ई-वाणिज्य क्या है?, प्रकार, लाभ

इंटरनेट आज सफलता की ओर अग्रसर होता उद्योग है। तकनीकी विकास की तेज दर के साथ-साथ अधिक से अधिक लोग कम्प्यूटर एवं इंटरनेट का उपयोग करने लगे हैं। अपनी दिन-प्रतिदिन की आवश्यकताओं के कारण वे कम्प्यूटर का अिध्काध्कि उपयोग करना सीखने लगे हैं। यहाँ ई-वाणिज्य वैबसाइटें सबसे आगे हैं क्योंकि आपके उत्पाद जैसे उत्पादों अथवा सेवाओं को ऑन लाइन खोजने हेतु लाखों लोग इनका उपयोग कर रहे हैं। 

ई-वाणिज्य

सरल शब्दों में, वस्तुओं तथा सेवाओं का इंटरनेट के माध्यम से क्रय तथा विक्रय करना, ई-वाणिज्य अथवा इलैक्ट्रॉनिक वाणिज्य कहलाता है। व्यवसाय में कोई भी निर्णय लेने से पूर्व उसके लाभों को ध्यान में रखा जाता है, अत: कंपनी को भी ई-वाणिज्य की नई कार्यनीति के कार्यान्वयन के लाभों को ध्यान में रखना चाहिए। इसलिए प्रथम एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात, जिसे जानने की आवश्यकता है वह यह है कि आपके जैसे व्यवसाय में ई-वाणिज्य विशेषता वाली वेबसाइट की आवश्यकता है अथवा नहीं ? ई-व्यवसाय के उप समुच्चय ई-वाणिज्य अथवा इलैक्ट्रॉनिक वाणिज्य का अभिप्राय है कम्प्यूटर नेटवर्क (जैसे इंटरनेट) पर वस्तुओं तथा सेवाओं का क्रय, विक्रय एवं विनिमय करना और लेनदेन अथवा विक्रय की शर्तों को इलैक्ट्रॉनिक तरीके से निष्पादित करना। व्यवहार में ई-वाणिज्य तथा ई-व्यवसाय को प्राय: समान अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है। 

ऑन लाइन फुटकर विक्रय हेतु कभी-कभी ‘ई-टेलिंग’ शब्द भी प्रयोग किया जाता है। इलैक्ट्रॉनिक माध्यमों द्वारा वित्तीय लेनदेनों को व्यवस्थित रूप से पूरा करना इलैक्ट्रॉनिक वाणिज्य है। इंटरनेट पर वाणिज्य की बड़ी सपफलता के साथ, वल्र्ड वाइड वैब (जिसे ई-वाणिज्य वैबसाइटें भी कहते हैं) पर ऑनलाइन स्टोरों से खरीदारी करना सामान्यत: ई वाणिज्य कहा जाता है।

ई-वाणिज्य के प्रकार

1. व्यवसाय से व्यवसाय - कम्पनियाँ एक-दूसरे के साथ व्यवसाय करती हैं जैसे उत्पादक, वितरक को विक्रय करता है और थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी को विक्रय करता है। कीमतें आदेश की मात्रा पर निर्भर करती हैं जो प्राय: बातचीत से तय होती हैं। व्यवसाय से उपभोक्ता : व्यवसाय, सूची पत्र का उपयोग करके प्रतिनिधि रूप से शापिंग कार्ट साफ्रटवेयर के माध्यम से सामान्य जनता को माल बेचते हैं। B 2 B डॉलर की मात्रा में मूल्य लेते हैं तथा उपभोक्ता से लेनदेन करते हैं।

2. उपभोक्ता से व्यवसाय  - एक उपभोक्ता तय बजट के साथ अपनी परियोजना ऑनलाइन भेजता है तथा कुछ ही घंटों में कंपनियाँ उसकी आवश्यकताओं की समीक्षा करके उसकी परियोजना पर अपनी बोली (प्रस्ताव) भेजती हैं। उपभोक्ता उन बोलियों की समीक्षा करता है तथा उस कंपनी का चयन करता है जो उसकी परियोजना को पूर्ण करेगी। C 2 B उपभोक्ता को ऐसे लेनदेनों हेतु आवश्यक आधर उपलब्ध कराकर संपूर्ण विश्व के लिए अधिकृत करती है।

