भूकंप का अर्थ, परिभाषा एवं भूकंप के कारण

भूकंप का अर्थ

भूकंप पृथ्वी की पपड़ी की वह हलचल है जिससे पृथ्वी हिलने लगती है और भूमि आगे पीछे होने लगती हे वास्तव में पृथ्वी के अन्दर होने वाली किसी घटना के परिणाम स्वरूप जब धरातल का कोर भाग अकस्मात कांप उठता है तो उसे भूकंप कहते है।

भूकंप का अर्थ

भूकम्प शब्द का साधारण अर्थ है- ’पृथ्वी का हिलना’ परन्तु केवल इतने अर्थ से ही भूकम्प का ठीक.ठाक अनुमान नहीं किया जा सकता। भूकम्प का शाब्दिक अर्थ भू = पृथ्वी कम्प = कंपना। इस तरह भूकम्प यानि पृथ्वी का कांपना या हिलना। भूकम्प को अंगे्रजी में Earthquake का अर्थ Earth = पृथ्वी quake का अर्थ हिलना यानि कि पृथ्वी का हिलना ही भूकम्प कहा जाता है।

भूकंप की परिभाषा

बार सेस्टर के अनुसार : ‘‘भूकंप पृथ्वी की सतह का ऐसा कंपन अथवा दोलन है जो सतह के ऊपर अथवा नीचे की चट्टानों के प्रत्यास्थ अथवा गुरूत्वाकर्षणीय संतुलन में पड़ने वाले अस्थाई विघ्न के कारण होता है।’’ वास्तव में चट्टानों की व्यवस्था में बड़ा विघ्न कंपन उत्पé करता है जो इस विघ्न के स्त्रोत के साथ सभी दिशाओं में फैल जाता है।

सेलिसबरी- ’’भूकम्प धरातल के प्रकम्प अथवा कम्प हैं, जो मानव से असम्बन्धित क्रियाओं के फलस्वरूप होते हैं।’’

होम्स के अनुसार- ’’भूकम्प का अर्थ है पृथ्वी की सतह का हिलना या कम्पित होना। भूतल व भूगर्भ में चट्टानों में लचीलापन बढ़ने या गुरूत्व सम्बन्धी सन्तुलन बिगड़ जाने से ऐसा होने लगता है।’’

मेसलबेन- ’’भूकम्प भूपटल का कम्पन अथवा लहर है, तो धरातल के नीचे अथवा ऊपर चट्टानों के लचीलेपन या गुरूत्वाकर्षण की समस्थिति में क्षणिक अव्यवस्था होने पर उत्पन्न होती है।’’

जब भूकंप आता है तब भूकंपीय लहरें चलन लगती हैं। ये लहरें अत्यन्त शक्तिशाली होती है। वह स्थान जहाँ से भूकंपीय लहरें उत्पन्न होकर गति करना प्रारम्भ करती है उसे भूकंप मूल कहते हैं। जहाँ पर सर्वप्रथम भूकंपीय लहरों का अनुभव होता है उसे भूकंप केन्द्र कहा जाता है। यह स्थान भूकंप मूल की ठीक ऊपर होता है। भूकंपीय लहरों का ज्ञान भूकंप लेखन यंत्र अथवा सीस्मोग्राफ द्वारा होता है।

भूकंप एक क्षणिक एवं प्रलयकारी घटना है। इसमें कम्पन कभी इतना तीव्र एवं विनाशकारी होता है कि धरातल पर क्षणभर में अनेक परिवर्तन घटित हो जाते हैं। नगर, गाँव और कस्बे धराशायी होकर खण्डहरों में परिवर्तित हो जाते हैं। प्रारम्भ में जब मानव संस्कृति अविकसित थी तो भूकंप का तात्पर्य सामान्य प्रकोप से लिया जाता था। लेकिन वैज्ञानिक प्रगति के साथ इस धारणा में परिवर्तन हुआ है और भूकंप की उत्पत्ति और इसके विभिन्न लक्षणों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाने लगा है।

