Brand ब्रांड क्या है एक अच्छे ब्रांड में ये विशेषताएं होती है

ब्रांड (brand) का अर्थ


Brand का मुख्य उद्देश्य एक पहचान निश्चित करना होता है। ब्रांड (Brand) कोई भी व्यापारिक चिन्ह है जिसके माध्यम से किसी उत्पाद को सही तरीके से पहचाना जाता है ब्रांड (Brand) में ऐसी कोई उपाय सम्मिलित है, जिससे उत्पाद की पहचान करवायी जाती है। इसमें वे शब्द, लेख या अंक सम्मिलित है, जिनका उच्चारण हो सकता है और इसमें चित्र भी है। 

इस प्रकार ब्रांड (Brand) कोई भी चिन्ह, पहचान चिन्ह, नाम, प्रतीक है, जो किसी उत्पाद की पहचान करवाता है तथा जो उसकी अन्य उत्पादों या अन्य उत्पादकों के उत्पादों से पृथक पहचान बनाता है। 

जैसे सर्फ, टाइटन, विमल, रेमण्ड्स, कोलगेट, एन्कर, पाण्ड्स, जॉनसन, बाटा आदि प्रमुख ब्रांड (Brand) है।

उत्पादकों अथवा निर्माताओं द्वारा अपने उत्पाद की पहचान के लिए जिस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, वह ब्राण्ड कहलाता है। ब्राण्ड में उत्पाद का नाम अथवा उसकी पहचान कराने वाला कोई शब्द, अक्षर, प्रतीक, डिजाइन, चिन्ह होता हैं, जिनसे किसी उत्पादक अथवा निर्माता के उत्पाद में अंतर किया जा सके।

ब्रांड की परिभाषा

लिपसन एवं डारलिंग के अनुसार, ‘‘एक ब्रांड (Brand) नाम अपने में उन शब्दों, अक्षरों अथवा अंको को सम्मिलित करता है जो कि उच्चारण-योग्य होते हैं।’’

अमेरिकन मार्केटिंग एसोसियशन के अनुसार, ‘‘ब्रॉण्ड एक नाम, शब्द, प्रतीत अथवा डिजाइन या संयोजन है जिसका उद्देश्य एक विक्रेता या विक्रेताओं के समूह की वस्तुओं या सेवाओं को पहचानना एवं उनका प्रतियोगियों की वस्तुओं या सेवाओं से भिन्न बतलाना है।’’

काॅपलैण्ड के विचार में, ‘‘ट्रेडमार्क को किसी संकेत, चिह्न, प्रतीक, अक्षर या अक्षरों से परिभाषित किया जा सकता है जो किसी वस्तु के उद्गम या स्वामित्व को बतलाते हैं तथा वस्तु को उसकी क्वालिटी से भिन्न करते हैं और समान उद्देश्य हेतु उनके प्रयोग का अन्य को समान अधिकार प्रदान नहीं करते हैं।’’

स्टाण्टन के शब्दों में ‘‘सभी ट्रेडमार्क ब्राण्ड हैं और इस प्रकार इनमें वे शब्द, लेख या अंक शामिल हैं जिनका उच्चारण सकता है। इनमें तस्वीर का डिजाइन भी शामिल है।’’

एक अच्छे ब्रांड की विशेषताएं 

एक व्यापारिक नाम अच्छा या बुरा हो सकता है, वह विक्रय में वृद्धि या रुकावट कर सकता है। एक अच्छे ब्रांड में निम्न विशेषताएं होती है। 

1. उच्चारण करने में सरल हो -क्योंकि भारत में कुछ राज्यों के लोग निश्चित ध्वनियों या आवाज में नहीं बोल सकते और साथ ही कभी-कभी वे कुछ निश्चित शब्दों का सही उच्चारण भी नहीं कर पाते। इस कारण वे ऐसी वस्तुओं को पूछने में सकुचाते हैं। ब्रांड नाम ऐसा होना चाहिए जिसका सरलता से उच्चारण किया जा सके। 

2. याद करने में सरल हो - नाम याद करने योग्य हो या याद करने में सरल हो। 
वह छोटा हो -छोटा व्यापारिक नाम उच्चारण और याद करने में सरल होता है। वह बड़े आकार से कम जगह में लिखा जा सकता है। जैसे टाटा, बिन्नी, सर्फ, डेट आदि। 

3. सही एवं सूचनाप्रद -ग्राहक को (वस्तु के बारे में) सही सूचना देनी चाहिए। हर समय ग्राहक व्यापारिक नाम देखता है, उसे सुनता है और कुछ सीमा तक उसके दिमाग में उसके बारे में एक अंदाज जम जाता है। इस अंदाज का वस्तु के साथ सही संयोग होना चाहिए, जैसे काफी के लिए “नैस्कैफे।”