3. उपभोक्ता से उपभोक्ता - कई साइटें नि:शुल्क वर्गीकृत, नीलामी तथा मंच प्रस्तुत करती है जहाँ व्यक्ति, वस्तुओं का क्रय-विक्रय ऑनलाइन भुगतान प्रणाली के माध्यम से कर सकते हैं जैसे श्च्ंल ठपससश् जहाँ लोग सरलता से धन भेज सकते हैं तथा प्राप्त कर सकते हैं। ‘ई-बेय’ की नीलामी सेवा एक अच्छा उदाहरण है जहाँ वर्ष 1995 से प्रतिदिन व्यक्ति-से-व्यक्ति के बीच लेनदेन हेाते हैं।

कंपनियाँ B 2 E (व्यवसाय से कर्मचारी) ई-वाणिज्य में रत हैं जिसके अंतर्गत वे अपने कर्मचारियों को वैबसाइट पर ऑनलाइन ;आवश्यक रूप से ऑनलाइन नहींद्ध उत्पादों को अपने आंतरिक नेटवर्क पर प्रस्तुत करती हैं।

ई-वाणिज्य के अन्य रूप सरकार के साथ लेनदेन में संलग्न हैं जैसे कर प्राप्ति, कर की रिटर्न जमा करना, व्यवसाय पंजीकरण तथा लाइसेंस नवीनीकरण। ई-वाणिज्य की अन्य श्रेणियाँ भी हैं इनमें से कुछ हैं-
  1. सरकार-से-सरकार
  2. सरकार-से-कर्मचारी 
  3. सरकार-से-व्यवसाय 
  4. व्यवसाय-से-सरकार 
  5. सरकार-से-नागरिक 
  6. नागरिक-से-सरकार

ई-वाणिज्य के लाभ

आपने महसूस कर लिया होगा कि व्यावसायिक लेनदेनों को इलैक्ट्रॉनिक तरीके से करने का क्षेत्रा काफी विस्तृत है। ई-वाणिज्य थोक व्यापार तथा फुटकर व्यापार, दोनों के लिए उपयुक्त है। विश्व के विभिन्न भागों में व्यावसायिक इकाइयों के बीच इंटरनेट के माध्यम से चौबीसों घंटे क्रय-विक्रय चलता रहता है। आइए, ई-वाणिज्य के लाभों की चर्चा करें :

1. विस्तृत चयन : अच्छी विकसित कम्प्यूटर नेटवर्किंग प्रणाली की मदद से व्यावसायिक इकाईयाँ राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचालन कर सकती हैं। अत: ग्राहकों को उत्पादों एवं सेवाओं के विस्तृत चयन की सुविधा उपलब्ध होती है। व्यवसायियों को भी अपने उत्पादों एवं सेवाओं हेतु विस्तृत बाजार उपलब्ध होता है।

2. अच्छी ग्राहक सेवाएँ : माल तथा सेवाओं के आपूतिकर्ता अपने ग्राहकों को सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत कर सकते हैं। ये सेवाएँ विक्रय से पूर्व तथा पश्चात, दोनों प्रकार की हो सकती हैं जैसे- उत्पाद के बारे में जानकारी, उपयोग हेतु दिशानिर्देश, उत्पाद की किस्म तथा उपयोगिता के बारे में ग्राहकों की पूछताछ के प्रत्युत्तर आदि।

3. ग्राहक आवश्यकताओं के प्रति तीव्र संवेदनशीलता : ई- वाणिज्य व्यावसायिक लेनदेनों में क्रय-विक्रय की सामान्य प्रक्रिया की तुलना में बहुत कम समय लगता है। ऐसा इसलिए संभव होता है क्योंकि उत्पादकों द्वारा वितरण का छोटा माध्यम अपनाया जाता है और उपभोक्ताओं को उत्पादों तथा सेवाओं की सीधे आपूर्ति की जाती है।

4. लागत में बचत तथा मूल्यों में कमी : ई-वाणिज्य द्वारा किए गए व्यावसायिक लेनदेनों की लागत काफी कम होती है। प्रदर्शन-कक्ष में माल को प्रदर्शित करने अथवा गोदामों में अधिक स्टॉक रखने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। व्यवसाय उद्योग तथा वाणिज्य चलाने के लिए कर्मचारी भी कम ही रखने पड़ते हैं। अत: प्रचालन लागत स्वाभाविक रूप से कम आती है। इसलिए ग्राहकों को कम दर पर माल मिल सकता है।

5. बाजार की जानकारी : इंटरनेट के माध्यम से बाजार की जानकारी की उपलब्धता के कारण व्यावसायिक इकाईयाँ ग्राहकों की आवश्यकताओं को पहचानकर यथानुसार नया माल बनाती हैं तथा बेहतर सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं।

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