भारतीय नृत्य के प्रकार / भारत के प्रमुख नृत्य कौन कौन से हैं?



ऋग्वेद में ‘नृति’ तथा नृतु का उल्लेख मिलता है तथा उषा काल की सुन्दरता की तुलना सुन्दर बेशभूषायुत्तफ नृत्यांगना से की है। जैमिनी तथा कौशीतकी ब्राह्मण ग्रन्थों में नृत्य और संगीत का एक साथ उल्लेख किया गया है। महाकाव्यों में स्वर्ग तथा पृथ्वी पर नृत्य के अनेक उदाहरण मिलते हैं। 

संगीत के समान भारतीय नृत्य की भी समृद्ध शास्त्रीय परंपरा विकसित हो चुकी थी। कथा कहते हुए, नृत्य, भावनाओं को व्यक्त करने का सशक्त साधन है। 

भारत में नृत्य कलाओं के इतिहास का प्रारम्भ हडप्पा संस्कृति में खोजा जा सकता है। हड़प्पा में मिली नृत्यांगना की एक कांस्य मूर्ति का साक्ष्य इस बात को साबित करता है कि वहां स्त्रियों द्वारा नृत्य का प्रदर्शन होता था।

भारतीय परम्परागत संस्कृति में नृत्यों के द्वारा धार्मिक विचारों को सांकेतिक अभिव्यक्ति दी जाती थी। नटराज के रूप में शिव की मुद्रा, सृष्टि चक्र के निर्माण व ध्वंस को दर्शाती है। नटराज के रूप में शिव की लोकप्रिय प्रतिमा भारतीय जन मानस पर नृत्य के प्रभाव को दर्शाती है। देश के विशेष रूप से दक्षिणी भाग में कोई भी ऐसा मंदिर नहीं है जहां नृत्य करते देवों की विभिन्न मुद्राओं वाली मूर्ति न हो। 

कत्थकली, मणिपुरी, भरतनाट्यम्, कत्थक, कुचीपुड़ी तथा ओडिसी कुछ भारतीय शास्त्राीय नृत्यों के प्रकार हैं जो हमारी सांस्कृतिक विरासत का आवश्यक अंग है।

यह कहना कठिन है कि नृत्य का किस समय पर आविर्भाव हुआ परन्तु यह स्पष्ट है कि खुशी को व्यक्त करने के लिए नृत्य अस्तित्व में आया। धीरे-धीरे नृत्य को लोक तथा शास्त्राीय दो भागों में बांटा गया। शास्त्राीय नृत्य को मंदिरों तथा शाही राजदरबारों में प्रस्तुत किया जाता था। मंदिरों में नृत्य धार्मिक उद्देश्य से किये जाते थे जबकि राज दरबार में यह केवल मनोरंजन का साधन मात्र था। दोनों ही अवसरों पर दक्षिण भारत में भरतनाट्यम् व मोहिनीअट्टम् मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठानों के एक महत्त्वपूर्ण पहलू के रूप में विकसित हुए। 

भारतीय नृत्य के प्रकार

(1) कत्थक - यह नृत्य उत्तरभारत का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है। 

(2) भरतनाट्यम - दक्षिण भारत की नृत्य शैली है। इस नृत्य की उत्पत्ति भारत द्वारा रचित नाट्यशास्त्र से हुई है इसलिए इस े भरतनाट्यम कहा जाता है। 

(3) कथककली - कथककली कर्नाटक और मालावार प्रान्त की प्राचीन नृत्य शैली के रूप में प्रसिद्ध है। कथककली में सामूहिक नृत्य होता है जिसमें कुछ कलाकार, नर्तक एवं कुछ अन्य गायक वादक तथा विन्यास सजाने के लिए होते है। पाख गायन के माध्यम से उस कथा का वर्णन किया जाता है। 

(4) मणिपुरी - मणिपुरी नृत्य पूर्वी बंगाल तथा असम की नृत्य शैली है। मणिपुरी नृत्य को हीं वास्तव में लाईहराबे ा तथा रासन्तरय के रूप में जाना जाता है। मणिपुर प्रदेश में इसकी लोकप्रियता के कारण मणिपुरी नृत्य कहा जाता है। 

(6) कुचीपुड़ी - कुचिपुड़ी आन्ध्रप्रदेश का प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य का मुख्य उद्देश्य नृत्य के माध्यम से वैदिक एवं उपनिषद में वर्णित धर्म एवं अध्यात्म का प्रचार प्रसार करना। 

(7) ओडिसी नृत्य - भगवान जगन्नाथ को समर्पित है इस नृत्य का मुख्य भाव समर्पण एवं अराधना होता है। 

(8) मोहिनी - अहम नृत्य मोहिनी अर्थात् मन को मोहनेवाला अर्थात् ऐसा माना जाता है कि यह नृत्य भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप मं े केरल मं े सागर के तट पर किया था। इसलिए इस े मोहनी अहम के रूप मं े जाना जाता है।

(9) छऊ नृत्य - बंगाल मं े पुरूलिया बिहार में सरई, केलरा एवं उडी़सा में म्यरू मंज में छऊ के नाम से इस नृत्य को जाना जाता है। इस नृत्य का आयोजन चैत्र पूर्व पर किया जाता है। छऊ नृत्य में प्रत्येक अंग का अलग ढंग से प्रदर्शन किया जाता है। 

प्रमुख लोकनृत्य 

चहा नृत्य, शसलीला, होलीनृत्य, थालीनृत्य, मागं ड़ा, गिद्धा डौडिया नृत्य, दीपक नृत्य पनिहारि नृत्य, थली नृत्य कालरी, भरतनृत्य, पादायनी, कठपुतली नृत्य, गीदड़ नृत्य आदि। 

भारतीय शास्त्रीय नृत्य के प्रकार


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