अनुक्रम
ग्राहकों को अधिक क्रय हेतु प्रोत्साहित करने अथवा शीघ्र भुगतान के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से
उनको कुछ छूटे प्रदान की जाती है जिन्हें बट्टा कहते है। मूल्यों में विभिन्न प्रकार की छूट दिये जाने के
कारण ग्राहकों से एक ही वस्तु का भिन्न-भिन्न मूल्य वसूल किया जाता है इसलिए इसे मूल्य भिन्नता नीतियाँ
भी कहते है।
बट्टा के प्रकार
नगद बट्टा नीति-
यह वह नीति है जिसमें विक्रेता ग्राहक को क्रय के समय या निर्धारित अवधि में भुगतान कर देने पर बीजक मूल्य पर एक निश्चित प्रतिशत का बट्टा काटता है। ऐसा बट्टा माल को सस्ता बना देता है तथा विक्रेता को मूल्य समय पर प्राप्त हो जाने से वसुली में समय तथा धन खर्च नहीं करना पड़ता है। पूँजी संकट भी हल होता रहता है।परिमाण बट्टा नीति -
यह वह नीति है जिसमें विक्रेता फर्म क्रेता को उसके द्वारा की गई खरीद की मात्रा के अनुपात में बट्टा देती है ताकि अधिकाधिक खरीद करने हेतु क्रेता प्रोत्साहित हो सके। उदाहरण के लिए यदि विक्रेता फर्म यह तय करती है कि प्रत्येक ग्राहक को जो 5,000 रू. का माल एक साथ खरीदेगा यानी एक क्रयादेश के अन्तर्गत खरीदेगा, उसे 3 प्रतिशत बट्टा दिया जावेगा। ऐसी परिमाण बट्टा नीति को ‘असंचयी परिमाण बट्टा नीति’ कहते हैं। ऐसी नीति में जो क्रेता निर्धारित मात्रा से कम का क्रयादेश देता है, उसे यह बट्टा नहीं दिया जाता है। इसके विपरीत यदि विक्रेता थोड़ी मात्रा में क्रय करने पर कम दर से तथा अधिक मात्रा में क्रय करने पर ऊँची दर से बट्टा देने की नीति अपनाता है, तो ऐसी नीति को ‘‘संचयी परिमाण बट्टा नीति’’ कहते हैं। इस नीति में बट्टा दरें इस रखी जा सकती है-क्रय परिमाण | बट्टा |
---|---|
2000 रू. तक | कोई बट्टा नही |
2,001 रू. से 5000 रू. तक | 3 प्रतिशत बट्टा |
5,001 रू. से 10,000 रू. तक | 5 प्रतिशत बट्टा |
10,001 रू. से 20,000 रू. तक | 7 प्रतिशत बट्टा |
20,001 से ऊपर | 10 प्रतिशत बट्टा |
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