रोकड़ प्रवाह विवरण क्या है ? Cash Flow Statement in Hindi

रोकड़ प्रवाह विवरण यह प्रदर्शित करता है कि किन माध्यमों अथवा कहाॅ-कहाॅ से रोकड़ प्राप्त हुई है तथा किस स्थान अथवा कहाॅ पर रोकड़ का उपयोग हुआ है। “रोकड़ प्रवाह विवरण किसी दी हुई अवधि में उनकी रोकड़ आवश्यकताओं के निर्धारण एवं उनकी पर्याप्त व्यवस्था करने के उद्देश्य से विभिन्न शीर्षकों के अन्तर्गत
रोकड़ के बहाव का विवरण है ।” रोकड़ प्रवाह का निर्माण दिए गए चिट्ठे, लाभहानि खाता आय विवरण पत्र तथा अन्य उपलब्ध अतिरिक्त सूचनाओं के आधार पर किया जाता है । यह एक अवधि से दूसरी अवधि के रोकड़ लेनदेनों का तुलनात्मक विवेचन कर बदलाव के कारणों की व्याख्या करता है। रोकड़ प्रवाह विवरण को रोकड़ बहाव विवरण, रोकड़ में परिवर्तनों के कारणों का विवरण पत्र अथवा रोकड़ आधारित वितीय स्थिति में परिवर्तनों का विवरण पत्र भी कहा जाता है ।

रोकड़ प्रवाह विवरण क्या है

रोकड़ व्यावसायिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व रखती है अत: इसके बारे में प्रबन्धकों को यह जानना आवश्यक होता है कि संस्था में रोकड़ के आगम एवं निर्गम की क्या स्थिति रही इसी उद्देश्य के लिए रोकड़ प्रवाह विवरण बनाया जाता है।

रोकड़ प्रवाह विवरण दो समयावधियों के बीच व्यवसाय के रोकड़ शेष में हुए परिवर्तनों का विश्लेषण करता है। जिस तरह मानव शरीर में रक्त का स्थान महत्वपूर्ण होता है उसी प्रकार व्यवसाय में रोकड़ का स्थान महत्वपूर्ण होता है। रोकड़ संचार बन्द हो जाने पर व्यवसाय उसी प्रकार गतिहीन हो जाता है जिस तरह रक्त संचार रूकने से मानव शरीर निष्प्राण होता है। रोकड़ प्रवाह विवरण रोकड़ संचार को मापने का एक साधन है जिसका उपयोग प्रबन्धक वर्ग द्वारा संस्था की अल्पकालीन रोकड़ व्यवस्था को मापने के लिए किया जाता है। 

रोकड़ संचार से तात्पर्य एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत सर्वप्रथम स्वामित्व पूंजी तथा ऋणपूंजी की व्यवस्था की जाती है तत्पश्चात रोकड़ से कच्चा माल क्रय किया जाता है फिर मजदूरी तथा अन्य उत्पादन व्ययों का भुगतान करके वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। उत्पादित वस्तुओं को बेचकर पुन: रोकड़ प्राप्त की जाती है तथा निरन्तर यही प्रक्रिया चलती रहती है।

