyoid) अस्थि कहते हैं। बाकी सात ग्रीवा कशेरूका है जिनके बीच में कशेरूका रन्ध्रक होता है (Vertebral Foramen)। इसमें से सुशुम्ना नाड़ी (Spinal Cord) रहती है।

3. वक्ष (Thorax Bone) की अस्थियाँ - वक्ष के बीचों बीच आगे की तरफ उर्वास्थि (Sternum) होता है। यह चपटी अस्थि है। पसलियाँ आगे की तरफ इसी अस्थि से जुड़ी रहती है। पसलियाँ उर्वास्थि के दोनों तरफ 12 की संख्या होती है। जिनमें से ऊपर की 10 उर्वास्थि से जुड़ी रहती है। बाकी की 2 जिन्हें फ्लोटिंग रिब्स (Floating Ribs) कहते हैै यह उर्वास्थि से नहीं जुड़ी होती है। पीछे की ओर यह 12 वक्षीय कशेकरूकाओं से जुड़ी रहती है। इनका कार्य हृदय और फेफड़ों की रक्षा करना है। कशेरूका के कशेरूक रन्ध्रक से सुशुम्ना नाड़ी होती है। इनके अलावा एक अक्षकास्थि (Clavicle) और एक स्कन्धास्थि (Scapula) भी है।

4. उदर एवं श्रोणी की अस्थियाँ - उदर में केवल पाँच कशेरूका होती है। जिसके रन्ध्रक में सुशुम्ना नाड़ी सुरक्षित रहती है। श्रोणी में दो नितम्बास्थि एक त्रिकास्थि और एक अनुत्रिकास्थि होती है। त्रिकास्थि अनुत्रिकास्थि में सुशुम्ना की नाड़ियाँ सुरक्षित रहती है। पैर उर्वास्थि नितम्बास्थियों से जुड़ी रहती है।

5. भुजाओं की अस्थियाँ - हर भुजा में सबसे ऊपर की तरफ प्रगण्डास्थि होती है। जो स्कन्धास्थि से जुड़ा रहता है। इस सन्धि को स्कन्ध संधि कहते है। नीचे की तरफ प्रण्डास्थि बहि:कोश्ठाअस्थि एवं अन्त: प्रकोश्ठास्थि से जुड़ी होती है। इस संधि को कूर्पर संधि कहते है। हाथ की कलाई 8 मणिबन्ध की अस्थियाँ से बनती है। यह 8 अस्थियाँ चार - चार अस्थियों की दो पंक्तियों में लगी होती है। इन अस्थियों से हथेली की 5 शलाकास्थियाँ जुड़ी होती है। जिनके अग्रभाग में अंगुलियों की अस्थियाँ होती है। हर अंगुली में तीन अंगुलास्थि होती है और अंगूठे में दो अंगुलास्थि होती है।

6. टाँगों की अस्थियाँ - जाँघ की अस्थि को उर्वास्थि (Femur) कहते है। यह नितम्बास्थि से जुड़ी होती है नीचे की तरफ यह अन्तर्जघास्थि (Tibia) और बहिर्जघास्थि (Fibula) से जुड़ी होती है। इसी जोड़ में ऊपर की तरफ जान्वास्थि (Patella) होती है। एड़ी में 7 गुल्फास्थियाँ (Tarsals) होती है। इनसे 5 अनुगुल्फास्थियाँ (Mehatarsals) जुड़ी होती है। इनसे प्रत्येक पैर की अंगुली की तीन अंगुलास्थियाँ और पैर के अंगूठे से दो अंगुलास्थि जुड़ी होती है। इस प्रकार मनुष्य के कंकाल में कुल 206 हड्डियाँ होती है।

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