थायराइड ग्रंथि की संरचना एवं कार्यो का वर्णन कीजिए |

थायराइड ग्रंथि की संरचना

थायराइड ग्रंथि ग्रीवा में श्वास प्रणाल (Trachea) के सामने निचले सर्वाइकल और प्रथम थोरेसिक वर्टिब्रा के स्तर पर स्थित रहती है। यह दो खण्डों में विभक्त रहती है जो लेरिक्स (स्वर यंत्र) और ट्रेकिया (श्वास प्रणाल) के मध्य जोड़ के दोनों तरफ स्थित रहती है। एक सामान्य वयस्क में थायराइड ग्रंथि का वजन लगभग 25-40 ग्राम तक होता है। थायराइड ग्रंथि के दोनों लॉब (खण्ड) उतक के एक ब्रिज से जुड़े होते हैं, जिसे इस्थामस (Isthmus) कहते हैं।

थायराइड ग्रंथि की संरचना

थायराइड ग्रंथि की कार्यात्मक इकाई बहुत सारे आपस में जुड़े हुए फॉलिकल (follicles) होते हैं। इन फॉलिकल में एक गाढ़ा चिपचिपा प्रोटीन पदार्थ भरा होता है जिसे कोलाइड कहते हैं। इस कोलाइड में थाइरॉइड हॉर्मोन संचित रहते हैं। थायराइड ग्रंथि दो तरह की कोशिकाओं फोलीक्यूलर और पैराफोलीक्यूलर कोशिकाओं से निर्मित होती है। फोलीक्यूलर कोशिकायें (follicular cells) चारों ओर फैली हुई रहती हैं। यह थाइरॉइड हॉर्मोन थाइरॉक्सिन और थाइरॉइडोट्राइआइडो थायरोडीन का निर्माण एवं स्रावण करती हैं, जो शरीर की अधिकांश कोशिकाओं में उपापच्य (Matabolism) को बढ़ाते हैं। पैराफालिक्यूलर कोशिकायें फोलिक्यूलर कोशिकाओं की अपेक्षा कम और आकार में बड़ी होती हैं। इन्हें cell भी कहते हैं। यह कोशिकायें फोलिकल्स के मध्य समूह में पाई जाती हैं तथा केलिस्टोनिन नामक हॉर्मोन का निर्माण एवं स्रावण करती हैं।

थायराइड ग्रंथि के कार्य

थाइरॉइड तीन हॉर्मोन्स का स्रावण करता है -
  1. T3 
  2. T3 
  3. TCT
1. T3 हॉर्मोन अथवा ट्राईआयडो थाइरॉक्सीन (Tri iodeothyroxine) -
  1. विकास एवं वृद्धि को प्रभावित करता है। 
  2. सामान्य उपापच्य दर को नियन्त्रित करता है।  
  3. कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, उपापच्य को सम्पन्न करता है।
  4. शारीरिक भार को नियन्त्रित करता है। 
  5. मूत्र निर्माण में सहायक है। 
  6. कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज के अन्त: ग्रहण को बढ़ाता है। 
  7. हृदय गति एवं श्वसन दर को नियन्त्रित करता है।
2. T4 हॉर्मोन अथवा थाइरॉक्सीन या टैट्राआयडोथाइरॉक्सीन (Tetraiodothyroxine) - इसके कार्य T3 हॉर्मोन के समान ही हैं, परन्तु यह थाइरॉइड स्राव का लगभग 90 प्रतिशत होता है जबकि ज्3 अधिक सांद्र और अधिक सक्रिय होता है। 

3. T3 अथवा थायरोकैल्सिटोनिन (Thyrocalcitonin) - यह रक्त में कैल्शियम की सान्द्रता को कम करता है एवं Bron mineral metabolism का नियन्त्रण करता है।

थाइरॉइड स्रावण की अधिकता से पड़ने वाला प्रभाव

थायराइड ग्रंथि की अति सक्रियता से अथवा थायराइड ग्रंथि से अत्यधिक मात्रा में हॉर्मोन का स्रावण होने से हाइपर थाइरॉडिस्म (Hyperthyroidism) नामक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस स्थिति में नेत्रोत्सेधी गलगण्ड (Exophthalmic goitre) हो जाता है। इस रोग के लक्षणों में आँखें बाहर को उभर जाती हैं तथा रोगी को गर्मी का अनुभव अधिक होता है। अधिक भूख के बावजूद वजन कम होने लगता है। अंगुलियों में कंपन और हृदय गति तीव्र हो जाती है। वास्तव में थायराइड ग्रंथि की अति सक्रियता ‘आयोडीन’ की कमी के कारण होती है।

थाइरॉइड स्रावण की अधिकता का शरीर पर प्रभाव


थाइरॉइड स्रावण की कमी से शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव 

थायराइड ग्रंथि के अल्प सक्रियता से अथवा ग्रन्थि से कम मात्रा में हॉर्मोन के स्रावण से ‘हाइपो थाइरॉडिस्म’ (Hypothyrodism) नामक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस स्थिति के कारण गर्भ में शिशु के विकास अथवा शैशवावस्था के दौरान थाइरॉइड अल्प क्रिया से ‘क्रेटिनिज्म’ (जड़ मानवता) नामक रोग हो जाता है। इस रोग में बुद्धि का ह्रास हो जाता है। बच्चों का विकास रुक जाता है। कंकालीय वृद्धि रुक जाती है, पेट बाहर को अधिक बढ़ जाता है। माँसपेशीय कमजोरी हो जाती है। आहार नाल की motility कम हो जाने के कारण कब्ज हो जाता है। दाँत देर से निकलते हैं, अस्थियों एवं पेशियों का विकास अतिक्रमित हो जाता है। 

वयस्कों में थायराइड ग्रंथि के के सक्रियता सक्रियतस से ‘मिक्सीडीमा’ (Myxedema) नामक रोग होने से त्वचा पीली, सूखी, रूक्ष हो जाती है। चेहरा फूला-फूला सा लगता है। वजन बढ़ जाता है। शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है जिससे ठण्ड सहन नहीं हो पाती। बाल शुष्क, खुरदरे और पतले हो जाते हैं, सुस्ती, थकान होती है। महिलाओं में या तो मासिक स्राव नहीं होता अथवा बहुत अधिक होता है। याददाश्त में कमजोरी एवं मानसिक क्षमता का ह्रास होने लगता है।

Post a Comment

Previous Post Next Post