मस्तिष्क के विभिन्न भाग एवं उनके कार्य

मानव मस्तिष्क के भाग
मानव मस्तिष्क के भाग

पूर्णरूप से विकसित मानवीय मस्तिष्क शरीर के भार का लगभग 1/50 होता है और कपाल गुहा (Cranial cavity) में अवस्थित रहता है। 

मानव मस्तिष्क के भाग

मानव मस्तिष्क के कितने भाग होते हैं, मानव मस्तिष्क के भाग और कार्य -
  1. अग्र मस्तिष्क
  2. मध्य मस्तिष्क
  3. पश्च मस्तिष्क

मस्तिष्क के भाग
1. अग्र मस्तिष्क-
  1. मस्तिष्क का 80-85 भाग
  2. ज्ञान,चेतना,सोचने विचारने का कार्य
  3. लम्बा गहरा विदर प्रमस्तिष्क को 1गोलाद्र्धो में विभाजित करता हैं
  4. प्रत्येक गोलार्द्ध में घूसर द्रव्य-कोर्टेक्स भाग/वल्कुट/प्रान्तस्थ
  5. अन्दर की ओर श्वेत द्रव्य वाला भाग-मध्यांष/मेडूला
    1. थैलेमस-संवेदी व प्रेरक संकेतो का केन्द्र
    2. हाइपोथेमसः- भूख,प्यास,निद्रा,ताप,थकान,मनोभावनाओ ं की अभिव्यक्ति।
2. मध्य मस्तिष्क-
  1. चार पिण्डो में  बटा भाग
  2. हाइपोथेलेमस व मध्य मस्तिष्क के मध्य स्थित
  3. प्रत्येक पिण्ड-कार्पोस क्वाड्रीजेमीन कहलाता है।
  4. उपरी दो पिण्ड दृष्टि के लिये व निचले दो पिण्ड श्रवण के लिये।
3 पश्चमस्तिष्क-
  1. मस्तिष्क का दूसरा बडा भाग 
  2. ऐच्छिक पेषियो को नियंत्रण करना, 
  3. न्यूरोन्स का अतिरिक्त स्थान प्रदान करता है।
  4. पोस-मस्तिष्क के विभिन्न भागो को जोडना।
  5. अनैच्छिक क्रियाओ पर नियंत्रण जैसे -धडकन,रक्तदाब,पायकरसो की स्त्राव 
  6. मस्तिष्क का अंतिम भाग-जो मेंरूरज्जु से जुडा हांेंता है।

1. अग्रमस्तिष्क 

यह मस्तिष्क का आगे का भाग होता है सिमें निम्न रचनाएँ स्थित रहती हैं- प्रमस्तिष्क या सेरीब्रम (Cerebrum)- यह केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र का प्रमुख तथा मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग है। गुम्बज की तरह और नीचे का भाग सुतल होता है। कपाल गुहा (Cranial cavity) का अधिक भाग प्रमस्तिष्क से भरा रहता है। 

प्रमस्तिष्क एक गहरी लम्बव्त दरार या विदर (Longitudinal cerebral fissure) के द्वारा दाहिने एवं बायें अर्द्ध गोलार्द्धों में विभाजित रहता है। 

यह पृथक्करण आगे एवं पीछे के भाग पर पूर्ण होता है लेकिन मध्य में ये अर्द्धगोलार्द्ध तन्त्रिका तन्तुओं की चौड़ी पट्टी के द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं, जिसे कॉर्पस कैलोसम (Corpus callosum) कहते हैं। प्रमस्तिष्क की बाहरी सतह को प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स (Cerebral cortex) कहते हैं जो तन्त्रिका कोशिकाओं (Nerve cells) का बना होता है और भूरे रंग का होता है। इसे गे मैटर (Grey matter) कहते हैं।


अग्रमस्तिष्क


प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स से नीचे का भाग तन्त्रिका तन्तुओं (एक्सोन्स) से बना होता है और श्वेत रंग का होता है, जिसे व्हाइट मैटर (White matter) कहते हैं। प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स में बहुत से विभिन्न गहराइयों के खाँच बने होते हैं। खाँचों के उभार को कर्णक (Gyrus) कहते हैं और दबे हुए भाग को परिखा या विदर (Sulcus or fissure) कहते हैं, के द्वारा पृथक रहते हैं। इससे प्रमस्तिष्क का सतह खेत्र अधिक बढ़ जाता है। 

सभी मनुष्यों में उभारों (Gyrus) व दरारों (Sulcus) की सामान्य रूप रेखा समान होती है। तीन मुख्य दरारें (Sulci) प्रत्येक अर्द्धगोलार्द्ध को चार खण्डों (Lobes) में विभाजित करती हैं, जिनमें वे स्थित होते हैं। मध्य दरार (Central sulcus) अर्द्धगोलार्द्ध के ऊपरी भाग से नीचे एवं आगे की ओर पाश्र्वीय दरार (Lateral sulcus) के ठीक ऊपर तक फैली रहती है; पाश्र्वीय दरार मस्तिष्क के सामने के निचले भाग के पीछे की ओर फैली रहती है तथा पैराइटोऑक्सीपिटल दरार (Parietooccipital sulcus) अर्द्धगोलार्द्ध के ऊपरी पिछले भाग के कुछ दूर तक नीचे और आगे की ओर फैली रहती है।