भूकंप के प्रभाव 

भयंकर भूकंप सामान्यतया अत्याधिक विनाशकारी होते है। इस प्रकार के भूकंपों से भू:स्खलन, नदियों के मार्गों का रूक जाना तथा बाढ़ के आने की घटनाये घटित हो जाती है। कभी-कभी भूमि के धसक जाने से झीलें बन जाती है। भूकंपों के आने से दरारें पड़ जाती है। इसके कारण नदियों के मार्ग बदल जाते है, भूकंपो के कारण दरार रेखा के साथ शैल संस्तर ऊपर नीचे अथवा क्षैतिज दिशा में खिसक जाते हैं। जब इनसे आग लग जाती है या ज्वारीय तरंगें पैदा हो जाती है, तब ये भूकंप अत्यधिक विनाशकारी होते है। इन ज्वारीय तरंगों को सुनामी कहते हैं। इन तरंगों से तटीय नगर बह जाते है। भूकंप के आने से मकान व पुल टूट जाते है, जिससे हजारों व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है। यातायात, संचार तथा बिजली के तार की लाइनें टूट जाती हैं। भूकंपों का अंतिम परिणाम हैंजा जैसी महामारियॉं होती है।

भूकंप के प्रभाव विनाशकारी होते हैं। भूकंप की तीव्रता का मापन भूकंप मापी यंत्र द्वारा किया जाता हैं। इसे कम्पन मापक भी कहते हैं। भूकंप की गहनता को एक से दस अंकों में विभक्त किया गया है। 5.5 से अधिक गहनता का भूकंप प्रबल, 6.2 से अधिक विनाशकारी, 7 से अधिक सर्वनाशी और 8.1 से अधिक प्रलयकारी कहलाता है।

भूकंप एक ऐसा प्राकृतिक प्रकोप है, जिसके सामने मनुष्य असहाय बन जाता है। क्षण में मानवकृत रचनाओं की क्षति (मकान, बाँध, कारखाना आदि), अग्निकांड, धरातलीय विरूपण, समुद्री लहरों से जलप्लावन, भू-स्खलन जैसी घटनाएँ जान-माल के लिए संहारक होती हैं रात को आया भूकंप भागने और जान बचाने का मौका भी नहीं देता। 

भूकंप के कारण

भूकंपीय तरंगे उत्पन्न होने का प्रमुख कारण भूगर्भ में दरारे बन जाती हे जिन्हें भ्रंश भी कहते है उनसे ऊर्जा मुक्त होती हे जिससे तरंगे निकलती हे ये तंरगे सभी दिशाओं में फैलकर भूकंप का कारण बनती है। भूकंप का जन्म पृथ्वी के गर्भ में विवर्तनिक घटनाओं के कारण होता है, जिसमें तापजनित तनाव, भू-संतुलन की अव्यवस्था, गर्म गैसों और मैग्मा का हलचल, ज्वालामुखी क्रिया, धरातल का भ्रंश, जलीय दबाव और पृथ्वी तल की प्लेटों की गतिशीलता प्रमुख कारण बताये आते हैं। इसी प्रकार जहाँ धरातलीय असंतुलन है, अर्थात् पर्वत और सपाट मैदान या समुद्र और पहाड़ पास’पास स्थित हैं वहाँ भूकंप की घटनाएँ सर्वांधिक होती हैं। 

जापान अपने इसी भौतिक स्थिति के कारण सर्वाधिक भूकंप झेलता है। पृथ्वी के अन्दर जहाँ भूकंप जन्म लेता है उस बिन्दु को भूकंप उत्पति केन्द्र और पृथ्वी के धरातल पर लम्बवत जिस बिन्दु पर सबसे पहले भूकंप अनुभव किया जाता है उसे अधिकेन्द्र कहा जाता है। अधिकेन्द्र पर सर्वाधिक भूकंपीय प्रभाव होता है और बढ़ती दूरी के साथ यह कम होते लगता है।