रोकड़ प्रवाह विवरण के उद्देश्य

रोकड़ प्रवाह व्यवसाय में अविरल बना रहना चाहिए । रोकड़ प्रवाह विवरण अल्पकालीन नियोजन का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह व्यवसाय के अल्पकालीन वित्तीय परिवर्तनों की जांच की एक महत्वपूर्ण तकनीक है। रोकड़ प्रवाह विवरण के उद्देश्य हैं-
  1. वित्तीय नीतियों एवं रोकड़ मूल्यांकन के सहायक प्रबन्धकीय दृष्टि से रोकड़ प्रवाह विवरण वित्तीय नीतियों एवं कुशल रोकड़ मूल्यांकन का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। व्यवसाय की समस्त क्रियाओं व योजनाओं का आधार रोकड़ ही होता है। अत: रोकड़ प्रवाह विवरण वित्तीय नीतियों के नियोजन एवं समन्वय में सहायता करता है। 
  2. नियन्त्रण में सहायक रोकड़ प्रवाह विवरण एक नियंत्रण तकनीक भी है इस विवरण की रोकड़ बजट से तुलना करके बजट के मौलिक पूर्वानुमानों का रोकड़ प्रवाह विवरण के वास्तविक परिणामों से अन्तर ज्ञात किया जा सकता है। इस तुलना से यह ज्ञात किया जा सकता है कि संस्था के वित्तीय साधनों का इस स्तर तक योजना अनुसार प्रयोग हो रहा है।
  3. आन्तरिक वित्तीय प्रबन्ध में सहायक रोकड़ प्रवाह विवरण व्यवसाय संचालन से सम्बन्धित रोकड़ आवागमन को प्रतिबिम्बित करता है। इससे प्रबन्धकों को व्यवसाय की आन्तरिक नीतियां निर्धारित करने में सहायता मिलती है। 
  4. रोकड़ शेष में परिवर्तन में ज्ञान रोकड़ प्रवाह विवरण व्यवसाय की रोकड़ स्थिति में हुए परिवर्तनों का कारण सहित विश्लेषण करता हैं कभी-कभी भारी लाभ होते हुए भी रोकड़ शेष में कमी आ जाती है जबकि कभी-कभी हानि होने के बावजूद भी रोकड़ शेष पर्याप्त रहता है। रोकड़ प्रवाह विवरण इस प्रकार की स्थिति के कारणों को स्पष्ट करता है। 
  5. अल्पकालीन निर्णयों में सहायक इस विवरण पत्र की सहायता से प्रबन्धकों को कर्इ अल्पकालीन निर्णय लेने में सहायता मिलती है। प्राप्ति एवं भुगतान की प्रवृत्ति की जांच से संस्थान की शोधन क्षमता की जानकारी प्राप्त की जा सकती है तथा संस्था का मासिक रोकड़ विवरण तैयार करके इसकी दायित्व भुगतान क्षमता का अनुमान लगाया जा सकता है। 
  6. पूर्वानुमान में सहायक विभिन्न वर्षों के रोकड़ प्रवाह विवरणों के विश्लेषण से रोकड़ के विभिन्न स्रोतों एवं उपयोगों की प्रवृत्ति का अध्ययन किया जा सकता है। इस प्रकार प्रवृत्ति अध्ययन के आधार पर भविष्य में रोकड़ के विभिन्न स्रोतों एवं उपयोगों का पूर्वानुमान किया जा सकता है। 
  7. प्रबन्धकीय दक्षता का मापन रोकड़ प्रवाह विवरण रोकड़ प्राप्ति एवं भुगतान तथा उपयोग में प्रबन्ध की दक्षता तथा विभिन्न अल्पकालीन वित्तीय सौदों में प्रबन्ध की कार्य-कुशलता का मापन प्रस्तुत करता है। विक्रय की वसूली नीति में दक्षता परीक्षण की यह एक महत्वपूर्ण युक्ति है।

रोकड़ प्रवाह विवरण के लाभ अथवा महत्व

  1. लेखा-विवरणपत्रों के प्राप्तकर्ताओं को निर्णयन के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण आँकड़े प्राप्त हो जावेंगे। 
  2. ऐतिहासिक चालू और भावी रोकड़ प्रवाह के सम्बन्ध में आंकड़े रिपोर्ट करने से प्रबन्धकों की जवाबदेही बढ़ जावेगी। 
  3. इन आंकड़ों के आधार पर भविष्यवाणी करने में सुगमता रहेगी। 
  4. बंटन आधारित भविष्यवाणी में जो गड़बड़ियां हो सकती हैं उनके अवसर समाप्त हो जावेगी। 
  5. पारम्परिक लेखांकन विधि के अन्तर्गत अस्पष्ट बंटन की जो सम्भावना रहती है वह समाप्त हो जावेगी। 
  6. रोकड़-प्रवाह लेखांकन मूल्य-स्तर में परिवर्तन का भी ध्यान रखता है। 
  7. रोकड़ प्रवाह लेखांकन वित्तीय विवरण पत्रों को समझना आसान बना देता है। 
  8. रोकड़ प्रवाह लेखांकन आय के स्थान पर जोर देता है। यह सम्पूर्ण भूतकाल वर्तमान काल और भविष्यकाल के रोकड़ प्रवाह को प्रकट कर देता है। इस प्रकार वह लेनदारों, विनियोजकों, कर्मचारियों, प्रबन्धकों आदि की निर्णयन में सहायता करता है।