अर्द्धगोलार्द्ध के खण्ड हैं- फ्रन्टल लोब (Frontal lobe) जो मध्य दरार के सामने एवं पाश्र्वीय दरार के ऊपर स्थित रहता है; पैराइटल लोब (Parietal lobe) यह मध्य दरार एवं पैराइटोऑक्सिपिटल दरार के बीच तथा पाश्र्वीय दरार के ऊपर स्थित रहता है; ऑक्सिपिटल लोब (Occipital lobe), अर्द्धगोलार्द्ध का पिछला भाग बनाता है, तथा टेम्पोरल लोब (Temporal lobe) यह पाश्र्वीय-दरार के नीचे स्थित होता है और पीछे ऑक्सिपिटल लोब तक फैला रहता है।

प्रमस्तिष्क के दाहिने अर्द्धगोलार्द्ध द्वारा शरीर के बायें भाग की तथा बायें अर्द्धगोलार्द्ध द्वारा शरीर के दाहिने भाग की समसत चेतन एवं अचेतन क्रियाएँ संचालित एवं नियन्त्रित होती हैं। प्रमस्तिष्क बुद्धि, इच्छा, आवेश, स्मरणशक्ति जैसी उन अधिक विकसित क्षमताओं का स्थल है, जो मनुष्य को विशिष्ट रूप से सम्पन्न किए हुए हैं। प्रमस्तिष्क का विशिष्ट क्षेत्र विशेष प्रकार की क्रियाओं को सम्पादित करता है। ज्ञानात्मक क्रियाओं का नियन्त्रण एवं संपादन पैराइटल लोब, टैम्पोरल लोब एवं ऑक्सिपिटल लोब् द्वारा होता है। प्रेरक क्रियाओं का संचालन एवं नियन्त्रण मध्य दरार या सेन्ट्रल सल्कस के अग्रभाग से लगे हुए पिरामिड के आकार की कोशिकाओं द्वारा होता है। सोचना समझना, सीखना, चलना आदि का नियन्त्रण एवं संचालन मस्तिष्क के कुछ विशेष क्षेत्र-संवेदीक्षेत्र (Sensory area), प्रेरक या गतिवाही क्षेत्र (Motor area) एवं फ्रन्टल साहचर्य क्षेत्र (Frontal association) द्वारा होता है।

अग्रमस्तिष्क


मध्य दरार (Central sulcus) के ठीक सामने स्थित क्षेत्र को प्रीसेन्ट्रल गाइरस (Central sulcus) कहते हैं, यह प्रेरक या गतिवाही क्षेत्र (Motor area) है, जहाँ से केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र के कई प्रेरक तन्तु निकलते हैं। मध्य दरार के ठीक पीछे संवेदी क्षेत्र (Sensory area) स्थित होता है जिसे पोस्ट सेन्ट्रल गाइरस (Postcentral gyrus) कहते हैं, इसकी कोशिकाओं में कई प्रकार के संवेदनों का अर्थ समझा जाता है।

2. मध्यमस्तिष्क 

मध्यमस्तिष्क, अग्र-मस्तिष्क एवं पश्च-मस्तिष्क के बीच और मस्तिष्क स्तम्भ (Brain stem) के ऊपर स्थित रहता है। इसमें सेरीब्रल पेडन्क्ल्स (Cerebral peduncles) एवं कॉपोंरा क्वाड्रिजेमिना (Corpora quadrigemina) का समावेश हाता है, जो प्रमस्तिष्कीय कुल्या (Cerebral aqueduct) को घेरे रहते हैं, जो कि तृतीय एवं चतुथर्ै वेन्ट्रिकलों के बीच एक नलिका (Channel) होती है। सेरीब्रल पेडन्क्ल्स डंठलनुमा रचनाएँ होती हैं जो इसकी वेंट्रल सतह (Ventral surface) पर स्थित होती है। कॉपोंरा क्वाड्रिजेमिना डॉर्सल सतह पर चार गोलाकार उभार होते हैं जिन्हें दो जोड़े संवेदी केन्द्रों (Sensory centres) में विभक्त किया गया है। एक को सुपीरियर कोलीकुलि (Superior colliculi) तथा दूसरे को इन्फीरियर कोलीकुलि (Inferior colliculi) कहते हैं। सुपीरियर कोलीकुलि द्वारा किसी वस्तु को देखने की क्रिया सम्पन्न होती है तथा इन्फीरियर कोलीकुलि द्वारा सुनने की क्रिया सम्पन्न होती है।