भूकंप के लक्षण

  1. भूकंप पृथ्वी का कम्पन है। इसके तहत पृथ्वी की पपड़ी के नीचे अचानक चट्टानों का स्थानान्तरण होता है। 
  2. भूकंप सामान्यत: पृथ्वी के कमजोर क्षेत्र में आते हैं। ये मुख्यतय: मोड़दार पर्वतों के क्षेत्र, महाद्वीपीय तथा महासागरीय प्लेट के मिलनबिन्दु, भ्रंश तथा दरार घाटी में घाटी है। 
  3. भूकंप एक अप्रत्याशित घटना है। इसके घटित होने के समय तथा स्थान के बारे में पूर्वानुमान और भविष्यवाणी करना विज्ञान के लिए भी चुनौती है। 
  4. भूकंप का प्रभाव व्यापक क्षेत्र में होता है। इसमें बड़े-बड़े भवन ढह जाते हैं, लोग घायल हो जाते हैं और कुछ मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।
  5. भूकंप की उत्पत्ति कई कारण से होती है, जैसे ज्वालामुखी क्रिया, पृथ्वी का सिकुड़ना, प्लेटों का खिसकाव तथा पृथ्वी के साथ मानव की छेड़छाड़ आदि। 
  6. भूकंप सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों में आते हैं। ऐसे भूकंप ज्वालामुखी गैंसों के बढ़ते हुए दबाव के प्रभाव से उत्पé होते हैं। ऐसे भूकंप सामान्यतय: कम विनाशकारी होते हैं, लेकिन कभी-कभी विनाशकारी भी हो जाते हैं। 
  7. भूकंप चट्टानों में तनाव के कारण आते हैं। तनाव के कारण चट्टाने टूट जाती है तथा अचानक पुन: अपने स्थान पर आने की कोशिश करती हैं। इसी कारण कम्पन होता है।
  8. भूकंप दबाव के कारण भी आता है। पृथ्वी के अन्दर दबाव की शक्तियां हमेशा कार्य करती हैं। जब दबाव की शक्तियां तीव्र हो जाती हैं तो इनका प्रभाव चट्टानों पर पड़ता है। इससे मोड़दार पर्वतों का उद्भव होता है तथा धरातल पर कम्पन भी होता है। 
  9. भूकंप संकुचन के कारण भी आता है। ऐसा मानना है पृथ्वी अपने उद्भव काल से ठंडी हो रही है। पहले पपड़ी ठंडी होकर ठोस हो गई। बाद में पर्वतों और सागरों का निर्माण हुआ। जब संकुचन तीव्र गति से होता है तब भूस्थल में कम्पन उत्पé होता है। 
  10. भूकंप के केन्द्र से ऊर्जा का विस्फोट होता है। यह ऊर्जा पृथ्वी के अन्दर स्थित रेडियो एक्टिव पदार्थों से उत्पé ताप के संग्रहण से उत्पé होती है। इस विस्फोट से चट्टाने टूटने, पिघलने और पुर्नगठित होने लगती है। इस व्यापक उथल-पुथल से भूचाल आता है। 
  11. भूकंप मानवीय क्रियाओं के कारण आता है। जब मानव निर्मित जलाशयों तथा बांधों में जल अधिक मात्रा में एकत्र कर लिया जाता है तो जलीय भार तथा दबाव के कारण तली नीचे धंसकती है तथा भूसंतुलन में अव्यवस्था हो जाती है जिससे धरातल पर कम्पन उत्पé होता है। 
  12. दिसम्बर 1967 को भारत में आए कोयना भूकंप के कारण कुछ विद्वान जलीय भार बताते हैं।
  13. भूकंप कितना शक्तिशाली है, इसको नापने के लिए रिक्टर पैमाने का प्रयोग किया जाता है। यह पैमाना किसी भूकंप की नाभि से उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा का एक अनुमान प्रदान करता है। प्रस्तुत तालिका में भूकंप के परिमाण, उसकी आवृत्ति तथा उससे उत्सर्जित ऊर्जा को दर्शाया गया है। 

भूकंप मापने का यंत्र

भूकंप तीव्रता को नापने के लिये रिक्टर स्केल का प्रयोग किया जाता है?  भूकंप का अंकन सीस्मोग्राफ नामक यंत्र से किया जाता है। पृथ्वी पर आने वाले अधिकांश भूकंप कम तीव्रता वाले होते हैं। परन्तु ये इतने हल्के होते हैं कि लोगों को इनका अहसास नहीं हो पाता है। जब भूकंपों का परिमाण 8 से अधिक होता है तो सर्वनाश हो जाता है। जनसंख्या की वृद्धि, नगरीय सघनता और गगनचुम्बी इमारतों के कारण भूकंप की विनाशलीला और भयंकर हो जाती है।