4. साधारण एवं छोटा - ब्रांड का नाम छोटा होना चाहिए ताकि उसे आसानी से समझा जा सके एवं याद रखने में भी किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं हो, जैसे-एयरटेल, डालडा, पनघट, सरस, उशा सेमसंग, बाटा, बिनाका, वज्रदन्ती, टाटा, बी.पी.एल., सेमसंग, दूध-गोल्ड एवं टनाटन नमकीन आदि। 

5. उत्पादक का संकेत - ब्रांड (Brand) उत्पादक के नाम का संकेत देने वाला भी हो तो सोने में सुहागा। ‘‘एच.एम.टी.’’ ‘‘डी.सी.एम.’’, ‘‘टाटा’’, ‘‘बाटा’’, ‘‘गोदरेज’’ आदि ऐसे ही ब्रांड हैं जो उत्पादक के नाम का संकेत भी देते है। 

6. पहचानने योग्य - ब्रांड ऐसा हो जिसे देखकर आसानी से पहचाना जा सके, जैसे- रेड लेबल टी, मरफी के रेडिया, सेलो रिफिल एवं पैन, केमल इंक रिलायन्स के सैलफोन आदि। 

7. ब्रांड नाम - ब्रांड का नाम ऐसा होना चाहिए जिससे वस्तु के बारे में जानकारी हो सके उदाहरण के तौर पर बैण्डएड मरहम पट्टी, कूल होम पंखे, वाटर कूलर, डिजिटल केमरा, नेस्केफ कॉफी, झंकार रेडियो आदि। 

8. संवर्द्धन में सुविधा - ब्रांड ऐसा हो जो विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन, प्रचार आदि कार्यों में सुविधाजनक हो, उदाहरणार्थ, एयर इण्डिया का स्वागतातुर महाराजा का चित्र, देना बैंक का नाम, जीवन बीमा के हाथ वाला प्रतीक चिन्ह सभी देखने या सुनने में ही ऐसे है मानों स्वयं इनकी सेवाओं का विज्ञापन कर रहे हों। 

9. अन्य ब्रांड से भिन्न - उत्पादों के ब्रांड से भिन्न होना चाहिए ताकि किसी प्रकार की भ्रांति पैदा न हो। 

10. कानूनी संरक्षण - ब्रॉण्ड का नाम ऐसा होना चाहिए जिसके कानूनी संरक्षण प्राप्त करने में अधिक बाधाएँ न आयें। 

ब्रांड की विशेषताएं

  1. ब्रांड (Brand) किसी भी उत्पाद का पहचान चिन्ह है। 
  2. ब्रांड (Brand) कोई भी नाम, पहचान चिन्ह, संकेताक्षर, संख्या प्रतीक चिन्ह आदि में से कोई भी हो सकता है।
  3. यह उत्पाद की अन्य उत्पादों से पृथक पहचान कराता है। 
  4. यह एक उत्पादक के उत्पादों का अन्य उत्पादकों के उत्पादों से पृथक पहचान कराता है। 
  5. यह किसी उत्पाद की छवि या उसके व्यक्तित्व को प्रकट करता है। 
  6. यह उत्पाद का स्मृति सहायक चिन्ह है।
  7. ब्रांड (Brand) कई प्रकार के हो सकते है, जैसे-उत्पादक ब्रांड (Brand), कम्पनी ब्रांड (Brand), मध्यस्थ ब्रांड (Brand) आदि।

ब्रांड के प्रकार 

1. निर्माता का ब्रांड - निर्माताओं द्वारा अपने उत्पादों को प्रदान किया गया ब्रांड (Brand), निर्माता का ब्रांड (Brand) कहलाता है। इसे राष्ट्रीय ब्रांड भी कहते हैं जैसे फिलिप्स कम्पनी द्वारा निर्मित रेड़िया, बल्ब, ट्रांजिस्टर एवं टेलीविजन आदि पर फिलिप्स की छाप लगी रहती है। लाल इमली, धारीवाल, टाटा, बाटा आदि निर्माता के नाम को प्रकट करते है। 

2. मध्यस्थों का ब्रांड - जब निर्माता अपने उत्पादों पर किसी प्रकार की छाप का प्रयोग नहीं करता है तो बड़े-बड़े थोक व्यापारी या फुटकर व्यापारी उन उत्पादों पर अपनी ब्रांड की मुहर या छाप लगाकर बेचते हैं, तो इस प्रकार के ब्रांड (Brand) को मध्यस्थ ब्रांड कहते हैं। 

3. स्थानीय ब्रांड - वह ब्रांड (Brand) जो एक स्थान विशेष पर ही लोकप्रिय हैं, स्थानीय ब्रांड कहलाता है, जैसे चाय, साबुन, डिटरजेन्ट पाउडर, पैन की स्याही और फोल्डर्स आदि। 