सेरीब्रल पेडन्क्ल्स के समीप लाल केन्द्रक (Red nucleus) स्थित रहता है। सुपीरियर कोलीकुलि के बीच पिनीयल बॉडी (Pineal body) स्थित रहती है।

3. पश्चमस्तिष्क

यह मस्तिष्क का सबसे पीछे का भाग होता है, जिसमें पोन्स (Pons), मेड्यूला ऑब्लांगेटा (Medulla oblongata) तथा अनुमस्तिष्क (Cerebellum) का समावेश रहता है।

1. पोन्स (Pons)- यह अनुमस्तिष्क (Cerebellum) के आगे मध्यमस्तिष्क के नीचे तथा मेड्यूला ऑब्लांगेटा के ऊपर रहता है। यह मस्तिष्क स्तम्भ (Brain stem) के बीच का भाग होता है। इसके आधारी भाग को मिडिल सेरीबेलर पेडन्क्ल (Middle cerebellar peduncle) कहते हैं। इस भाग से होकर संवेदी एवं प्रेरक तन्त्रिकाओं के तन्तु गुजरते हैं, जो अनुमस्तिष्क को मध्य मस्तिष्क एवं मेड्यूला ऑब्लांगेटा से जोड़ते हैं।

इसमें पाँचवीं, छठी और सातवीं कपालीय तन्त्रिकाओं के न्यूिक्लाई स्थित रहते हैं। यहीं से उनके कुछ तन्तु कोशिकाओं से निकल कर तन्त्रिका तन्त्र के विभिन्न भागों में चले जाते हैं।

2. मेड्यूला ऑब्लांगेटा (Medulla oblongata)- यह मस्तिष्क स्तम्भ का सबसे नीचे का भाग होता है, जो ऊपर की ओर पोन्स एवं नीचे की ओर स्पाइनल कॉर्ड के बीच स्थित रहता है। इसका आकार बेलनाकार दण्ड की तरह होता है, जो औसतन 2.5 सेमी. लम्बा होता है। इसका ऊपरी भाग कुछ फूला रहता है। यह पोस्टीरियर क्रेनियल फोसा में स्थित होता है और ऑक्सिपिटल अस्थि के महा-रन्ध्र (Foramen magnum) के ठीक नीचे स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ जाता है। इसका बाह्य भाग श्वेत द्रव्य तथा भीतरी भाग भूरे द्रव्य का बना होता है। इसमें हृदीय एवं श्वसनीय केन्द्र स्थित होते हैं, जो हृदय एवं श्वसन क्रिया को नियन्त्रित करते हैं। इसमें निद्रा, निगरण एवं लालास्त्राव (Salivation) के भी केन्द्र होते हैं, जो महत्वपूर्ण कार्यों का नियमन करते हैं।

3. अनुमस्तिष्क या सेरीबेलम (Cerebellum)- यह प्रमस्तिष्क के आक्सिपिटल लोब के नीचे पीछे की ओर उभरा हुआ भाग होता है, जो मेड्यूला ऑब्लांगेटा के ऊपर, पोन्स के पीछे कपालीय गुहा में स्थित होता है तथा डॉर्सल सतह की ओर प्रमस्तिष्कीय अर्द्धगोलार्द्ध से ढँका रहता है।

अनुमस्तिष्क दो अर्द्धगोलाद्धोर्ं में विभक्त रहता है परन्तु बीच में एक मध्यस्थ पट्टी, जिसे वर्मिस (Vermis) कहते हैं, से जुड़ा रहता है। इसमें प्रमस्तिष्क (Cerebrum) के समान भूरा द्रव्य (Gray matter) बाहर की ओर और श्वेत द्रव्य (White matter) भीतर की ओर स्थित होता है। अनुमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स (Cerebellar cortex) प्रमस्तिष्कीय कार्टेक्स की अपेक्षा अधिक पतला होता है। अनुमस्तिष्क का भार मस्तिष्क के कुल भार का दसवाँ भाग होता है।

अनुमस्तिष्कीय केन्द्रक (Cerebellar nuclei) श्वेत द्रव्य में गहराई में स्थित रहते हैं जो सुपीरियर सेरीबेलर पेडन्क्ल के द्वारा मध्य मस्तिष्क से, मिडिल सेरीबेलर पेडन्क्ल के द्वारा पोन्स से तथा इन्फीरियर सेरीबेलर पेडन्क्ल के द्वारा मेड्यूला ऑब्लांगेटा से जुड़े रहते हैं।

अनुमस्तिष्क ऐच्छिक पेशियों में समन्वय स्थापित करता है तथा शरीर की मुद्रा और उसके सन्तुलन को बनाए रखता है। यह पेशियों में तनाव की श्रेणी, सिन्धयों (Joints) की स्थिति और प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स से आने वाली जानकारी से सम्बन्धित संवेदी आवेगों को निरन्तर प्राप्त करता रहता है।

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