भूकंप का पूर्वानुमान 

भूकंप का पूर्वानुमान लगाना सीस्मोलॉजी का विषय है। भूकंप के पूर्व कथन और पूर्वानुमान के बारे में वैज्ञानिकों ने अभी पूर्ण रूप से सफलता नहीं पाई है। 1970 के दशक में वैज्ञानिक आशावादी थे कि भूकंप के पूर्वानुमान की वे कोई प्रयोगात्मक विधि निकाल लेगें। लेकिन 1990 के दशक तक वैज्ञानिकों को लगातार सफलता नहीं मिली। यद्यपि इन्होंने कुछ बड़े भूकंपों के पूर्वानुमान के सन्दर्भ में कुछ दावे पेश किए लेकिन वे विवादित और कसौटी पर खरे नहीं उतरे और अभी तक भूकंप को लेकर कोई सटीक भविष्यवाणी नहीं की गई। अत: भूकंप का पूर्वानुमान कुछ पूर्व संकेतों के आधार पर किया जा सकता है। इस माध्यमों से पहचाना जा सकता है -
  1. खरगोश और चूहे भवन की सीढ़ियों पर चढ़ने लगते हैं और ऊपर चढ़ने के बाद नीचे नहीं आते।
  2. कुत्ते जोर से भौकने लगते हैं। 
  3. मछलियाँ तली गर्म हो जाने के कारण जल के ऊपरी भाग में तैरती दिखाई पड़ती हैं। 
  4. केकड़ा तट के किनारे बैठा रहता है। 
  5. चीटियाँ अपनी छिद्र से बाहर निकल आती हैं।
  6. भूकंप के कारण पूरे क्षेत्र के ऊपर बादल दिखाई पड़ने लगते हैं। 
  7. असमान्य प्रकाश लाल, नीचे, ग्रीन और गुलाबी रंग में दिखाई पड़ता है। 
  8. छोटा सा इन्द्रधनुष स्वच्छ आकाश में दिखाई पड़ता है। 
  9. आकाश में माचिस की तीली से उत्पन्न आग के समान फायरबॉल दिखाई पड़ती है। 
  10. वातावरण में गर्म हवा का अहसास होता है।
  11. पृथ्वी के अन्दर से ध्वनि की आवाज आती है। 
  12. वृक्ष अपने फल समय से पूर्व गिरा देते हैं। 
  13. घास और वृक्षों की शाखाएं लाल रंग में बदलकर जलने सी लगती हैं।
  14. भूकंप आने के दो सप्ताह पूर्व समुद्र में बाढ़ आने लगती है।
  15. भूकंप आने के 5 घंटों पूर्व समुद्र का पानी घटने लगता है। 
  16. भूकंप आने के 1 से 5 घंटे पूर्व समुद्र में लहरे उत्पé होने लगती हैं।
  17. समुद्र की तली के गर्म होने से समुद्र का पानी गर्म होने लगता है। 
  18. झील और समुद्र में अधिक संख्या में हवा के बुलबुले दिखाई पड़ते हैं। 
  19. जल का तापमान 1 से 2 डिग्री के बीच बढ़ जाता है। 
  20. जल में कार्बन डाई आक्साइड, मीथेन और रेडोन गैस की मात्रा बढ़ जाती है। 
  21. जल का स्वाद या तो मीठा हो जाएगा या खारा हो जाएगा। 
  22. पानी में सल्फर की महक आने लगती है। जल में Air Bubbles की मात्रा बढ़ जायेगी।
  23. यदि कहीं गर्म जल का सोता है तो दूसरे गर्म सोते निकल आएंगे। 
  24. विद्युत तरंगों के प्रवाह के कारण हृदय में परेशानी होने लगती है।
  25. लोगों में मचली (उल्टी) भी आने लगती है। 
  26. गर्भवती महिला के गर्भाशय में बच्चे की गति का अहसास होता है। 
  27. उच्च रक्तचाप बढ़ने लगता है। 
  28. भूकंप आने के कुछ समय पूर्व वायरलैस, टेलीफोन और रेडियों प्रसारण में व्यवधान आने से आवाज स्पष्ट नहीं सुनाई पड़ती है। 
  29. क्वार्टज घड़ियों में सुई जल्दी गति करने लगती है।

3 Comments

  1. thanks for sharing the post is veary usefull for me textnab
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  2. यह एक अच्छा आर्टिकल है इसमें भूकंप के बारे में बहुत जानकारी दी गई है Thank You

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