रोकड़ प्रवाह के प्रकार

रोकड़ प्रवाह दो प्रकार का होता है- (i) अन्तर्वाह (Inflow) तथा (ii) बहिर्वाह (Outflow)। रोकड़ के अन्तर्वाह से तात्पर्य है रोकड़ का बाहर से अन्दर आना। माल की नकद बिक्री, देनदारों से प्राप्त राशि, अंश निर्गमन द्वारा प्राप्त राशि आदि। रोकड़ के बहिर्वाह से तात्पर्य है रोकड़ का व्यवसाय से बाहर जाना। जैसे- माल का नकद क्रय, मजदूरी का भुगतान, स्थायी सम्पत्ति का नकद क्रय आदि रोकड़ के बहिर्वाह के उदाहरण हैं।

कोष प्रवाह विवरण और रोकड़ प्रवाह विवरण में अंतर

1. कोष प्रवाह विवरण कोषों की कार्यशील पूॅजी की अवधारणा पर आधारित है, जबकि रोकड प्रवाह विवरण कोषों की नकदी की अवधारणा पर आधारित होता है।

2. कोष प्रवाह विवरण में कार्यशील पूॅजी में परिवर्तनों की सूची अलग से तैयार की जाती है, जबकि रोकड प्रवाह विवरण में इसकी आवश्यकता नहीं हेाती है।

3. कोष प्रवाह विवरण एवं रोकड प्रवाह विवरण को तैयार करने का तरीका अलग अलग है। कोष प्रवाह के अन्तर्गत चालू सम्पत्तियों/चालू दायित्वों में परिवर्तन शुद्ध कार्यशील पूॅजी में परिवर्तन (वृद्धि या कमी) का आधार हाता है, जबकि रोकड प्रवाह विवरण में चालू सम्पत्तियों तथा चालू दायित्वों में परिवर्तन रोकड में परिवर्तन (वृद्धि या कमी) को स्पष्ट करता है।

4. कोष-प्रवाह विवरण को तैयार करते समय उपार्जन आधार पर मदों को सम्मिलित करते है। इसके साथ-साथ प्रावधानों एवं अग्रिम भुगतानों को भी सम्मिलित कर लिया जाता है। रोकड़ प्रवाह विवरण में उपार्जन आधार पर किसी मद को सम्मिलित नहीं किया जाता है।

5. कोष-प्रवाह विवरण के अन्तर्गत स्रोतों एवं उपयोग का योग मिल जाता है, जबकि रोकड़-प्रवाह विवरण का प्रारम्भ, प्रारम्भिक रोकड़ शेष एवं अन्त, अन्तिम रोकड़ शेष से होता है।

6. कोष प्रवाह विवरण के अन्तर्गत सम्पत्तियों एवं दायित्वों को चालू एवं स्थायी में विभाजित किया जाता है, जबकि रोकड़-प्रवाह विवरण के अन्तर्गत इस प्रकार के विभाजन की कोई आवश्यकता है।

7. कोष-प्रवाह विवरण दीर्घकालिक नियोजन में अधिक उपयोगी होता है, जबकि रोकड़-प्रवाह विवरण
अल्पकालिक नियोजन में अधिक उपयोगी माना जाता है।

8. कोष-प्रवाह विवरण आर्थिक चिट्ठे का एक विस्तार मात्र है। रोकड़-प्रवाह विवरण अलग से मौलिक सूचनाओं के आधार पर तैयार किया जानेवाला प्रपत्र होता है।

9. कोष-प्रवाह विवरण मुख्य प्रपत्र माना जाता है, जबकि रोकड़-प्रवाह विवरण को कोष-प्रवाह विवरण के सहायक प्रपत्र के रूप में देखा जाता है।

