बैंकिंग विनिमय अधिनियम की धारा 5 (b) के अनुसार बैंकिंग का अर्थ

बैंकिंग विनिमय अधिनियम की धारा 5 (b) के अनुसार बैंकिंग का अर्थ उधार या निवेश के उद्देश्य के लिये जनता से ली गयी धनराशि है जो कि मांग पर प्रतिदेय या अन्यथा चेक, ड्राफ्ट, आदेश या अन्यथा द्वारा निकाली जा सके। अधिनियम, 1881 के अनुसार, बैंकर के अन्तर्गत बैंकिंग का काम करने वाला प्रत्येक व्यक्ति तथा डाकघर बचत बैंक सम्मिलित है। विनिमय पत्र अधिनियम 1882 की धारा 2 के अनुसार बैंकर का अर्थ उन व्यक्तियों की एक संस्था से हैं जो बैंकिंग कारोबार करते हैं चाहे निगमित हो या न हो। 

बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 5(e) के अनुसार, बैंकिंग कम्पनी वह कम्पनी है जो भारत में बैंकिंग का कार्य करती हो। बैंकर या बैंकिंग कम्पनी ही बैंकिंग सम्बन्धी गतिविधियां चलाती हैं। बैंकर या बैंकिंग कम्पनी का अर्थ धारा 5 (b) से समझ सकते हैं जिसके अनुसार- यह एक निगमित निकाय के रूप में,
  1. जनता से जमा स्वीकार करती है 
  2. उधार देना या 
  3. जमा राशि के माध्यम से एकत्रित धन निवेश करना 
  4. मांग पर या किसी अन्य माध्यम से जमा राशि की निकासी की अनुमति देना। 
जनता से स्वीकार की हुई जमा राशि से मतलब है कि बैंक किसी से भी जमा स्वीकार करता है जो किसी उद्देश्य के लिये धन प्रस्तावित करता है। जब तक व्यक्ति का बैंक के पास खाता खुला हुआ न हो, तब तक वह जमा राशि स्वीकार नहीं कर सकता। बैंक में जमा करने के लिये आवश्यक है बैंक से खाता सम्बन्ध होना। बैंक अवांछनीय व्यक्तियों के खाता खोलने से मना कर सकती है। खाता खोलने का अधिकार बैंक के पास है। 

बैंकिंग के कार्य

आधुनिक बैंक, विविध सेवाएं भी प्रदान करते हैं : जैसे:-
  1. विभिन्न प्रकार के क्रेडिट जारी करना, जैसे-क्रेडिट पत्र, यात्री चैक, क्रेडिट कार्ड, और परिपत्र नोट; 
  2. पूंजी मुद्दों की अंडर-राइटिंग; 
  3. विनिमय पत्र की स्वीकृति, जिसके द्वारा बैंकर कमीशन के लिए बदले में अपने ग्राहक को अपना नाम उधार देते हैं; 
  4. मूल्यवान वस्तुओं की सुरक्षित जमा; 
  5. ग्राहकों के लिए निष्पादक एवं न्यासी का कार्य; 
  6. ग्राहकों के लिए आयकर रिटर्न तैयार करना; 
  7. ग्राहकों की ओर से गारंटी प्रदान करना, आदि।

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