4. प्रान्तीय ब्रांड - यह ब्रांड (Brand) जो एक राज्य विशेष में ही प्रचलित है, उसको प्रान्तीय या राज्य ब्रांड (Brand) कहते है, जैसे पटना मिर्च, अताणा मिर्च, ओसवाल साबुन, गुजरात दैनिक भास्कर एवं चण्डीगढ़ पत्रिका आदि।

5. क्षेत्रीय ब्रांड  - जब एक निर्माता राष्ट्र को अपने विक्रय के लिए कई क्षेत्रों में बाँट लेता है और प्रत्येक क्षेत्र में नये-नये ब्रांड (Brand) का प्रयोग करता है तो इन ब्रांड )ों को क्षेत्रीय ब्रांड कहते है। 

6. राष्ट्रीय ब्रांड  - इसे निर्माता ब्रांड (Brand) भी कहते है। जब एक निर्माता सम्पूर्ण देश के लिए केवल एक ही ब्रांड (Brand) का प्रयोग करता है तो उसका ब्रांड (Brand) राष्ट्रीय ब्रांड कहलाता है। लिम्का, लक्स, कोलगेट आदि राष्ट्रीय ब्रांड  है।

7. व्यक्तिगत ब्रांड - जब एक निर्माता अथवा उत्पादाक प्रत्येक वस्तु के उत्पादन पर अलग अलग ब्रांड (Brand) की मुहर लगाता है तो इसको व्यक्तिगत ब्रांड कहते हैं। सर्फ, विम, व्हील, एरियल आदि व्यक्तिगत ब्रांड (Brand) है। 

8. पारिवारिक ब्रांड  जब एक निर्माता अथवा उत्पादक अपनी सभी प्रकार की वस्तुओं की ब्रांड  जिनका वह निर्माण अथवा उत्पादन करता है, एक ही रखता है तो ऐसे ब्रांड को पारिवारिक ब्रांड कहते हैं। बजाज ग्रुप द्वारा सभी उत्पादनों पर बजाज शब्द का प्रयोग किया जाता है, जैसे स्कूटर-बजाज सुपर, बजाज, ब्रेवो बजाज वल्ब एवं ट्यूब बजाज आयरन, बजाज टोस्टर एवं बजाज मोटरसाईकल पल्सर आदि। 

9. प्रतिस्पर्द्धी ब्रांड - जब विभिन्न प्रकार के निर्माताओं या उत्पादकों द्वारा बनायी गयी वस्तुओं में गुण, मूल्य, आकार-प्रकार आदि में कोई विशेष अन्तर नहीं होता है तो ऐसी वस्तुओं के ब्रांड प्रतिस्पर्द्धी ब्रांड कहलाते हैं। जैसे-कपड़े धोने का डिटर्जेन्ट पाउडर-सर्फ ब्रांड, व्हील, टाइड, निरमा, मैजिक, घड़ी, एरियल आदिं।

ब्राण्ड के लाभ

  1. ब्राण्ड नाम से विज्ञापन में आसानी रहती है।
  2. उत्पाद की स्थायी पहचान बन जाती है।
  3. उपभोक्ता आसानी से पहचान जाता है।
  4. पुन: विक्रय को प्रोत्साहन मिलता है।

ब्राण्ड के दोष

ब्राण्ड से उत्पाद की जानकारी ग्राहकों को होती है और उत्पादकों को भी लाभ पहुॅचता है, परन्तु ब्राण्ड के कुछ दोष भी हैं जो इस प्रकार हैंः
  1. ब्राण्ड का प्रचलन होने से बिना ब्राण्ड वाले उत्पादों की बिक्री नहीं होती है चाहे उस वस्तु की किस्म कितनी ही अच्छी क्यों न हो ?
  2. उत्पादक द्वारा प्रयोग में लाये जाने वाले ब्राण्ड का कोई एक उत्पाद असफल हो जाता है तो अन्य उत्पादों की बिक्री पर भी उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  3. जब तक ब्राण्ड का पंजीकरण नहीं कराया जाता है, उसकी नकल होने की अधिक संभावना होती है। जब भी किसी ब्राण्ड का उत्पाद बाजार में चल निकलता है उसकी नकल की जाती है और बाजार में नकली माल आने पर ग्राहकों का शोषण होता है।
  4. ब्राण्ड का प्रयोग करने पर नये उत्पादकों को प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है।
  5. पंजीकृत ब्राण्ड की नकल न हो सके, इसके लिए उत्पादकों को जागरूक रहना पड़ता है। अतः प्रबन्धकों का कार्य अनावश्यक रूप से बढ़ जाता है।

1 Comments

Previous Post Next Post