रोकड़ प्रवाह विवरण तथा रोकड़ बजट में अंतर

रोकड़-प्रवाह विवरण तथा रोकड़ बजट बनाने की प्रक्रिया लगभग समान ही है, अतः रोकड़-प्रवाह विवरण तथा रोकड़ बजट लगभग एकसमान ही है। परन्तु इन दोनों में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित है-

(1) रोकड प्रवाह विवरण का निर्माण पिछले दो वर्षो के लेखों से सम्बन्धित होता है, जबकि रोकड़ बजट का निर्माण भविष्य के अनुमानित आंकडो के आधार पर किया जाता है ।

(2) रोकड़-प्रवाह विवरण का निर्माण सामान्यतया दो आर्थिक चिटठों (प्रारम्भिक तथा अन्तिम) के आधार पर किया जाता है जबकि रोकड़-बजट का निर्माण एक निश्चित अवधि हेतु (3 माह, 6 माह, 12 माह आदि) विगत आंकड़ों को
आधार मानकर किया जाता है।

(3) रोकड़-प्रवाह विवरण वास्तविक आंकड़ों के आधार पर बनाया जाता है, इसलिए मौसमी परिवर्तनों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। रोकड़ बजट अनुमानित आंकड़ों के आधार पर बनाया जाता है, इसलिए मौसमी परिवर्तनों को पूर्वानुमान में सम्मिलित कर लिया जाता है।

(4) रोकड़-प्रवाह विवरण मे रोकड़ में हुये अतीत परिवर्तनों का वर्णन किया जाता है, जबकि रोकड़ बजट में भविष्य में होने वाले रोकड़ परिवर्तनों का अनुमान लगाया जाता है।

(5) रोकड़-प्रवाह विवरण प्रबन्धकों के अतिरिक्त अंशधारियों, ऋणपत्रधारियों, विनियोजकों, सरकार, बैंकों आदि के लिए भी उपयोगी होता है, जबकि रोकड़ बजट का लाभ केवल प्रबन्ध वर्ग को ही प्राप्त होता है।

रोकड़ प्रवाह विवरण की सीमाएं

रोकड़ बहाव विवरण वित्तीय विश्लेषण का एक उपकरण है, लेकिन इसकी अपनी कुछ सीमायें भी है जो ये है-
  1. रोकड़ बहाव विवरण से किसी उपक्रम की केवल रोकड़ स्थिति का ज्ञान होता है, तरलता स्थिति, शोधनक्षमता आदि की जानकारी प्राप्त नहीं होती है।
  2. रोकड़ बहाव विवरण आय विवरण का स्थानापन्न नहीं है, क्योकि आय विवरण में रोकड़ और गैर रोकड़ प्रकार की मदों को शामिल किया जाता है, जबकिरोकड़ बहाव में केवल रोकड़ मदों को ही सम्मिलित किया जाता है।
  3. दीर्घकालीन वित विश्लेषण के लिए रोकड़ बहाव विवरण अनुपयोगी होता है।
  4. रोकड प्रवाह विवरण केवल अतीत की रोकड़ सम्बन्धी जानकारी देता है। यह आवश्यक नहीं कि इसके आधार पर भावी अनुमान पूर्णतः सही लगाये जा सकें।
  5. रोकड़ बहाव विवरण से प्रतिदिन के परिवर्तनों की जानकारी प्राप्त नहीं होती।
  6. यह रोकड़ के आधार पर बनाया जाता है अतः लेखांकन की एक मूलभूत अवधारणा ‘उपार्जन आधार’ को ही छोड़ देता है।
  7. रोकड़ प्रवाह विवरण एक सहायक विवरण पत्र है, परन्तु यह लाभ-हानि खाता एवं आर्थिक चिट्ठे का स्थान नहीं ले सकता।
  8. रोकड़ प्रवाह विवरण दो वर्षो के तुलनात्मक स्थिति विवरण (आर्थिक चिट्ठे) के आधार पर तैयार किया जाता है, अतः इसके द्वारा प्रदत्त सूचनाएं ऐतिहासिक प्रवृत्ति की ही होती है।

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